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ज्वलंत स्वरूप और मृणाल चटर्जी ने प्रोफेसर के.एम.श्रीवास्तव को कुछ यूं दी श्रद्धांजलि

प्रोफेसर के.एम.श्रीवास्तव, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) में सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर थे, नई दिल्ली में शुक्रवार को उनका निधन हो गया। वह 63 साल के थे। श्रीवास्तव लगभग 25 वर्षों से आईआईएमसी के प्रोफेसर थे। नैशनल मास कम्युनिकेशन में उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है। उन्होंने भारतीय सेना और टेरिटोरियल सेना के लिए विभिन्न मीडिया कोर्सेज़

समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago

प्रोफेसर के.एम.श्रीवास्तव, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) में सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर थे, नई दिल्ली में शुक्रवार को उनका निधन हो गया। वह 63 साल के थे। श्रीवास्तव लगभग 25 वर्षों से आईआईएमसी के प्रोफेसर थे। नैशनल मास कम्युनिकेशन में उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है। उन्होंने भारतीय सेना और टेरिटोरियल सेना के लिए विभिन्न मीडिया कोर्सेज़ का आयोजन किया। मीडिया इंडस्ट्री ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है, सकल मीडिया ग्रुप के सीईओ ज्वलंत स्वरूप और डॉ. मृणाल चटर्जी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। ज्वलंत स्वरूप, सीईओ, साकाल मीडिया ग्रुप मैं उन्हें डॉ. बुलाया करता था, प्रोफेसर के.एम.श्रीवास्तव, मेरे हमेशा हंसमुख दोस्त रहे हैं। जहां तक मैं उन्हें जानता हूं उन्होंने एक सन्यासी का जीवन व्यतीत किया है। वे इस दुनिया में तो थे पर फिर भी इस दुनिया से बहार थे। उनसे अंतरंग बातचीत करते समय कई बार उनके आंतरिक सौंदर्य का अनुभव किया है मैंने। भारत में हो रहे सामाजिक बदलावों के प्रति वे बेहद ही सजग रहते थे। उन्हें राजनीति और गवर्नेंस की अपार जानकारी थी। वह अपने पत्रकारिता के कुछ किस्सों को भी शरारती अंदाज़ में बताया करते थे। श्रद्धांजलि देते हुए आखिर में बस इतना कहना चाहूंगा- ‘डाक्टर साहब ! मैं आपको याद करूंगा। आपकी आत्मा को शांति मिले।’ डॉ. मृणाल चटर्जी (पत्रकार से मीडिया एकैडमी में कदम रखने वाले डॉ. मृणाल चटर्जी इन दिनों ओडिशा के ढेंकानल में स्थित ईस्टर्न इंडिया कैंपस ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट को हेड करते हैं) प्रोफेसर के.एम. श्रीवास्तव, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) में सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर थे और नई दिल्ली में 28 अगस्त, शुक्रवार को उनका निधन हो गया। उन्हें निजामुद्दीन स्टेशन पर दिल का दौरा पड़ा। वह भोपाल जा रहे थे अपनी चार बहनों से राखी बंधवाने और अपनी मां से मिलने। उनके पार्थिव शरीर को अगले दिन भोपाल पहुंचाया गया। यह अचानक था और दुखद भी। पर एक तरह से कहा जाए तो उनके जैसा कोई न था। उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना कभी पसंद नहीं था, यही कारण था कि उन्होंने कभी शादी नहीं की। डॉ. मृणाल चटर्जी ने कहा कि मीडिया एकैडमिक में उनका शुरुआती दौर दिलचस्प था। वनस्पति विज्ञान के प्राध्यापक रहते हुए वे तेजी से मुख्याधारा की मीडिया के साथ जुड़ गए। फिर अचानक से उन्होंने पटियाला स्थित पंजाबी यूनिवर्सिटी में मीडिया शिक्षाविद् के तौर पर जुड़ गए। फिर उन्होंने 1993 में आईआईएमसी के साथ अपनी शैक्षणिक पारी को आगे बढ़ाया। बतौर मीडिया शिक्षाविद् वह वैश्विक स्तर पर जाने जाते थे। उन्होंने बताया कि Constraints in Communication के विषय पर ग्लासगो में वे International Association of Media and Communication Research (IAMCR) सम्मेलन (1998) में वक्ता थे। सूचना सोसायटी पर संयुक्त राष्ट्र के विश्व शिखर सम्मेलन के लिए IAMCR (Geneva, December 2003 और Tunis 2005) में प्रतिनिधि थे। उन्होंने IAMCR कॉनफ्रेंस नई दिल्ली (1986), यूगोस्लाविया (1990), (1994), ब्राजील (1992), आयरलैंड (1993), दक्षिण कोरिया, (1996) ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको (1997), यूनाइटेड किंगडम (1998), सिंगापुर (2000), हंगरी (2001), स्पेन (2002), मिस्र (2006) और स्वीडन (2008) में भाग लिया। इसके अतिरिक्त वह मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी (1995, 2002), कैनबेरा यूनिवर्सिटी (1996, 1999), यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर (2000), ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट (2001), फिनलैंड की University of Tempere (2002), International Institute of Sociology (1997, 2001) और सिंगापुर में Asian Media Information and Communication Centre (AMIC) (1994, 2000) द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बतौर वक्ता अपने भाषण दिए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने मनीला में AMIC conference के एस सेशन की अध्यक्षता की। उनकी प्रमुख किताबें- News Reporting and Editing (1987), Radio and TV Journalism (1989), Media Issues (1992), Media Towards 21st Century(1998), Broadcast Journalism in the 21st Century (2005), Media Ethics: Veda to Gandhi and Beyond (2005), News Agencies from Pigeon to Internet (2007), Public Relations in the Digital Era (2007), The Right to Information: A Global Perspective (2009) Korean Edition ofNews Agencies from Pigeon to Internet (2009) and Social Media (2013) है। डॉ. चटर्जी ने बताया कि मैं उनसे 2002 में मिला था, जब वो ढेंकानल स्थित आईआईएमसी उसके हैड बनकर आए थे और तब मैं वहां असिस्टेंट प्राफेसर था। पहले ही दिन हमारी अच्छी तरह से मुलाकात हुई क्योंकि शायद मैं भी उन्हीं की तरह पहले पत्रकार और फिर पत्रकारिता शिक्षक रहा हूं। वे 2005 से अभी तक ढेंकानल स्थित आईआईएमसी में हेड थे। मुझे कभी भी पता नहीं चला कि कब हमारे प्रोफेशनल रिलेशन पर्सनल में बदल गए थे। अब वे नहीं रहे, तो मैं अपने पिता कि तरह ही के.एम.श्रीवास्तव की भी कमी महसूस कर रहा हूं, जो दस साल पहले हमें छोड़ गए थे। समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


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