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कार्टून को लेकर मचे बवाल पर मेल टुडे ने दिया ये बयान...
अंग्रेजी दैनिक अखबार ‘मेल टुडे’ की संपादकीय टीम ने अब अखबार में कार्टून न छापने...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
अंग्रेजी दैनिक अखबार ‘मेल टुडे’ की संपादकीय टीम ने अब अखबार में कार्टून न छापने का मन बना लिया है। टीम ने अब कार्टून की जगह फोटो का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। हालांकि सोशल मीडिया पर इसे लेकर तब चर्चाएं शुरू हो गईं और इस मुद्दे को मीडिया की आजादी पर हमला बताया जाने लगा जब जाने-माने कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने फेसबुक से मेल टुडे पर सेंसरशिप का आरोप लगाया।
कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने रविवार को मेल टुडे के संपादक द्वैपायन बोस पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक कार्टून को प्रकाशित करने से मना कर दिया, जिसमें आचार्य ने चित्रित किया था कि कैसे चीन मालदीव जैसे देशों में अपने प्रभाव को बढ़ाकर भारत को घेर रहा है। आचार्य के मुताबिक, संपादक ने कहा कि यह कार्टून बहुत पराजयवादी है और चीन की समस्या बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है।
आचार्य ने इसे लेकर अपना एक ब्लॉग भी लिखा है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि, ‘मुझे लगा कि एक कार्टूनिस्ट ने भारतीय हितों के आसपास चीन के बढ़ते प्रभाव को देखा, तो मैंने कहा कि यह बहस योग्य था और कार्टूनिस्ट की राय की कद्र होनी चाहिए। जवाब में उन्होंने (बोस) ने न्यूज डेस्क को कार्टून हटाकार एक फोटो इस्तेमाल करने के लिए कहा।
सतीश अपने ब्लॉग में लिखते हैं, ‘मैं कई दिनों से अपनी स्वतंत्रता और अपने कार्टून की पवित्रता को बचाने की कोशिश कर रहा हूं। एक एडिटर के लिए ये बस तीन कॉलम जगह हो सकती है, लेकिन एक कार्टूनिस्ट के लिए यह पूरा संसार है। ऐसा संसार जहां कार्टूनिस्ट अपनी बात कहने के लिए आजाद है।’
सतीश के मुताबिक, उन्हें पहले भी उनके कार्टून को लेकर काफी कुछ सहना पड़ा है। पहले उनके गाय से संबंधित कार्टून को रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद लिंचिंग के ऊपर कार्टून को यह कहकर हटा दिया गया कि इंडिया टुडे किसी समुदाय विशेष को लेकर कार्टून नहीं छापेगा। इसके बाद मोदी के ऊपर बने एक कार्टून में मोदी की जगह किसी अन्य बीजेपी कैरेक्टर को डालने की बात उनसे कही गई, फिर कई बार उन्हें कार्टून में बदलाव या उसे हटाने के लिए टोका गया।
इसके बाद मेल टुडे के एडिटर द्वाईपायन बोस ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा कि फ्रीलांस कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य मेल टुडे में नियमित तौर पर अपना योगदान देते रहे हैं और हाल ही के दिनों में यह पहला उदाहरण है कि उनका किसी कार्टून को रोका गया है। इसके बाद उन्होंने कहा कि अखबार होने के नाते ये जरूरी नहीं है कि हम उनका कंटेंट लेगें ही। मेल टुडे अपने एडिटोरियल स्टैंडर्ड पर खरा नहीं उतरने वाले कंटेट को छापने के लिए बाध्य नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ अन्य मौकों पर, जब उनके कार्टून संवेदनशील मुद्दों पर थे, जिनमें विशेष समुदायों या अदालतें शामिल थीं, तो हमने उनके साथ चर्चा की और पारस्परिक रूप से सहमत होकर ही संशोधित संस्करण लिया है।’
उन्होंने आगे कहा कि निश्चित रूप से, आचार्य को हमारे साथ रचनात्मक मतभेदों का अधिकार है, इसलिए अखबार भी ऐसा करता है। निराधार आरोप लगाना और ऐसी बातें बनाना जिसका कुछ अस्तित्व ही नहीं है, सब बेकार हैं। हम किसी इकाई के निर्देशों पर कार्य नहीं करते हैं। हमारी ईमानदार संपादकीय भ्रष्टाचार से कोषो दूर है और आचार्य के झूठे आरोपों का उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इसके जवाब में सतीश ने ट्वीट कर कहा है कि मैंने अपनी फेसबुक पोस्ट में कार्टून रिजेक्ट होने के सारे कारण बताए हैं, अब एडिटोरियल स्टैंडर्ड के पीछे क्यों छिपना, जबकि वो लगातार बदलते रहते हैं।
बता दें कि सतीश एक फ्रीलांस कार्टूनिस्ट हैं और उनके कई कार्टून बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की खुद की वेबसाइट पर भी हैं।
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