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प्रसार भारती को तगड़ा झटका, स्‍वास्‍थ्‍य, कृषि और सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने खींचे हाथ

समाचार4मीडिया ब्यूरो निजी ब्रॉडकास्‍टर्स हमेशा से प्रसार भारती के लिए चुनौती रहे हैं और अब सरकार ने भी प्रसार भारती पर प्रचार के लिए आवंटित धन में कटौती शुरू कर दी है अथवा उसे वापस लेना शुरू कर दिया है। अपनी खोजपरक खबरों के लिए मशहूर इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने प्रसार भारती पर कैंपेन चला

समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago

समाचार4मीडिया ब्यूरो निजी ब्रॉडकास्‍टर्स हमेशा से प्रसार भारती के लिए चुनौती रहे हैं और अब सरकार ने भी प्रसार भारती पर प्रचार के लिए आवंटित धन में कटौती शुरू कर दी है अथवा उसे वापस लेना शुरू कर दिया है। अपनी खोजपरक खबरों के लिए मशहूर इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने प्रसार भारती पर कैंपेन चलाने के लिए निर्धारित की गई 100 करोड़ रुपये की रकम को वापस ले लिया है और कृषि मंत्रालय ने भी सूचना और प्रसार मंत्रालय से कुछ इसी तरह की बात कही है। सूचना और प्रसार मंत्रालय द्वारा हाल ही तैयार की गई प्रसार भारती की परफार्मेंस रिपोर्ट में कुछ इसी तरह की बातें सामने आई हैं। सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली तथा सूचना और प्रसारण राज्‍य मंत्री राज्‍यवर्धन सिंह राठौड़ इन विश्‍लेषणों पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे चुके हैं। मंत्रालय इस विश्‍लेषण रिपोर्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपने की तैयारी कर रहा है। यही नहीं, कुछ विभाग अब प्रसार भारती के कार्यक्रमों को लेकर सवाल भी उठाने लगे हैं। हाल ही में कृषि विभाग ने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘कृषि दर्शन’ को लेकर सवाल उठाते हुए उसे और सार्थक बनाने को कहा है। उच्‍च पदस्‍थ सूत्रों का मानना है कि बजट में कटौती का मतलब है कि प्रसार भारती का भरोसा और विश्‍वसनीयता कम हो रही है और इस तरह के कार्यक्रमों की व्‍यूअरशिप भी कम हो रही है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि Broadcast Audience Research Council (BARC) द्वारा तैयार की गई 15 जनरल ऐंटरटेनमेंट चैनल (GEC) की सूची में डीडी नेशनल 13वें नंबर पर है। इसके अलावा TAM Media Research द्वारा तैयार 14 चैनलों की सूची में इसका नंबर नौंवा है। बार्क के अनुसार 14 न्‍यूज चैनल के बीच डीडी न्‍यूज 8वें नंबर पर है और टैम की सूची में यह 18 चैनलों में दसवें नंबर पर है। इसी प्रकार बार्क की लिस्‍ट में 13 स्‍पोर्ट्स चैनल में डीडी स्‍पोर्ट्स 13वें नंबर पर है। डीडी के 18 और चैनलों का प्रदर्शन भी काफी खराब है। राज्‍यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी स्‍वीकार किया कि प्रसार भारती कमजोर पड़ रहा है। उन्‍होंने यह भी कहा कि इसे स्‍व:विश्‍लेषण करने की जरूरत है। प्रसार भारती की परफॉर्मेंस को लेकर सूचना और प्रसारण मंत्रालय किए गए विश्‍लेषण के बारे में इसके सीईओ जवाहर सरकार ने कहा, ‘प्रसार भारती कोई पब्लिक सेक्‍टर अंडरटेकिंग (PSU) या कंपनी नहीं है जो लाभ-हानि की बैलेंस शीट तैयार करे। यह सांविधिक स्वायत्तशासी निकाय (Statutory Autonomous Body) है, जिसे उन खास क्षेत्रों को भी कवर करना है, जिसे निजी ब्रॉडकास्‍टर्स नहीं करते हैं।’ सरकार ने कहा, ‘स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा बजट में कटौती कई कारणों से की गई है। हालांकि कुछ ऐसे ‘विभीषण’ भी हैं जो इसकी साख को बट्टा लगाने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्‍होंने कहा कि कृषि मंत्रालय के साथ कुछ मुद्दे हैं, जिन्‍हें लेकर प्रसार भारती के चेयरमैन की कृषि मंत्री से बात हो चुकी है। इस तरह के बेबुनियाद मामलों को जनता के बीच बेवजह उछाला जा रहा है। कुछ लोग अपने ही विभाग को लज्जित करना चाहते हैं, ऐसे लोगों को मात्र एक उदाहरण के आधार पर इसे कैसे ‘loss of trust’ यानी विश्वसनीयता में कमी कहने का अधिकार किसने दिया है। प्रसार भारती की दर्शक संख्‍या और इसके रेवेन्‍यू इस पर खर्च के मुकाबले बिल्‍कुल उलट हैं। ‘वर्ष 2012-13 में 1,608 करोड़ से बढ़कर 2014-2015 में प्रसार भारती का खर्च लगभग 15 प्रतिशत बढ़कर 1850 करोड़ रुपये हो गया। लेकिन इसका रेवेन्‍यू इसी समय अंतराल में 1137 करोड़ से करीब 13 प्रतिशत घटकर 999 करोड़ रुपये हो गया। मंत्रालय ने यह भी रेखांकित किया है कि दूरदर्शन केंद्रों का रेवेन्‍यू प्रतिशत उसके खर्च के मुकाबले घट रहा है और स्थिति तेजी से खराब होती जा रही है। रेवेन्‍यू और खर्च में अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2012-13 में जहां यह 470 करोड़ रुपये था, वह अंतर 2014-15 में बढ़कर 857 करोड़ रुपये हो गया है। रिपोर्ट में यह पाइंट भी उठाया गया है कि सितंबर 2012 में मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के आधार पर सरकार प्रसार भारती के कर्मचारियों और स्‍टाफ को 2017 तक वेतन देने के लिए प्रतिबद्ध है। संभावना है कि प्रसार भारती रेवेन्‍यू प्राप्‍त करने और अपने आप को थामने के लिए स्‍वत: प्रयास करेगा लेकिन यह अभी काफी दूर की बात लगती है। यह काफी आश्‍चर्यजनक होगा कि प्रसार भारती बोर्ड इस बार की मीटिंग में इन डाटा को स्‍वीकार कर लेगा और इसके निराशाजनक प्रदर्शन के कारणों का आकलन करेगा। आने वाले सालों में इस तरह का प्रदर्शन प्रसार भारती के लिए खतरे की घंटी है। सूत्रों का कहना है, ‘ऐसे में प्रसार भारती सफेद हाथी साबित हो रहा है और स्थिति खराब हो जाए, उससे पहले इसे सख्‍त कदम उठाने होंगे। ऐसे में इस विश्‍लेषण को प्रधानमंत्री कार्यालय में पेश कर वहां से सलाह मांगी जाएगी।’ कर्नल राज्‍यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा, ‘दूरदर्शन की दर्शक संख्‍या (viewership) को लेकर जारी किए गए आंकड़े सिर्फ शहरी क्षेत्रों के हैं और इनमें ग्रामीण क्षेत्रों के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है, जहां पर दूरदर्शन की काफी अच्‍छी दर्शक संख्‍या है। लेकिन प्रसार भारती को आत्‍मविश्‍लेषण जरूर करना चाहिए।’ समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


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