समाचार4मीडिया ब्यूरो अक्सर खबर को समझने या उस पर तेज एक्शन लेने में कौन सा टीवी चैनल आगे रहता है, क्रेडिट भी उसी को जाता है, कल एक बड़ी खबर में न्यूज24 बाजी मार ले गया। रायपुर के पत्रकारों को छत्तीसगढ़ पुलिस क
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो
अक्सर खबर को समझने या उस पर तेज एक्शन लेने में कौन सा टीवी चैनल आगे रहता है, क्रेडिट भी उसी को जाता है, कल एक बड़ी खबर में न्यूज24 बाजी मार ले गया। रायपुर के पत्रकारों को छत्तीसगढ़ पुलिस का एक नोटिस मिला, जो एक शहीद पीएसओ के परिवार के नाम था, जिसमें शहीद के अंतिम संस्कार के लिए दिए गए एडवांस दस हजार रुपयों को वापस करने की मांग की गई थी। ये अपने आप में एक बड़ी ही दिलचस्प खबर थी, जब इस तरह की मांग किसी शहीद के परिवार से की गई हो। सुबह होते होते सरकार ने वो नोटिस वापस ले लिया और क्रेडिट न्यूज 24 के हिस्से में गया, खुद शहीद के परिवार ने ऑन कैमरा ये माना कि न्यूज 24 के चलते ही उनसे ये नोटिस वापस लिया गया है।
सबसे दिलचस्प बात है कि छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के रहने वाले किशोर पांडेय जो 2011 में एक नक्सल मुठभेड़ के दौरान मारे गए थे, के परिवार को मिलने वाला ये पांचवां नोटिस था। मीडिया के हाथ तो अब जाकर आया। किशोर सरकार के साथ बतौर पीएसओ काम कर रहे थे, और इसी रमन सिंह की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पीएसओ की नियुक्ति पर सवाल उठाने पर उनकी जरूरत की जोरदार पैरवी की थी कि कैसे वो नक्सलियों से निपटने में कारगर रहते हैं।
हालांकि रायपुर की मीडिया में जब ये नोटिस आया तो ज्यादातर पत्रकारों ने इसे अपने सीरियस नोटिस में नहीं लिया। उसकी वजह भी थी, ना तो शहीद के परिवार की बाइट या विजुअल था, और ना ही फोटो, ना ही सरकार की तरफ से कोई रिएक्शन था। ऐसे में सबने इंतजार करना बेहतर समझा। लेकिन न्यूज24 के रायपुर रिपोर्टर जयप्रकाश त्रिपाठी और ब्यूरो चीफ गोविंद सिंह ने इसे फौरन दिल्ली में बैठे अपने संपादकों तक पहुंचाया और तय किया गया कि अगले बुलेटिन में ही इस स्टोरी को ब्रेक किया जाएगा। न्यूज 24 ने इसे रात को 8 बजे के बुलेटिन में ब्रेक किया, छत्तीसगढ़ से अजीत जोगी ने फोनो पर इस नोटिस की जमकर निंदा की। देर रात तक भी किसी और हिंदी, अंग्रेजी के बड़े चैनल ने ये खबर नहीं चलाई थी, लेकिन वो जुट चुके थे।
सुबह से सबने इस खबर को प्रमुखता से उठाया, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार शायद रात में ही तय कर चुकी थी कि ज्यादा किरकिरी होने से पहले ही इस नोटिस को वापस लिया जाए। रात भर उनको यही जानने में लग गया कि इस तरह का नोटिस आखिर चला कैसे गया और पांच-पांच नोटिस भेजे गए तो अधिकारियों को पता कैसे नहीं चला, जबकि पांचवे नोटिस की कॉपी भी लोकल एसपी को भेजी गई थी। जो भी हो, लेकिन न्यूज 24 के चलते एक गरीब शहीद के परिवार को जरूर राहत मिल गई।
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