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इंटरनेट पर सरकारी हथकड़ी

पिछले दिनों बुडापेस्ट में हुये इंटरनेट प्रशासन को लेकर एक साईबर स्पेश कान्फरेंस सम्पन्न हुआ जिसमें दुनिया भर के देशों के साथ भारत ने भी शिरकत की थी। इंटरनेट प्रशासन और नियंत्रण को लेकर पूरी दुनिया दो हिस्सों मे बंटी हुई है लेकिन इस वैचारिक मतभेदों के बीच ताकतवर देशों ने अपने अनुकूल कानून बनायें है और उसे बहुसंख्यक देशों पर थोपा है। इस दिशा में भारत

समाचार4मीडिया ब्यूरो 12 years ago

पिछले दिनों बुडापेस्ट में हुये इंटरनेट प्रशासन को लेकर एक साईबर स्पेश कान्फरेंस सम्पन्न हुआ जिसमें दुनिया भर के देशों के साथ भारत ने भी शिरकत की थी। इंटरनेट प्रशासन और नियंत्रण को लेकर पूरी दुनिया दो हिस्सों मे बंटी हुई है लेकिन इस वैचारिक मतभेदों के बीच ताकतवर देशों ने अपने अनुकूल कानून बनायें है और उसे बहुसंख्यक देशों पर थोपा है। इस दिशा में भारत नें एक नई पहल की है। भारत सरकार नें इंटरनेट नियमन तथा प्रशासन से सम्बन्धित नीतियों को आपसी सहयोग द्वारा बनाने पर बल दिया है। टेलीकॉम के राज्यमंत्री का कार्यभार संभाल रहे सचिन पायलट नें कहा है कि आईसीएएनएन के मुखिया से उनकी बात विस्तार से हुई है और उन्होनें तीसरी दुनिया के देशों को आईसीएएनएन में बेहतर तथा मजबूत उपस्थिति की बात की है। गौरतलब है कि मौजूदा संस्थान में तीसरी दुनिया के देशों की कोई आवाज नहीं हैं और इस संस्थान द्वारा इंटरनेट नियंत्रण होके कारण अमेरीका की नजर हमारे ईमेल तक पर रहती है। अमेरिका स्थित आईसीएएनएन एक बहुत व्यापक इंटरनेट नियमन कमेटी है जिसके कई स्तर हैं। इसमें एट लार्ज एडवाईजरी कमेटी(ए.एल.ए.सी),गवर्नमेन्टल एडवाइजरी कमेटी (गएच या गैक),रूट सर्वर सिस्टम एडवाजरी कमेटी (आरएसएसएसी) और दी सेक्यूरिटी एण्ड स्टेबिलीटी एडवाजरी कमेटी(एसएसएसी) सम्मिलित हैं। वर्तमान में आईसीएएनएन ही प्रमुख पुलिस है जिसका कार्यालय कैलिफोर्निया में है। क्लिंटन के समय से इंनटरनेट का नियंत्रण अमेरिका के हाथों में है क्योकि आईसीएएनएन को अमेरीकी सरकार देखती है। जेनेवा में इंटरनेट नियंत्रण पर हुई बैठक में रूस, चीन, उजबेकिस्तान और तजाकिस्तान जैसे देश उस प्रशासनिक मॉडल को ही बेहतर बता रहे हैं जो इंटरनेट को यूएन के नियंत्रण में रखे जबकि यूरोपीय देश वर्तमान यूएन नियंत्रित आईसीएएनएन नियंत्रण को विसंरचित करने के पक्षधर हैं। रूस पहले से ही एक अलग संस्था के पक्ष मे है। उसका कहना है कि एक टेलीकॉम यूनियन के द्वारा इंटरनेट पर अन्तर्राष्ट्रीय नियमन किया जाये। यह समझौते से बना संस्थान होगा जिसपर यूनाईटेड नेशन्स का नियंत्रण होगा। दूसरी तरफ कम्यूनिस्ट चीन भी यूएन के नियंत्रण के पक्ष में है। भारत में मध्यमार्ग अपनाया है जिसमें यूएन-सीआईआरपी नियंत्रण को तरजीह दी गई है। भारत नें यूनाईटेड नेशन्स जनरल एसेम्बली में इंटरनेट पर सरकारी नियंत्रण के बावत जिस प्रस्ताव पर सहमति जताई है वह उसके वर्तमान एकरेखिय नियंत्रण से अलग अनेक सस्थाओ, स्टेक होल्डर्स, प्राईवेट बॉडिज इत्यादि द्वारा जनतांत्रिक ठंग से नियंत्रित किया जायेगा। भारत इंटरनेट संबन्धित पॉलिसी के लिये यूएन कमेटी(यून-सीआईआरपी) को ज्यादा तवज्जो देगी। यह इंटरनेट से सम्बन्धित नीतिगत संस्थानों, इंटरनेट से सम्बंधित समझौतों, तथा विवादों को समग्रता में देखेगी। सीआईआरपी वास्तव में यूएन द्वारा ही स्थापित किया गया था और यूएन के ही कान्फरेन्स ऑन ट्रेड एण्ड डेवलपमेन्ट आर्म के कर्मचारियों द्वारा ही चलाया जाता है। गौरतलब है कि वे अपनी गतिविधियों की जानकारी सीधे यूएन जनरल एसेम्बली को देते हैं। इसका अर्थ है मूलभुत रूप से यह यूनाईटेड नेशन्स की निगरानी मे है भले ही उसमें अमेरिका अपनी मनमानी अन्य संस्थानो की तरह करता है। सचिन पायलट का कहना है कि  देशों की इस मुद्दे पर दृष्टि अतिवादी है जो इंटरनेट प्रशासन को एक बाल्कनीकरण की तरफ ले जा सकता है, हम ऐसी किसी नीति के खिलाफ हैं। हम अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा या सरकारों द्वारा भी नियंत्रण के पक्ष में नहीं है। हम इस मुद्दे पर एक विस्तृत सम्वाद के पक्ष में हैं। यून-सीआईआरपी पहले ही अमेरीकी नियंत्रण वाले आईसीएएनएन से अलग होने की तरफ है। यह एक नये बदलाव का संकेत है। भारत एक नये मसौदे के साथ पुनः उपस्थित होने वाले जबकि वर्तमान इंटरनेट नियमन में बदलावों के लिये भारत ने अपना पक्ष मजबूती से रखा है। कहा जा रहा है कि जेनेवा में हुये इंटरनेट साईबर स्पेश कान्फरेंस के बाद भारतीय इंटरनेट कानून आईटी रूल्स-2011 का प्रभाव सीमित हो जायेगा। जो भी हो यह एक अच्छी खबर है, कम से कम नेटीजन को सीआईए नियंत्रित आईसीएएनएन से मुक्ति मिलेगी। समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


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