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नेता कैसे चलाते हैं झूठी खबरें, जाने यहां...
फर्जी खबरों पर रोक लगाने को लेकर जहां दुनियाभर में तमाम उपाय किए जा रहे हों...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
फर्जी खबरों पर रोक लगाने को लेकर जहां दुनियाभर में तमाम उपाय किए जा रहे हों, ऐसे में यह खबर सामने आना कि सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाने में राजनीतिक दल और सरकारी एजेंसियां सबसे आगे हैं। बड़ी ही अचम्भित करती है। ये बात ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट में भी यह भी बताया गया है कि राजनीतिक दल और सरकारी एजेंसियां फर्जी खबरें फैलाने के साथ ही सेंसरशिप का प्रयोग करने, सार्वजनिक संगठनों, विज्ञान और मीडिया में लोगों का भरोसा कम करने के लिए करोड़ों रुपए भी खर्च करते हैं, या यूं कहें कि फर्जी खबरें फैलाने के लिए ये लोग लाखों डॉलर खर्च कर रहे हैं।
रिपोर्ट में पाया गया है कि यह समस्या वैश्विक स्तर पर बहुत बढ़ रही है। दुनियाभर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों की सोच को तोड़-मरोड़कर पेश करना एक गंभीर खतरे के रूप में सामने आ रहा है।
रिपोर्ट के सह लेखक समंता ब्रैडशॉ ने कहा, ‘ऐसे देश जहां औपचारिक रूप से सोशल मीडिया में संगठित हेर-फेर होता है, उनकी संख्या 28 से बढ़कर 48 हो गई है।’ब्रैडशॉ ने कहा, ‘इसमें वृद्धि राजनीतिक दलों की वजह से हुई है जो चुनाव के दौरान गलत सूचनाएं फैलाते हैं।’
उन्होंने कहा कि ऐसे राजनीतिक दलों की संख्या बढ़ी है, जिन्होंने ब्रेग्जिट और अमेरिका के 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान की रणनीतियों से सीख ली। प्रचार करने वाले फर्जी खबरों और गलत सूचना का इस्तेमाल धुव्रीकरण और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कर रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि यह सब तब हो रहा है जब कई लोकतांत्रिक देशों में इंटरनेट पर फर्जी खबरों का मुकाबला करने के लिए नए कानून बनाए गए हैं।
वहीं, इस रिपोर्ट के शोधकर्ता फिल हॉवर्ड ने बताया, ‘समस्या ये है कि फेक न्यूज को रोकने के लिए जो टास्क फोर्स बनाए गए हैं उनका इस्तेमाल सत्तावादी शासन में सेंसरशिप को वैध करने के लिए एक हथियार के रूप में किया जा रहा है।’
ब्रैडशॉ ने कहा, ‘फर्जी खबरों का प्रचार अब चैटिंग ऐप और वैकल्पिक प्लेटफॉर्म पर बढ़ रहा है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक दलों द्वारा रणनीतिक रूप से फर्जी अकाउंट के जरिए पार्टी के पक्ष में खबरें फैलाई जा रही हैं। अपनी पार्टी के संदेशों को ट्रेंड कराने के लिए खास शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
हॉवर्ड ने कहा कि फर्जी खबरों को चलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल संगठित रूप से हो रहा है और ये एक बहुत बड़ा व्यापार है। हजारों-लाखों डॉलर इसके लिए खर्च किए जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘थोड़ा बहुत पैसा सही तरीके से सोशल मीडिया पर प्रचारके लिए खर्च किया जा सकता है लेकिन सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है।’
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