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जानें, जब BBC से मिला कमाई का चेक तो क्या बोले सचिन पायलट...
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता के बाद सचिन पायलट को राजस्थान का...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता के बाद सचिन पायलट को राजस्थान का उप मुख्यमंत्री चुना गया है। लेकिन शायद बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि सचिन पायलट शुरुआत में राजनीति में नहीं आना चाहते थे और उन्होंने पत्रकार के रूप में पहली कमाई की थी।
सचिन पायलट से जुड़ी इसी तरह की बातों को लेकर हिंदी वेबसाइट ‘दिप्रिंट’ में वरिष्ठ पत्रकार रेणु आगाल ने एक आर्टिकल के जरिये अपना संस्मरण शेयर किया है।
इस आर्टिकल में रेणु आगाल ने बताया, ‘बात 1996 की है, जब ‘बीबीसी’ के आइफैक्स स्थित दिल्ली ब्यूरो में कांग्रेस के कद्दावर नेता राजेश पायलट ने अपने बेटे सचिन पायलट को इंटर्नशिप के लिए भेजा था। राजेश पायलट तब केंद्रीय मंत्री थे, उस समय मैं बीबीसी की हिंदी सेवा में काम करती थी। सचिन तब रेडियो पत्रकारिता करने के लिए तत्पर थे।’
आर्टिकल के अनुसार, सचिन को एक कहानी पर काम दिया गया और उन्होंने ये काम दिल लगा कर किया। तब हरियाणा में शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा बन कर उभरा था। शराबबंदी रहे या हटाई जाए, इस सवाल पर बहस चल रही थी। बीबीसी की टीम मामले को कवर करने हरियाणा जा रही थी, जिसमें सचिन भी साथ गए। फिर टीम की मदद से सचिन ने स्क्रिप्ट लिखी और एक रेडियो पैकेज तैयार किया, जो बीबीसी पर प्रसारित भी हुआ। इस काम के लिए सचिन को 20-30 पाउंड की ‘बड़ी’ धनराशि भी मिली।
आगाल का कहना है, ‘अपनी 20-30 पाउंड की पहली कमाई के चेक को देखकर सचिन इतने खुश थे कि उन्होंने कहा कि ये चेक वो कभी भुनाएंगे नहीं, क्योंकि ये उनकी पहली तनख्वाह का चेक था। सचिन का रेडियो पैकेज चला तो वे इतने खुश थे कि उन्होंने नए साल पर पूरे ऑफिस को मिठाई खिलाई।
ये तब की बात है जब वे अमरीका में यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया में एमबीए कर रहे थे। सचिन ने इससे पहले दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कालेज से स्नातक और आईएमटी ग़ाजियाबाद से मार्केटिंग में एमबीए किया था।
आर्टिकल में कहा गया है कि छुट्टियों में अपने पिता के कहने पर सचिन बीबीसी में काम करने चले आए। जब राजनीति की चर्चा हुई तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि वे भाजपा में शामिल होंगे, ताकि दोनों पिता-पुत्र अलग-अलग पार्टी में रहें और उनके हमेशा अच्छे दिन रहें। हालांकि, उस उम्र में वे राजनीति में आना नहीं चाहते थे, वे अपनी पढ़ाई और करियर बनाने में लगे थे।
आगाल के अनुसार, ‘मेरे एक सहयोगी राम सुब्रमण्यम याद करते हैं कि जब सतीश जैकब सचिन को लेकर आए तो मैंने (सुब्रमण्यम ने) सचिन से कह दिया कि ये भूल जाना कि तुम राजेश पायलट के बेटे हो, मैं तुम्हें वीआईपी के बेटे की तरह नहीं ट्रीट करूंगा।’ सचिन का जवाब था, ‘मैं भी यही चाहता हूं। मैं अपने पिता की छाया में नहीं रहना चाहता। मैं अपने बूते पर जीवन में कुछ बनना चाहता हूं।’
उस समय जब वे काम पर जाते तो उनके सुरक्षा गार्ड भी साथ होते और ये बाद में उनके लिए मुश्किल पेश करने लगा तो उन्होंने बाकी की इंटर्नशिप दफ्तर में ही पूरी की। राजेश पायलट परिवार को उस समय उनके केंद्रीय मंत्री होने के नाते भारी सुरक्षा मिली हुई थी।
फिर जयपुर के पास एक कार हादसे में राजेश पायलट की मृत्यु हो गई और फिर उनकी पत्नी रमा पायलट ने और बाद में उनके पुत्र ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया। वहां से अपने बूते सचिन पायलट राजनीति में कितना आगे बढ़ चुके हैं कि आज राजस्थान के उप मुख्यमंत्री चुने गए हैं। वे यूपीए 2 में मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्रिमंडल में कॉरपोरेट अफेयर्स के मंत्री रहे हैं। राजनीति में अपने पिता राजेश पायलट के पदचिन्हों पर चल कर आज सचिन कह सकते हैं कि वे अपने पिता की छाया से निकल एक कद्दावर नेता के रूप में उभरे हैं।
आखिर में आगाल का कहना है, ‘अगली बार जब मैं उनसे मिलूंगी तो ज़रूर पूछूंगी कि क्या उन्होंने कभी उस चेक को भुनाया!’
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