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सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पत्रकारों को दिया ‘खुला ऑफर’
पुरस्कारों का पहुंच से बहुत पुराना रिश्ता है और पत्रकारिता भी इससे...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
पुरस्कारों का 'पहुंच' से बहुत पुराना रिश्ता है और पत्रकारिता भी इससे अछूती नहीं है। समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हालिया बयान से यह एक बार फिर साबित हो गया है। हालांकि, अखिलेश ने जो कुछ कहा मजाकिया लहजे में कहा, लेकिन वो यह संकेत ज़रूर दे गए कि सपा के पक्ष में लिखने वाले पत्रकार उनकी गुडलिस्ट में शामिल रहेंगे।
दरअसल, लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्येक राजनीतिक दल जनता को लुभाने की रणनीति तैयार करने में लगा है। जनमानस के ज़हन में सियासी दलों और उनके प्रतिनिधियों की छवि बनाने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है, इसलिए नेता किसी न किसी तरह से पत्रकारों को भी प्रभावित करने में लगे हैं। इसी का नज़ारा सोमवार को अखिलेश यादव की प्रेस कांफ्रेंस में देखने को मिला।
अखिलेश ने प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत भाजपा पर हमले से की, इसके बाद उन्होंने पत्रकारों पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया। बातों-बातों में उन्होंने एक तरह से पत्रकारों को खुला 'ऑफर' देते हुए कहा कि यदि पत्रकार समाजवादी पार्टी के लिए अच्छी स्टोरी करेंगे, तो वह सत्ता में वापस आने पर उन्हें 'यश भारती' से सम्मानित करेंगे, साथ ही उन्हें 50 हजार रुपए भी दिए जाएंगे।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक महिला पत्रकार ने अखिलेश यादव से सवाल पूछा था, जिसके जवाब में उन्होंने यह ऑफर दिया। अखिलेश ने बाकायदा उक्त पत्रकार को संबोधित करते हुए कहा कि ‘अगर आप अपने कार्य में अच्छी रहेंगी, तो कई पत्रकारों को हमने ‘यश भारती’ दिया है, आपको भी 50 हजार रुपए महीना मिलेगा। इसके लिए आपको समाजवादी पार्टी की अच्छी स्टोरी लिखनी पड़ेगी’। सपा प्रमुख यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा ‘अगर आज से आप लिखना शुरू करें तो ढाई साल में इतना हो जाएगा कि अगला कोई सम्मान आपको प्राप्त होगा। आप नई आई हैं, आपको शायद ये बात नहीं मालूम होगी, हमारे कुछ पत्रकार साथी हैं, उन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है’।
अखिलेश के इस ऑफर के बाद पूरे हॉल में ठहाके गूंजने लगे। वो खुद भी मुस्कुराये और फिर बात घुमाते हुए भाजपा को कोसना शुरू कर दिया। इसे एक पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा किया गया मजाक कहा जा सकता है, लेकिन इस मजाक में ही उन्होंने यह दर्शाया दिया कि ‘साइकिल’ का समर्थन करने वाले कुछ पत्रकारों को उन्होंने ‘सम्मान’ रूपी सौगात से नवाज़ा है और यही परंपरा आगे भी चलती रहेगी। यानी पुरस्कारों का 'पहुंच' से जो रिश्ता है, वो बरक़रार रहेगा। अब ये प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद पत्रकारों पर है कि वो इसे महज मजाक के रूप में लेते हैं, या ‘अवसर’ के।
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