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प्रभात खबर के संपादक हरिवंश और आज समाज के संपादक रहे मधुकर उपाध्याय विश्व हिंदी समम्मेलन में सम्मानित
जोहांनिसबर्ग में हो रहे विश्व हिंदी सम्मेलन में हिंदी भाषा को देश दुनिया में प्रोत्साहित और संवर्धित करने के लिए जिन 19 भारतीय विद्वानों को सम्मानित किया गया है उनमें प्रभात खबर के संपादक हरिवंश और आज समाज के संपादक रहे मधुकर उपाध्याय के नाम भी शामिल हैं। इनके अलावा नौंवे विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रोफेसर एस शेषरत्नम, बालकवि बैरागी तथा मधुकर उपाध्या
समाचार4मीडिया ब्यूरो 12 years ago
जोहांनिसबर्ग में हो रहे विश्व हिंदी सम्मेलन में हिंदी भाषा को देश दुनिया में प्रोत्साहित और संवर्धित करने के लिए जिन 19 भारतीय विद्वानों को सम्मानित किया गया है उनमें प्रभात खबर के संपादक हरिवंश और आज समाज के संपादक रहे मधुकर उपाध्याय के नाम भी शामिल हैं। इनके अलावा नौंवे विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रोफेसर एस शेषरत्नम, बालकवि बैरागी तथा मधुकर उपाध्याय समेत कुल 19 विद्वानों को हिंदी की सेवा के लिए सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान पाने वाले अन्य भारतीय विद्वानों में हिमांशु जोशी , राजेन्द्र प्रसाद मिश्र , कैलाश चंद्र पंत , एम पियोंग तेजमन जमीर, प्रोफेसर सी ई जीनी, डा रामगोपाल शर्मा दिनेश, प्रोफेसर जाबिर हुसैन , प्रोफेसर मधुसूदन त्रिपाठी, ज्ञान चतुर्वेदी , प्रोफेसर बी वाई ललिताम्बा , उषा गांगुली, डा के वंजा, डा गिरिजा शंकर त्रिवेदी, हरिवंश , जियालाल आर्य और प्रोफेसर वाई लक्ष्मीप्रसाद शामिल हैं। इन भारतीय विद्वानों के अलावा दुनिया के विभिन्न देशों में हिंदी भाषा की अलख जगाने वाले 22 विदेशी हिंदी विद्वानों को भी उनके योगदान के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया. इनमें आस्ट्रेलिया के डॉ पीटर गेराल्ड फ्रेडलान्डर , रुस के प्रोफेसर सेर्गेई सेरेबिरयानी, चेक गणराज्य के डॉ डगमार मार्कोवा, इटली के मार्को जोली, चीन के प्रोफेसर ल्यू अन्वूक , मारीशस की डा बूधू , थाइलैंड के बमरुंग खाम एक , श्रीलंका के प्रोफेसर उपुल रंजीत हेवाताना गामेज , बुल्गारिया की वान्या जार्जिवा गंचेवा, अफगानिस्तान के जबुल्लाह फीकरी, उक्रेन की कैटरीना बालेरीवा दोवबन्या, ब्रिटेन के डॉ कृष्ण कुमार , जर्मनी के इंदुप्रकाश पांडेय , जर्मनी की ही डॉ बारबरा लार्डत्स , मारीशस के सत्यदेव टेंगर , जापान के प्रोफेसर टिकेदी इशिदा और डॉ तोरमाचो किकुची , ब्रिटेन के विजय राणा, सूरीनाम के भोलानाथ नारायण , दक्षिण अफ्रीका के रामभजन सीताराम तथा अमेरिका के वेदप्रकाश बदुक शामिल हैं। नौंवे विश्व हिंदी सम्मेलन में लोकतंत्र और मीडिया की भाषा के रुप में हिंदी विषय पर आयोजित सत्र में विभिन्न विद्वानों ने कहा कि अन्य भाषाओं के प्रति शत्रुता के भाव को त्यागने से ही हिंदी का भला होगा। इस विषय पर बोलते हुए नया ज्ञानोदय के संपादक रविन्द्र कालिया ने इस सत्र के अपने मुख्य वक्तव्य में कहा कि हिंदी के नाम पर टसुए बहाने और गौरवान्वित होने का आज माहौल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत में आजादी के बाद हिंदी के जो शब्द बने, वे हमारी भाषा के लिए और भी खतरनाक साबित हुए. पहले पारिभाषिक शब्द और बाद में आकाशवाणी की हिंदी ने हिंदी की दुर्दशा में खतरनाक भूमिका निभायी। उन्होंने कहा कि हिंदी को पानी की तरह बहने देना चाहिए और इसके साथ ही जरुरी है कि अन्य भाषाओं के प्रति शत्रुता का भाव नहीं रखा जाए. हम बोलियों को मजबूत करेंगे तो हिंदी और मजबूत होगी। हिंदुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर ने अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी की शुरुआत मशहूर शायर कैफी आजमी की नज्म की इन पंक्तियों से की आज की रात गर्म हवा चलती है, आज की रात फुटपाथ पर नींद नहीं आएगी, तुम उठो, तुम सब उठो, कोई खिडकी इस दीवार में उठ जाएगी. उन्होंने आशाभरे शब्दों में कहा कि वह गिलास को आधा भरा देखते हैं, खाली नहीं. उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें भविष्यवाणी की गयी है कि 2043 में संसार का आखिरी अखबार छपेगा। समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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