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यूपी पुलिस के बारे में महिला पत्रकार की ये आपबीती बहुत कुछ कहती है...
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसके बावजूद पुलिस अब तक कई मामलों का खुलासा नहीं कर पाई है। और तो और, कई मामलों में तो पुलिस भी पत्रकारों का उत्पीड़न करने से बाज नहीं आती है। यदि यह कहा जाए कि प्रदेश के पत्रकार किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं हैं, तो अतिशयोक्ति नहीं हो
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसके बावजूद पुलिस अब तक कई मामलों का खुलासा नहीं कर पाई है। और तो और, कई मामलों में तो पुलिस भी पत्रकारों का उत्पीड़न करने से बाज नहीं आती है। यदि यह कहा जाए कि प्रदेश के पत्रकार किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं हैं, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। पुलिसिया उत्पीड़न का ऐसा ही एक मामला उठाया है उत्तर प्रदेश में महिला पत्रकारों द्वारा संचालित अखबार ‘खबर लहरिया’ की पत्रकार कविता ने। उन्होंने अपने लेख के जरिए एक व्यक्ति की बदमाशी का जिक्र तो किया ही है, साथ ही पुलिस का वह चेहरा भी आम आदमी के समक्ष रखने की कोशिश की है, जिसके बारे में प्रदेश की पुलिस कुख्यात है। अपने लेख में कविता सिंह का कहना है कि एक ओर तो देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर तमाम बड़ी-बड़ी बातें होती हैं और जरूरत पड़ने पर सुरक्षा के लिए पुलिस के पास जाने को कहा जाता है। लेकिन जब पीडि़त खासकर महिलाएं पुलिस के पास जाती हैं तो उन्हें कमोबेश जिस तरह की परिस्थिति से भुगतना पड़ता है, वह उन्हें अंदर तक तोड़कर रख देता है। कविता सिंह के अनुसार, जब महिला पत्रकार के साथ पुलिस का यह सुलूक हैं तो फिर आम महिलाएं किस तरह पुलिस की ज्यादती का शिकार होती होंगी, इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। कविता का कहना है कि अनजान व्यक्ति द्वारा उन्हें व स्टाफ को लगातार फोन पर परेशान किया जा रहा है और गाली-गलौज की जा रही है। इसकी शिकायत करने पर उन्हें पुलिस की तरफ से जो प्रतिक्रिया मिली, उसने उन्हें काफी हैरान कर दिया। इंस्पेक्टर ने मुझसे फोन पर कहा कि मैं वे गालियां बोलकर बताऊं जो मुझे फोन पर दी गई, साथ ही उसी तरह से बोलूं जिस तरह मुझे दी गई थीं। कविता ने अपने लेख के जरिये बताया है कि किस तरह तरह पुलिस ने जांच के नाम पर उनसे भद्दे-भद्दे सवाल पूछे और कार्रवाई के नाम पर थाने-चौकियों के चक्कर लगवाते रहे, जबकि आरोपी अभी भी उन्हें व स्टाफ को परेशान कर रहा है। इसके बावजूद सुनवाई नहीं हो रही है। कविता के पूरे लेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं। http://theladiesfinger.com/the-policeman-said-why-dont-you-tell-me-what-gaalis-he-whispers-in-your-ear/
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