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अंडरग्रेजुएट जर्नलिज्म कोर्सों के बंद कर देना चाहिए, बोले मीडिया प्रोफेशनल्स
समाचार4मीडिया ब्यूरो देश में जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन इंस्टिट्यूट्स बड़ी संख्या में है और ये संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। इन संस्थानों में स्नातक, परास्नातक, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा से लेकर डिप्लोमा और सर्टिफिकेट प्रोग्राम जैसे न जाने कितने कोर्स कराए जा रहे हैं। इस बारे में नई दिल्ली
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो
देश में जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन इंस्टिट्यूट्स बड़ी संख्या में है और ये संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। इन संस्थानों में स्नातक, परास्नातक, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा से लेकर डिप्लोमा और सर्टिफिकेट प्रोग्राम जैसे न जाने कितने कोर्स कराए जा रहे हैं।
इस बारे में नई दिल्ली की सीएमएस एकेडमी (CMS Academy) द्वारा कराए गए सर्वे में खुलासा हुआ कि अधिकांश इंस्टिट्यूट्स में कराए जा रहे कोर्सों में तमाम विसंगतियां हैं और इनका कोई मापदंड भी नहीं है। इन मापदंडों के अभाव में कोई भी व्यक्ति इन कोर्स व इंस्टिट्यूट्स की पढ़ाई की गुणवत्ता का आकलन नहीं कर सकता है। इस सर्वे में यह सच्चाई सामने आने के बाद भारत में मीडिया और कम्युनिकेशन शिक्षा के दृष्टिकोण को लेकर दिल्ली के इंडिया इटरनेशनल सेंटर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस संगोष्ठी में सीएमएस के चेयरमैन डॉ. एनबी राव ने कहा, ‘मीडिया और कम्युनिकेशन सेक्टर के आंतरिक संबंधों के निरीक्षण के लिए लंबे समय तक उनकी निगरानी काफी महत्वपूर्ण है।’
इस सर्वे की प्रमुख और डायरेक्टर जनरल पीएस वसंती ने कहा, ‘भारत में मीडिया और कम्युनिकेशन शिक्षा के लिए एक सिस्टम बनाए जाने की जरूरत है। ’
दिन भर चली संगोष्ठी में 40 से ज्यादा वक्ताओं ने भाग लिया और सभी ने देश में मीडिया और कम्युनिकेशन के लिए मापदंड निर्धारित करने को लेकर अपने विचार रखे। सीएमएस एकेडमी द्वारा कराई गई संगोष्ठी में सात प्रमुख मापदंड निकलकर सामने आए, जो निम्म हैं...
1-Student Quality
2-Teacher Quality
3-Learning & Teaching Resources
4-Curriculum Quality
5-Learning & Teaching Practices/Quality
6-Employability & Entrepreneurial Ability/Knowledge & Skills Acquisition Quality
7-Vision, Leadership, Research & Innovation
इन मापदंडों को तय करने के लिए बनाए गए ग्रुप में शामिल वरिष्ठ शिक्षाविद्, पत्रकार, मीडिया आलोचक और शोधकर्ताओं ने अपने विचार रखे। इनके आधार पर सीएमएस एकेडमी को मीडिया कोर्सों को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए मापदंड तय करने में काफी आसानी होगी।
विजन फॉर मीडिया एंड कम्युनिकेशन इन इंडिया :
विजन फॉर मीडिया एंड कम्युनिकेशन इन इंडिया को लेकर आयोजित पैनल डिस्कशन में मीडिया एजुकेशन सेक्टर के मानकीकरण (standardizing) की जरूरत पर बल दिया गया। पैनल में शामिल लोगों ने यह भी महसूस किया कि ऐसे कई कारण हैं जो इस सेक्टर को कमजोर बना रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कमर वाहिद नकवी ने कहा, ‘पत्रकारिता के अंडर ग्रेजुएट कोर्सों को बंद कर देना चाहिए क्योंकि पत्रकारिता को समझने से पूर्व विद्यार्थियों की नींव मजबूत करने की जरूरत होती है।’
सर्वे में शामिल रहे डॉ. नलिनी राजन और प्रोफेसर बीपी संजय ने फिर दोहराया कि मीडिया एजुकेशन सेक्टर को विद्यार्थियों को इस तरह प्रशिक्षित करना चाहिए जिससे वे इंडस्ट्री की जरूरतों को पूरा कर सकें। डिजिटल के बढ़ते प्रभाव के कारर्ण न्यूज मीडिया की कार्यप्रणाली भी बदल रही है जबकि न्यूज मीडिया एजुकेशन सेक्टर ने इस दिशा में आगे बढ़ने का कोई प्रयास नहीं किया है।
मीडिया एजुकेशन सेक्टर के बारे में बीबीसी हिंदी के निधीश त्यागी ने कहा कि पत्रकारिता की पढ़ाई सिर्फ क्लासरूम में ही नहीं बल्कि उसके बाहर फोकस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा प्रोफशनल्स न्यूज स्टोरी के लिए गूगल का सहारा ले रहे हैं, जो ठीक नहीं है।
ग्रुप डिस्कशन - इसके बाद Media & Communication Industry Requirements और Employer Expectations and Harmonizing Curriculum and Teaching Practices को लेकर ग्रुप डिस्कशन भी हुआ। इस ग्रुप डिस्कशन में शामिल सभी लोगों का मानना था कि पाठ्यक्रम को इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार विकसित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम को नियमित अंतराल पर अपडेट करते रहने की जरूरत है और इसकी फैकल्टी को प्रशिक्षित किए जाने की जरूरत है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। इसके बाद Indicators of Quality Media and Communication Education पर फाइनल पैनल डिस्कशन हुआ जिसमें इंडस्ट्री से जुड़े प्रोफशनल्स ने युवा प्रोफेशनल्स की क्वालिटी को लेकर विचार-विमर्श किया।
डीडी न्यूज के कंसल्टिंग एडिटर केजी सुरेश ने कहा, ‘पत्रकारिता के संस्थान इस इंडस्ट्री में हो रहे बदलावों की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।’
ऐडवर्टाइजिंग प्रोफेशनल राजकुमार झा ने कहा कि मीडिया और कम्युनिकेशन इंस्टीट्यूट्स को विद्यार्थियों की पढ़ाई में बदलाव लाने की जरूरत है। कोर्स के दौरान विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा प्रोफेशनल एक्सपीरिएंस दिया जाना चाहिए जो इंडस्ट्री की वर्तमान जरूरतों को पूरा करने में महत्वूपर्ण भूमिका निभा सकता है।’
गौरतलब हैकि सीएमएस एकेडमी एक ट्रेनिंग और रिसोर्स सेंटर है जो मीडिया और कम्युनिकेशन एजुकेशन के लिए क्वॉलिटी प्रोफेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाता है। इसके रिसर्च आधारित प्रोग्राम विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी होते हैं।
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