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हम अंग्रेजी न्यूज चैनल लाने की तैयारी कर रहे हैं: डॉ. सुभाष चंद्रा
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। देश में अंग्रेजी न्यूज चैनल लाने के लिए इन दिनों CNN के साथ Essel Group और Zee के बीच समझौते को लेकर अटकलबाजियों का दौर चल रहा है। इस संबंध में पत्रकारों से बातचीत करते हुए Essel Group और Zee के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा, ‘अंग्रेजी न
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
देश में अंग्रेजी न्यूज चैनल लाने के लिए इन दिनों CNN के साथ Essel Group और Zee के बीच समझौते को लेकर अटकलबाजियों का दौर चल रहा है। इस संबंध में पत्रकारों से बातचीत करते हुए Essel Group और Zee के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा, ‘अंग्रेजी न्यूज चैनल के लिए पार्टनरशिप करने को लेकर हमारी उनसे बातचीत तो चल रही है लेकिन हम उनकी ब्रैंडिंग को देखकर ऐसा नहीं कर रहे हैं। देश में इस समय वैश्विक परिप्रेक्ष्य (global outlook) में एक न्यूज चैनल की काफी जरूरत है। हमें ऐसा कंटेंट प्रस्तुत करने की जरूरत है जिसमें ग्लोबल अहसास हो, इसके अलावा हम ग्लोबल स्तर की न्यूज भी पेश करना चाहते हैं।’
डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा, ‘हम एक ग्लोबल न्यूज चैनल लाने की योजना पर जोर-शोर से काम कर रहे हैं, यह CNN के साथ भी हो सकता है और बिना उसके भी।’
इस अवसर पर मीडियकर्मियों ने उनसे कुछ सवाल भी किए। प्रस्तुत हैं उनके अंश।
डिजिटल ने न्यूज मीडिया को कितना प्रभावित किया है?
आज का भारतीय युवा वर्ग समाचारों के लिए न तो अखबार पढ़ रहा है और न ही टेलिविजन देख रहा है। ऐसे में युवाओं के लिए समाचारों को प्राप्त करने का माध्यम टेलिविजन और प्रिंट नहीं है। वे इंटरनेट के माध्यम से न्यूज प्राप्त कर रहे हैं। वे उसी मुद्दे को चुनते हैं जो उनकी पसंद का हो या जिसके बारे में उनके ग्रुप में बात होती हो। ऐसे में किसी व्यक्ति और न्यूज के बारे में अंतर को लेकर लोगों के दिमाग में कंफ्यूजन है। ऐसे में घड़ी का पेंडुलम (pendulum) स्थिर होने की बजाय एक ही दिशा में झुकता जा रहा है। लेकिन मेरा मानना है कि यह कुछ सालों बाद फिर से बैलेंस हो जाएगा। सही-गलत और सच-झूठ के बारे में लोग ही निर्णय लेंगे।
डिजिटल के लिए Zee खुद को किस तरह तैयार कर रहा है ?
हमारे न्यूज चैनल सिर्फ पीक टाइम में ही न्यूज प्रसारित नहीं कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नौ बजे की न्यूज दिन में कभी भी ऑनलाइन एयर की जा सकती है। दर्शक जब चाहे अपनी पसंद के गैजेट पर इसे देख सकता है। अब इसको तय करने का अधिकार हमारे हाथ से निकलकर दर्शकों के हाथ में जा चुका है।
हम अपने दर्शकों को अपने एंटरटेनमेंट चैनलों को ऑनलाइन देखने का मौका भी देते हैं। उदाहरण के लिए- यदि आप किसी शो को मिस कर देते हैं तो आप इसे 30 दिनों के अंदर कभी भी वेबसाइट पर मुफ्त में देख सकते हैं।
हालांकि हम बाद में इसके लिए कीमत वसूलने की योजना बना रहे हैं। मुफ्त में कंटेंट उपलब्ध करा रहीं दूसरी साइट्स को भी यही करना होगा, फिर चाहे इसके लिए कंज्यूमर से पैसा वसूला जाए अथवा विज्ञापन से, यह बाद की बात है।
डिजिटल ने आजकल न्यूज के मायने ही बदल दिए हैं। ऐसे में न्यूज मीडिया किस तरह उसके सामने टिका रह सकता है?
आपको इंफॉर्मेशन के सोर्स को लेकर ज्यादा से ज्यादा पारदर्शी बनना होगा। कई बार यदि आपका सोर्स नहीं चाहता है कि उसकी पहचान किसी तरह से उजागर हो तो जरूरत पड़ने पर उसकी फोटो को धुंधला (blur) भी किया जा सकता है, जिससे उसकी पहचान गुप्त रहे। आजकल लोग सीधे न्यूज के बारे में बात करते हैं, वे हमारे ओपिनियन (opinion) जानना नहीं चाहते हैं। वे खुद ही निर्णय लेना चाहते हैं कि क्या सही है और क्या गलत और इसमें वे किसी की दखलअंदाजी नहीं चाहते।
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