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जानें, सऊदी अरब के टीवी चैनल ने ऐसा क्या कहा कि इराक में हुआ बंद

इराक़ी नियामक प्राधिकरण ने सऊदी अरब के स्वामित्व वाले एक प्रमुख टीवी चैनल का लाइसेंस निलंबित कर दिया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 week ago

इराक़ी नियामक प्राधिकरण ने सऊदी अरब के स्वामित्व वाले एक प्रमुख टीवी चैनल का लाइसेंस निलंबित कर दिया है। यह कदम चैनल द्वारा प्रसारित की गई एक रिपोर्ट के बाद उठाया गया, जिसमें हमास, हिज़्बुल्लाह और ईरान के क़ुद्स बलों को आतंकवाद का चेहरा बताया गया था। इस रिपोर्ट के चलते इराक़ में ईरान समर्थित समूहों की नाराजगी बढ़ गई थी।

इराक़ के कम्युनिकेशन एंड मीडिया कमीशन ने शनिवार को एमबीसी मीडिया ग्रुप का लाइसेंस रद्द कर दिया। एमबीसी द्वारा प्रसारित की गई इस रिपोर्ट में हमास नेता याह्या सिनवार, ईरानी क़ुद्स फोर्स के जनरल क़ासिम सुलेमानी और हिज़्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह को आतंकवादी बताया गया था, जिसके बाद बग़दाद में चैनल के दफ़्तर पर हमला हुआ और कार्यालय में तोड़फोड़ की गई।

इस विवादित रिपोर्ट के बाद सऊदी अरब को भी सफाई देनी पड़ी। सऊदी अरब ने कहा कि एमबीसी की रिपोर्ट उसकी मीडिया नीति का उल्लंघन करती है और इस मुद्दे पर कार्रवाई के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, एमबीसी ने अपनी विवादित रिपोर्ट को हटा लिया है, लेकिन इराक में इसका असर अभी भी बना हुआ है।

यह घटना ऐसे समय में आई है जब पूरे मध्य-पूर्व में इजरायल और हमास के बीच तनाव अपने चरम पर है। ईरान खुलकर हमास और हिज़्बुल्लाह का समर्थन करता है, जबकि सऊदी अरब एक जटिल स्थिति में फंसा हुआ है। सऊदी अरब इजरायल के हमलों की आलोचना कर रहा है, लेकिन उसे ईरान के बढ़ते प्रभाव का भी डर है। 

इराक़ी नियामक का कहना है कि एमबीसी ने "शहीदों का अपमान" किया है, जिसके चलते उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इराक़ की वर्तमान सरकार पर ईरान का गहरा प्रभाव है, और जिन लोगों को एमबीसी ने आतंकवादी बताया, उन्हें इराक़ में नायकों और शहीदों के रूप में देखा जाता है।

सऊदी अरब और ईरान के बीच संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं, विशेषकर 1979 की ईरानी क्रांति के बाद से। हालांकि, हाल के वर्षों में दोनों देशों ने अपने राजनयिक संबंधों को फिर से बहाल करने की कोशिश की है, लेकिन ईरान समर्थित समूहों के प्रति सऊदी अरब की चिंता अभी भी बनी हुई है। 

मध्य-पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच चल रही तनातनी के बीच सऊदी अरब को अपनी रणनीति को लेकर दुविधा का सामना करना पड़ रहा है।


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