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‘कवरेज के दौरान इस तरह के दृश्यों को मैं भूल नहीं सकता’
फर्स्ट रेस्पॉन्डर्स’ सीरीज के तहत ‘मलयाला मनोरमा’ के चीफ फोटोग्राफर रिजो जोसेफ ने कोविड-19 की कवरेज के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
फर्स्ट रेस्पॉन्डर्स’ (First Responders) सीरीज के तहत हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) के साथ एक बातचीत में ‘मलयाला मनोरमा’ (Malayala Manorama) के चीफ फोटोग्राफर रिजो जोसेफ ने बताया कि ड्यूटी के दौरान और ड्यूटी खत्म कर घर लौटने के बाद उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस बातचीत के दौरान 41 वर्षीय जोसेफ ने बताया कि किस तरह कभी-कभी उनके पीछे स्ट्रीट डॉग्स लग जाते हैं तो कभी काम के बीच में भोजन तलाशना और कोविड-19 महामारी से संक्रमित लोगों के निकट जाना जैसे तमाम चुनौतियां आती हैं।
बता दें कि इस सीरीज के तहत उन पत्रकारों से बात करने की कोशिश की जाती है, जो इस महामारी को एक योद्धा की तरह कवर कर रहे हैं। इस दौरान उनसे यह जानने की कोशिश की जाती है कि कैसे वे मुश्किल समय में अपने काम को अंजाम दे पा रहे हैं और उनकी राह में किस तरह की चुनौती आ रही हैं। इस सीरीज में ऐसे मीडियाकर्मियों को शामिल किया गया है, जो बहादुरी के साथ अपने मोर्चे पर तैनात हैं और दूसरों के लिए उदाहरण पेश कर रहे हैं।
रिजो जोसेफ ने बताया कि वह इस संस्थान के साथ करीब 18 साल से जुड़े हुए हैं और माता-पिता, पत्नी व तीन बेटियों के साथ रहते हैं। हालांकि, उनके परिवार को भली भांति पता है कि एक प्रेस फोटोग्राफर के रूप में उनकी क्या पेशेवर जिम्मेदारियां हैं, लेकिन महामारी को कवर करने के दौरान लोगों से मिलने-जुलने पर उन्हें लेकर परिवार को लोग काफी नर्वस हो जाते हैं। इस दौरान उन्हें निजी तौर पर किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इस बारे में जोसेफ का कहना है कि जब वह काम से घर लौटते हैं तो यह सुनिश्चत करना होता है कि बच्चे उनके पास न आएं, यह काफी मुश्किल होता है, खासकर तब, जब छोटे बच्चे पूरा दिन काम कर घर लौटे अपने पिता को देखने के लिए काफी उत्साहित रहते हैं।
कोविड-19 की कवरेज आप कैसे और कब से कर रहे हैं?
मैंने मार्च में कोविड-19 की कवरेज शुरू कर दी थी। मेरा फोकस एरिया अस्पताल और उनके स्टाफ, हेल्थ वर्कर्स, पुलिस फोर्स और रोजाना उनके सामने आने वाली चुनौतियां हैं। ये लोग इस बात की भी निगरानी करते हैं कि लोग नए नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं और उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके द्वारा दिखाई गई सामाजिक प्रतिबद्धता अद्भुत है। यह काफी अजीब स्थिति है जब सड़कें, मंदिर, चर्च और मस्जिदें लोगों से खाली पड़ी हुई हैं। एक फोटो पत्रकार के तौर पर मुझे यह सब रिकॉर्ड करना होगा।
ग्राउंड जीरो से इस महामारी को कवर करने के दौरान आपका अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण अनुभव क्या रहा है?
एक फोटोग्राफर होने के नाते सोशल डिस्टेंसिंग को कायम रखना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। मैं भी अपने आप को काफी असहाय महसूस करता हूं, क्योंकि मैं मुसीबत के समय साथी लोगों के लिए कुछ नहीं कर पा रहा हूं। काम के दौरान बाहर निकलने पर संकट में घिरे तमाम लोगों से मिलना, खाली पड़ी सड़कें और रात में हमारा पीछा करते स्ट्रीट डॉग्स से निपटना जैसी तमाम चुनौतियां हैं।
इस महामारी को कवर करने के दौरान किसी ऐसी विशेष घटना अथवा अनुभव के बारे में बताएं, जिसने आपको काफी प्रभावित किया हो?
दैनिक श्रमिकों की दुर्दशा, जिनकी आजीविका इस महामारी के कारण प्रभावित हुई है, ने मुझे अंदर तक हिला दिया है। हालांकि, राज्य सरकारों ने उनकी परेशानी दूर करने के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं, लेकिन भोजन व अन्य जरूरी चीजों के लिए लोग लंबी-लंबी कतारों में लगे हुए हैं। इस तरह की स्थिति को मैं नहीं भूल सकता हूं।
COVID-19 जैसी महामारी के दौरान आपको कंपनी की तरफ से किस तरह का समर्थन मिल रहा है?
मलयाला मनोरमा से हमें जो सहयोग मिल रहा है, वह काफी सराहनीय है। शुरुआत में ही संस्थान के अधिकारियों ने हमें साफ कह दिया था कि फोटो खींचते समय पहले अपनी सेफ्टी का ध्यान रखें। जो लोग घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) कर सकते हैं, कंपनी ने उन्हें इसकी सुविधा दे रखी है। एहतियाती कदम के तौर पर हमें मास्क, हैंड सैनेटाइजर्स आदि उपलब्ध कराए गए हैं। कंपनी ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इस स्थिति में सैलरी में कटौती और छंटनी नहीं की जाएगी।
और अंत में, क्या आप कोई संदेश देना चाहते हैं?
कोविड-19 एक नया वारयस है, जिसे बारे में हमें ज्यादा पता नहीं है और हम अभी जानकारी कर रही रहे हैं। इस मुश्किल दौर में हमें ऐसे लोगों की मदद के लिए रास्ते तलाशने की जरूरत है जो अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हम सब एक-दूसरे से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं और हमें सरकार द्वारा दिए जा रहे दिशा-निर्देशों का पालन करने के साथ ही जरूरतमंदों की मदद करने की जरूरत है, ताकि वे अपने आप को और अपने आसपास के लोगों को भी बेहतर ढंग से सुरक्षित रख सकें। हम साथ मिलकर ही इस वायरस की चेन को तोड़ सकते हैं।
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