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BBC के अधिकारियों ने बताया, लोग क्यों देते हैं उनके कार्यक्रमों को तवज्जो
‘बीबीसी ग्लोबल न्यूज’ के मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल सूद और ‘बीबीसी वर्ल्ड सर्विस’ की हेड रूपा झा ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ से तमाम पहलुओं पर बातचीत की।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
प्रादेशिक भाषाओं पर फोकस करने और स्पीड से पहले तथ्यों को रखने की एडिटोरियल पॉलिसी के कारण भारत जैसे मार्केट में ‘बीबीसी इंडिया’ (BBC India) की ग्रोथ लगातार बढ़ रही है। ‘बीबीसी ग्लोबल न्यूज’ (BBC Global News) के मैनेजिंग डायरेक्टर (India and South Asia) राहुल सूद और ‘बीबीसी वर्ल्ड सर्विस’ (BBC World Service) की हेड (Indian Languages) रूपा झा ने हाल ही में हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) से इन मुद्दों के साथ तमाम पहलुओं पर बातचीत की।
प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश:
कंटेंट के उपभोग की बात करें तो बीबीसी न्यूज के लिए भारत फिर एक प्रमुख बाजार के रूप में उभरा है। आपकी नजर में इस ग्रोथ के पीछे क्या कारण है?
रूपा: पिछले कुछ वर्षों में भारतीय भाषाओं में किए गए विस्तार का इसमें काफी योगदान है। बीबीसी की कोर वैल्यू यानी मूल्य और निष्पक्षीय ढांचा भारतीय ऑडियंस की अपेक्षाओं पर खरा उतरा है। ऑडियंस में हुई ग्रोथ बताती है कि वे मार्केट में फैल रहीं तमाम फेक न्यूज और ओपिनियन के बीच न्यूज और अपडेट्स किसी विश्वसनीय मीडिया सोर्स से लेना चाहते हैं।
रियलिटी चेक और फैक्ट चेक को लेकर बीसीसी के कार्यक्रमों ने दिखा दिया है कि लोग उन खबरों को ज्यादा तवज्जो देते हैं, जिन पर वे भरोसा कर सकते हैं। जमीनी स्तर और स्थानीय राजनीति भारतीय समाचारों पर हावी है। हालांकि, दुनियाभर की न्यूज आजकल प्रासंगिक हो रही हैं, क्योंकि इससे दुनियाभर से ‘समाधान’ भी मिलता है। कोरोनावायरस को लेकर की गई स्पेशल प्रोग्रामिंग इसका सबूत है।
राहुल: असल में भरोसा और विश्वसनीयता दो मुख्य बाते हैं। इस वैश्विक महामारी में लोग भरोसेमंद और विश्वसनीय न्यूज प्लेटफॉर्म्स तलाश रहे हैं। मोबाइल डिवाइस पर बीबीसी हिंदी भारत में न्यूज कंटेंट को इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के बीच टॉप-5 में शामिल है।
आप रीजनल यानी प्रादेशिक कंटेंट पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। क्या सिर्फ हिंदी ही ऑडियंस को आकर्षित कर रही है। अन्य भाषाओं के बारे में आपका क्या कहना है?
रूपा: हम बड़े शहरों से आगे निकलकर युवाओं और महिलाओं पर फोकस कर रहे हैं। बीबीसी भारत में नौ भाषाओं पर काम करती है। हिंदी और अंग्रेजी के अलावा हम मराठी, गुजराती, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, बंगाली और उर्दू को कवर करते हैं। न्यू लैंग्वेज सर्विसेज, नया स्टाफ, नई प्रोग्रामिंग और नए स्टूडियो के साथ बीबीसी ने भारत में बड़ा निवेश किया है। भारत के प्रति इस प्रतिबद्धता ने क्षेत्र में 250 से अधिक नए रोजगार सृजित किए हैं और यह केवल नई भाषाओं को शामिल करने के बारे में नहीं है,बल्कि हमारे ऑपरेशंस में बदलाव के बारे में है, इसलिए हम डिजिटल रूप से और मोबाइल फर्स्ट पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
हम साउथ एशिया के लिए दिल्ली को एक डिजिटल पावर हाउस और डिजिटल हब बना रहे हैं। बीबीसी के पूर्व महानिदेशक ने घोषणा की है कि वर्ष 2022 तक इसकी ग्लोबल सर्विस के लिए ऑडियंस की संख्या 500 मिलियन तक पहुंच सकती है।
राहुल: हम जानते हैं कि भारत जैसे मार्केट में काफी संभावना हैं। यहां 1.2 बिलियन की जनसंख्या में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या 462 मिलियन है। इस पूल में 300 मिलियन से ज्यादा स्थानीय भाषा के यूजर्स हैं। वर्ष 2021 तक इनकी संख्या 300 मिलियन से बढ़कर 500 मिलियन से ज्यादा होने की उम्मीद है। ऐसे में वर्ष 2021 तक यहां करीब 735 मिलियन इंटरनेट यूजर्स हो सकते हैं।
भारत भी एक काफी प्रतिस्पर्धी मार्केट है। ऐसे में जब एडिटोरियल कंटेंट की बात आती है तो आप कैसे इसे दूसरों से अलग कहेंगे?
रूपा: जब तक हमें विश्वास नहीं होता, तब तक हम लोगों में खबरों को ब्रेक करने की जल्दबाजी नहीं रहती है। हम हो-हल्ला नहीं करते हैं। हम अपने दर्शकों को बहुत ज्यादा समझा सके और तथ्यपूर्ण जानकारी दे सके, इसके लिए ही पत्रकारिता में निवेश करते हैं। हम भारत में न्यूज प्लेटफार्म्स पर विश्वास दोबारा ला सकें, इस पर लगातार काम करते रहेंगे। हम किसी सैन्य ऑपरेशन के दौरान ज्यादा से ज्यादा खबरें देते हैं। हम ग्राउंड रिपोर्ट को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।
राहुल: रेस में फर्स्ट आने की बात करें तो, 'सही बनना' (Being right) फर्स्ट बनने से ज्यादा जरूरी है।
भारत जैसे बाजार को ऑपरेट करने में बड़ी चुनौतियां क्या हैं?
रूपा: भारत में खबरें बहुत ही ज्यादा ध्रुवीकृत (पोलराइज्ड) होती हैं और यह बहुत ही ज्यादा भीड़-भाड़ वाला मार्केट है, जो हमें अपने दर्शकों की सही जरूरतों को पूरा करने का मौका देता है जो तेजी से डिजिटल की ओर बढ़ रहे हैं।
कोविड की वजह से डिजिटल पब्लिकेशंस के पाठकों की संख्या बढ़ी है। बीबीसी ग्लोबल न्यूज की रणनीति क्या है, जब भारत में बढ़ते मार्केट शेयर की बात होती है?
राहुल: बीबीसी जो भी करता है दिल से करता है और उसके दिल में डिजिटल है। हम विश्व स्तर पर और भारत में रिकॉर्ड ग्रोथ नंबर्स देख रहे हैं। बीबीसी की भरोसेमंद वैल्यू और निष्पक्षता ऐसी है, कि वह ऐसे समय पर जब गलत सूचनाओं और भड़काउ खबरों का अंबार लगा हुआ है, सही रिपोर्टिंग के जरिए तथ्यपरक खबरों के साथ एडवर्टाइजर्स के लिए ब्रैंड सेफ एनवॉयरमेंट सुनिश्चित करता है।
उद्योग अनुसंधान निकाय Ipsos ने नवंबर 2020 की शुरुआत में ये घोषणआ की कि टीवी और ऑनलाइन दोनों पर ही बीबीसी भारत में अंग्रेजी भाषा में नंबर एक अंतरराष्ट्रीय न्यूज ब्रैंड है। बीबीसी का 24 घंटे का अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल पिछले एक साल में अपने किसी भी इंटरनेशनल कॉम्पटीटर्स से सबसे ज्यादा देखा गया। और यह पिछले वर्ष का सबसे तेजी से बढ़ने वाला सामान्य अंग्रेजी भाषा का न्यूज चैनल है। इस बात का भी खुलासा हुआ कि बीबीसी ऑनलाइन यूजर्स के साप्ताहिक आंकड़ों में भी नंबर-1 अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म है। कॉमस्कोर डेटा के अनुसार सितंबर, 2020 में बीबीसी पोर्टल ने ट्रैफिक में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की (लगभग 40 मिलियन यूनीक विजिजर्स)। भारत में सभी जनरल न्यूज प्लेटफॉर्म्स की तुलना में यूनिक बीबीसी प्लेटफॉर्म पर विजिटर्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई और यह बढ़त सितंबर, 20 में हुई ग्रोथ और साल दर साल हुई ग्रोथ की वजह से हुई है।
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