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एंकरिंग के साथ-साथ Stories से जुड़े तमाम पहलुओं पर देती हूं विशेष ध्यान: शीरीन भान

‘एक्सचेंज4मीडिया’ की सीरीज ‘हेडलाइन मेकर्स’ के तहत सीनियर एडिटर रुहैल अमीन ने सीएनबीसी-टीवी18 की मैनेजिंग एडिटर शीरीन भान से तमाम मुद्दों पर खास बात की है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago

बिजनेस न्यूज चैनल ‘सीएनबीसी-टीवी18’ (CNBC-TV18) की मैनेजिंग एडिटर शीरीन भान दो दशकों से अधिक समय से बिजनेस न्यूज का जाना-माना चेहरा हैं। देश के प्रमुख बिजनेस न्यूजरूम और 24x7 प्रोग्रामिंग को प्रसारित करने वाली बड़ी टीमों को संभालने की जटिलता के बावजूद यह उनकी काबिलियत और सब्जेक्ट पर मजबूत पकड़ ही है कि आप जब भी उनसे मिलेंगे तो आपको कभी भी उनके चेहरे पर चिंता या तनाव का कोई संकेत नहीं दिखेगा।

‘एक्सचेंज4मीडिया’ द्वारा शुरू की गई सीरीज ‘हेडलाइन मेकर्स’ (HEADLINE MAKERS) के तहत ‘एक्सचेंज4मीडिया’ के सीनियर एडिटर रुहैल अमीन ने शीरीन भान से तमाम मुद्दों पर बात की है। इस बातचीत के दौरान शीरीन भान ने मीडिया में अपनी अब तक की यात्रा समेत टीवी पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति पर खुलकर अपने विचार रखे हैं।

एक प्रड्यूसर से लेकर एंकर और अब चैनल का चेहरा बनने तक का सफर कैसा रहा?

पत्रकारिता में मेरी यात्रा काफी दिलचस्प रही है। देश को बदलते हुए और मीडिया जिस परिदृश्य में काम कर रहा है, उसे बदलते हुए देखना वास्तव में शानदार अनुभव रहा है। मैंने अपनी मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2000 में पत्रकारिता में अपने सफर की शुरुआत की। आपको बता दूं कि जब मैं पोस्टग्रेजुएशन कर रही थी, तभी मैंने ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में आने का फैसला कर लिया था। मैं एक कार्यक्रम कर रही थी, जिसे सिद्धार्थ बसु प्रड्यूस कर रहे थे और वीर सांघवी एंकरिंग कर रहे थे और मेरा काम वहां ऑडियंस को एकजुट करना और उनसे तालमेल स्थापित करना था। यह एक करंट अफेयर्स कार्यक्रम था, जिसमें लाइव ऑडियंस थे और मुझे ऑडियंस को डिबेट के बारे में बताते हुए इस बारे में उन्हें बोलने के लिए प्रेरित करना था। इसके साथ ही उन्हें इसके फायदे-नुकसान आदि के बारे में बताना था। मैंने वास्तव में इस काम का भरपूर आनंद लिया।

जब सिद्धार्थ और वीर सांघवी ने मुझे ऐसा करते हुए देखा तो उन्होंने मुझे ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में आने के लिए प्रेरित किया और कहा कि आपको इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि आप न्यूज को काफी अच्छे से समझती हैं। वास्तव में वहां से मेरी शुरुआत हुई और उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। तब से लेकर अब काफी कुछ बदल गया है। जब हमने ‘सीएनबीसी टीवी18’ शुरू किया था, तब हमारे पास ओबी वैन नहीं थीं। उस समय हम वस्तुतः वीएसएनएल का उपयोग करके टेप आगे बढ़ाते थे। लेकिन आज आप अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके दुनिया में कहीं भी प्रसारण करने में सक्षम हैं। कहने का तात्पर्य है कि तब से लेकर अब टेक्नोलॉजी के दृष्टिकोण से और डिस्ट्रीब्यूशन के दृष्टिकोण से बहुत बदलाव आ गया है।

खास बात यह भी है कि इस यात्रा में मैंने कई तरह के काम किए हैं। इसलिए मैंने सिर्फ एक एंकर के रूप में शुरुआत नहीं की और मैं सिर्फ एक एंकर नहीं रही हूं। मैंने अपने शो को प्रड्यूस भी किया है और उसे लिखा भी है। अभी भी मैं अपने शो को प्रड्यूस करना और लिखना जारी रखे हुए हूं। मैं रिपोर्टर्स के साथ उनकी स्टोरीज पर काम करती हूं और अपनी स्टोरी पर भी काम करती हूं। यानी मैं सिर्फ एंकरिंग नहीं करती बल्कि स्टोरीज से जुड़े तमाम पहलुओं पर काम करती हूं और मेरा मानना है कि इसी वजह से मुझे आज एक कुशल टीवी न्यूज प्रोफेशनलस बनने में मदद मिली है।

पिछले 22 वर्षों से आप किस तरह से लगातार शीर्ष पर बनी हुई हैं, इस सफलता के पीछे क्या राज है?

जो चीज मुझे प्रेरित करती है वह यह है कि हम अपनी मार्केट लीडरशिप को हल्के में नहीं लेते। चूंकि मार्केट में हमारी हिस्सेदारी 95 से अधिक है, ऐसे में हमारे ऊपर काफी बड़ी जिम्मेदारी है कि हम कुछ न कुछ नया और बेहतर करते रहें और अपने दर्शकों के लिए खुद को प्रासंगिक बनाए रखें। 

इसके साथ ही हमें इस बात पर भी गौर करना होगा कि हम ऑडियंस को बिजनेस न्यूज को अलग ढंग से देखने के लिए कैसे प्रेरित करते हैं। जब मैंने सीएनबीसी टीवी18 में शुरुआत की तो हमारे इस सफर के पहले 10-15 वर्षों तक तो लोग इसे केवल एक स्टॉक मार्केट चैनल के रूप में देखते थे। आज, हम उससे कहीं अधिक हैं। आज, हम एक ऐसा चैनल हैं जो आपको ऐसी विश्वसनीय जानकारी प्रदान करता है, जिसका उपयोग आप अपने जीवन को और बेहतर बनाने की दिशा में कर सकते हैं, चाहे वह एजुकेशन, हेल्थकेयर, इंश्योरेंस और स्टॉक मार्केट हो। हम जो करते हैं उसका यह मूल है, लेकिन हम इससे कहीं अधिक हैं। हम कॉर्पोरेट भारत के बारे में हैं, हम बिजनेस के बारे में हैं, हम बैलेंस शीट के बारे में हैं और हम एंटरप्रिन्योरशिप के बारे में हैं।

हमने बिजनेस न्यूज जॉनर (genre) का विस्तार किया है और मार्केट लीडर्स के रूप में ऐसा करना हमारा कर्तव्य था। तमाम लोग अब इसका अनुसरण कर रहे हैं और बिजनेस न्यूज को अलग ढंग से देख रहे हैं। ऐसे में मेरे लिए चुनौती यह है कि मैं रोजाना इसे न्यूजरूम में कैसे ले जाऊं और अपनी टीम को उत्साहित करूं और उन्हें काम करने के नए तरीकों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करूं।

मैं सदैव उत्कृष्टता में विश्वास रखती हूं, लेकिन उत्कृष्टता का रास्ता संयोग से नहीं बनता। इसके लिए रोजाना सुधार करना होता है और यह मुझे प्रेरित रखता है। मैं भाग्यशाली हूं कि मैं जो करती हूं, उसके प्रति जुनूनी हूं। हमारा लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है, कि हम एक उद्देश्यपूर्ण ब्रैंड बनना चाहते हैं। हम उन ऑडियंस के लिए प्रासंगिक बने रहना चाहते हैं जिन तक हम पहुंचते हैं। और यही हमें प्रेरित करता है और मुझे आगे बढ़ने में मदद करता है।

आप टीमों को संभाल रही हैं और खुद भी एंकरिंग कर रही हैं। आप कैसे इतना सब संभाल लेती हैं और चीजों को किस तरह से हैंडल करती हैं?

मेरा मानना है कि यदि आपके पास ब्रेकिंग स्टोरीज वाले पत्रकार नहीं हैं। यदि आपके पास अच्छी स्क्रिप्ट लिखने में सक्षम प्रड्यूसर्स नहीं हैं तो आपके पास बहुत कुछ नहीं बचेगा। इसलिए आपको इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि यह एक जन-केंद्रित बिजनेस है। ऐसे में एक लीडर के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके पास अच्छी टीम हो। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आप एक ऐसा संगठन बनाएं जो ऑडियंस की सुनता हो, जो फीडबैक लेता हो और उस पर काम करता हो। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप एक ऐसा न्यूजरूम बनाएं जो लोगों को आवाज उठाने और अपनी राय व्यक्त करने की जगह दे। मुझे इस तथ्य पर विशेष रूप से गर्व है कि हम एक ऐसा संगठन बनाने में सक्षम हुए हैं।

आज हमारे कई स्टार कलाकार जिन्होंने अपने करियर में ऊंची छलांग लगाई है, उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में ऐसा किया है। हो सकता है कि उन्होंने एक साल पहले शुरूआत की हो और आज आप उन्हें शो की एंकरिंग करते हुए देखते हैं, आप उन्हें इवेंट करते हुए देखते हैं, विशेष प्रोग्रामिंग करते हुए देखते हैं वगैरह वगैरह। मेरा मानना ​​है कि आपको एक ऐसा स्थान और संस्कृति बनानी होगी जो योग्यता पर आधारित हो। यदि आप योग्यता तंत्र को पनपने देते हैं, तो आप केवल एक संगठन संरचना पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय बेस्ट आइडियाज प्राप्त करने में सक्षम होंगे।

मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि संरचना कार्य को परिभाषित नहीं कर सकती है और इसने मुझे हमेशा उन लोगों को स्थान देने के लिए प्रेरित किया है जो मेरे अनुसार उस विशेष कार्य के लिए सबसे अच्छे लोग हैं। मुझे लगता है कि आपको लोगों को उनके कौशल (स्किल) के आधार पर देखना और स्थान देना होगा कि उन्हें कौन सा कार्य करना है। इसलिए मुझे लगता है कि लीडर के रूप में यह वास्तव में बड़ी चुनौती है।

एक लीडर के रूप में तमाम ऐसे प्रश्न भी होते हैं कि आप चुस्त कैसे रहते हैं? आप कैसे गतिशील रहते हैं? आप जानते हैं, दुनिया हर दिन, हर मिनट नहीं बल्कि हर सेकंड बदल रही है। ऐसे में आप यह कैसे सुनिश्चित करते हैं कि आप शीर्ष पर हैं? आप कैसे फुर्तीले रहते हैं? आप भी विनम्र कैसे रहें? आप जानते हैं मार्केट लीडर्स के रूप में मुझे लगता है कि आप कभी-कभी अपने स्वयं के मिथक पर विश्वास करते हैं। मैं इस बारे में बहुत स्पष्ट हूं कि मुझे ऐसा नहीं है कि मैं हर शो में दिखना चाहती हूं और हर शो में अपनी आवाज सुनना चाहती हूं।

आपको एक ऐसा स्थान बनाना होगा जो आपकी टीम के लोगों के लिए सुलभ हो ताकि लोगों को लगे कि वे ब्रैंड के समान संरक्षक हैं और यह एक समान अवसर वाला कार्यक्षेत्र बन जाए। साथ ही, आपको लोगों को सशक्त बनाना होगा। आपको लोगों को निर्णय लेने की छूट देनी होगी। हो सकता है कि कुछ निर्णय उम्मीद के अनुरूप न हों, लेकिन कोई बात नहीं। एक लीडर के रूप में आपका काम बाहर आकर यह कहना नहीं है, देखो, मैंने तुमसे ऐसा कहा था। आपका काम यह कहना है कि हम इससे क्या सीख सकते हैं? हम इसे बेहतर कैसे बना सकते हैं? आपको अपने लोगों के साथ खड़ा होना होगा। आप अपने लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते, मैं इसके बारे में बहुत स्पष्ट हूं।

आपकी नजर में समय के साथ बिजनेस न्यूज में कितना बदलाव आया है?

मैं इन बदलावों के बारे में सिर्फ सीएनबीसी टीवी18 के नजरिये से बता सकती हूं। जैसे कि मैंने अभी कहा था कि शुरुआत में हमें सिर्फ स्टॉक मार्केट चैनल के रूप में देखा जाता था, क्योंकि प्रोग्रामिंग का बड़ा हिस्सा इस बात पर केंद्रित रहता था कि मार्केट में क्या हो रहा है।

लेकिन, आज ऐसा नहीं है। हम उससे बहुत आगे बढ़ गए हैं। आप अब इसे दो हिस्सों में बांट सकते हैं। सुबह सात बजे से अपराह्न चार बजे तक जब मार्केट्स ट्रेडिंग कर रहे होते हैं, हम पूरी तरह से और तेजी से मार्केट्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि उस विशेष समय में हमारे ऑडियंस के लिए यही प्रासंगिक होता है। इसलिए हम आपको घरेलू और ग्लोबल दोनों मार्केट्स में क्या हो रहा है, इसका सबसे अच्छा विश्लेषण दिखाते हैं और हमने इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की हैं। दूसरा पहलू जो हमने बनाया है वह है कंपनी प्रबंधन का हर तिमाही में उनके परिणामों के बारे में बात करना। इसे सीएनबीसी टीवी18 ने तैयार किया है। इसके तहत कंपनी के बोर्डरूम को आपके और मेरे लिए, खुदरा निवेशक यानी रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए या सिर्फ एक नियमित दर्शक के लिए सुलभ बनाना है। मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है, जिसने वास्तव में बिजनेस रिपोर्टिंग के तरीके को बदल दिया है।

इसके बाद दूसरा पहलू चार बजे के बाद शुरू होता है। जैसा कि मैंने कहा कि यह चैनल का दूसरा पहलू है और इसकी अपनी अलग पहचान है। इस दौरान हम हर उस चीज के बारे में बात करते हैं जो देश के रूप में हमारे लिए मायने रखती है। इसलिए यदि सुबह कंपनियों की बैलेंस शीट और मार्केट्स के लाभ-हानि के बारे में है, तो शाम देश की बैलेंस शीट के बारे में है। इसलिए इस दौरान हम देखते हैं कि कंज्यूमर्स के लिए क्या मायने रखता है। कौन-कौन से सुधार काम कर रहे हैं और कौन से सुधार काम नहीं कर रहे हैं। पूंजी की प्राथमिकता के संदर्भ में क्या करने की जरूरत है इत्यादि। ऐसे में चैनल पर शाम का समय पॉलिसी के बारे में है, पॉलिटिक्स के बारे में है। लाइफस्टाइल के बारे में है और एंटरप्रिन्योरशिप के बारे में है। यानी इस दौरान मार्केट्स से अलग देश से जुड़े तमाम पहलुओं पर बात होती है। हमने अपनी ऊर्जा को फिर से दो हिस्सों में बांट दिया है, जो हमारे ऑडियंस के लिए प्रासंगिक है।

कई बार मेरे सामने यह सवाल आता है कि आप क्यों टमाटर की कीमतों पर स्टोरी कर रहे हैं, क्योंकि आपका जो ऑडियंस है, उसे इस बात की परवाह नहीं है। आप कैसे कह सकते हैं कि हमारा ऑडियंस इस बात की परवाह नहीं करता। क्या हिंदुस्तान यूनिलीवर का मैनेजमेंट नहीं जानना चाहता है कि टमाटर की कीमतों पर क्या हो रहा है। आखिर हमें क्यों नहीं टमाटर की कीमतों पर बात करनी चाहिए? हमें क्यों नहीं मणिपुर मामले पर बात करनी चाहिए? आखिर ये सब जनता से जुड़े मुद्दे हैं। ये सभी मुद्दे देश की ‘बैलेंस शीट’ पर प्रभाव डालते हैं। ऐसे में हमें राष्ट्रीय महत्व से जुड़ी स्टोरी पर क्यों चुप रहना चाहिए?

ये वे चीजें हैं जो वास्तव में उन निर्णयों को संचालित करती हैं जो हम न्यूजरूम में प्राथमिकता के संदर्भ में लेते हैं, हम किस बारे में बात करते हैं, हम क्या करते हैं, हम किस पर रिपोर्ट करते हैं। जैसा कि मैंने कहा कि हमारी स्पष्ट सीमाएं हैं, जो ब्रैंड ने हमें दी हैं। इसलिए जब हम राजनीति को देखते हैं, तब भी हम इसे एक अलग नजरिये से देखते हैं। जब हम सुधारों को देखते हैं, तो हम इसे एक अलग नजरिये से देखते हैं। हम केवल इसलिए इन मुद्दों को नहीं छोड़ सकते क्योंकि हमें एक बिजनेस न्यूज चैनल के रूप में देखा जाता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम उन मुद्दों को अपना बना लें और अपने लेंस का उपयोग करके वहां स्टोरीज बताएं।

मैं आपको ऐसे कई उदाहरण दूंगी, जिन्हें मैं सीएनबीसी टीवी18 ब्रैंड के लिए महत्वपूर्ण योगदान मानूंगी। दरअसल, 21 साल पहले, हमने ‘यंग तुर्क’ (Young Turks) नामक एक कार्यक्रम शुरू किया था। ’यंग तुर्क’ को युवा एंटरप्रिन्योर्स, नए आइडिया और उभरते भारतीय ब्रैंड्स पर फोकस करने के लिए बतौर एक प्रयोग शुरू किया गया था। हमने सोचा था कि यह एक सीरीज होगी, जो 13 हफ्ते में खत्म हो जाएगी, लेकिन इसने अपना सफर खुद जारी रखा। आज यह न सिर्फ स्टार्टअप्स को समर्पित देश का पहला शो है, बल्कि शायद स्टार्टअप्स और एंटरप्रिन्योरशिप पर दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला शो है।

यह अलग बात है कि मुझे इसके 21 साल तक चलने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन हमने वह जगह बनाई, हमने वह मंच प्रदान किया, हमने नियमित रूप से बच्चों को बड़े सपने देखने की क्षमता दी। हमने यह देखने के लिए अपनी अंतरात्मा को निखारना भी सीखा है कि वे अगले बड़े दांव क्या हैं जो हम वास्तव में दर्शकों से जोड़ सकते हैं, जो हमारे दर्शकों से जुड़ते हैं और ब्रैंड को बाजार में प्रासंगिक बनाए रखते हैं।

अपने अब तक के करियर में टीवी पर आपके सबसे यादगार पल कौन से हैं?

पिछले दो दशकों के दौरान ऐसे तमाम मौके आए हैं, जिन्हें आप यादगार कह सकते हैं। ऐसे में इनमें से कुछ को छांटना मुश्किल है। लेकिन मैं हर साक्षात्कार, हर शो को कुछ ऐसा मानती हूं, जिससे मुझे कुछ न कुछ सीखने की उम्मीद होती है। मैं इस बारे में बहुत स्पष्ट हूं, यही कारण है कि मैं अपने साक्षात्कारकर्ता के समय को हल्के में नहीं लेती।

मुझे याद है जो मेरे पहले बॉस करण थापर ने मुझे काफी सिखाया था और आप जानते हैं, वह रिसर्च और अन्य चीजों को काफी बारीकी से देखते हैं। और यही वो चीजें हैं, जिन्हें मैं बहुत करीब रखती हूं। सिद्धांतों के रूप में वे हमारे न्यूजरूम को भी चलाती हैं। और इसलिए मेरे लिए मैं कभी किसी इंटरव्यू के लिए यह कहते हुए नहीं जाती कि ‘कुछ निकाल के लेके आएंगे।‘ मैं वहां सवालों का सेट लेकर नहीं जाती, लेकिन मैं वहां यह सोचकर जाती हूं कि वे कौन से मुद्दे हैं जिनके बारे में मैं बात कर सकती हूं जो दिलचस्प हो सकते हैं। मैं उस बातचीत को कहां ले जा सकती हूं।

मैं किसी भी इंटरव्यू के लिए पूरी तैयारी के साथ जाती हूं। मैं साक्षात्कार देने वाले के समय को और अपने दर्शकों के समय को हल्के में नहीं लेना चाहती। मेरा मानना है कि यदि वे अपने जीवन के 5, 10, 15, 20 या 30 मिनट आपका शो देखने या आपके साथ बैठकर बातचीत करने में बिता रहे हैं, तो जैसा कि मैंने कहा, उन्हें यह महसूस करने की जरूरत है कि उन्हें उस अनुभव से कुछ मिला है और उनका समय बेकार नहीं गया।

मुझे यह महसूस करने की जरूरत है कि मैंने उस अनुभव से कुछ सीखा है और ऑडियंस को भी यह महसूस करने की जरूरत है कि उस कार्यक्रम को देखने से उन्हें किसी न किसी रूप में फायदा हुआ है। मैंने इस तरह बहुत कुछ सीखा है। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि 20 साल की उम्र में अपने करियर के शुरुआती दौर में ही मैं बिल गेट्स या बेनजीर भुट्टो जैसी शख्सियतों के साथ बैठूंगी और बातचीत करूंगी।

मुझे लगता है कि ये वे अनुभव अभी भी मेरी स्मृति में ताजा हैं, क्योंकि मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो पूछती हूं कि आखिर किस चीज ने इतना आत्मविश्वास दिया और मैंने ऐसा कैसे कर लिया। मुझे एन.आर. नारायण मूर्ति और नंदन नीलेकणि के साथ इंफोसिस परिसर में जाना भी याद है। यह शो उन्होंने पहली बार एक साथ किया था। मैं कह सकती हूं कि देश-विदेश में तमाम लोगों के साथ इतने शानदार अनुभव हैं कि उन्हें संक्षेप में प्रस्तुत करना कठिन है।

जब बिजनेस जर्नलिज्म की बात आती है तो वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति क्या है और इस दिशा में क्या बेहतर हो सकता है?

जहां तक ​​वैश्विक मानचित्र का सवाल है, भारत बड़ी भूमिका निभा रहा है। चाहे आप अर्थव्यवस्था के विकास के बारे में बात करें या आप क्षेत्रीय साझेदारी, द्विपक्षीय साझेदारी आदि के बारे में बात करें।पिछले कुछ वर्षों में, विशेष रूप से कोविड के बाद, जहां हम वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से तैयार करने की दिशा में वैश्विक कदमों को देख रहे हैं। जिस तरह से लोग आपूर्ति श्रृंखलाओं को देख रहे हैं और इसी तरह के बदलाव भारत को फिर से महत्व में लाते है। बेशक, यह दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है, इसलिए कंपनियां यहां रहना चाहती हैं।

यह हम पर भी है कि हम इसे कैसे आगे बढ़ा सकते हैं? उदाहरण के लिए मैं ‘ग्लोबल डायलॉग्स’ (Global Dialogues) नामक एक कार्यक्रम चलाती हूं, जहां हम वैश्विक सीईओ से बात करते हैं। वास्तव में प्रयास यह समझने का है कि एक वैश्विक कंपनी भारत के अवसर को कैसे देख रही है। उन्होंने यहां क्या बदलाव देखे हैं और वे किस प्रकार के निवेश करने जा रहे हैं, इससे वैश्विक दर्शकों को भारत की स्टोरी समझने में भी मदद मिलेगी।

मेरा मानना ​​है कि हमें ऐसे कंटेंट पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जो भारत को वैश्विक दर्शकों के लिए सुलभ बनाएगी और लोग भारत में हो रहे बदलावों के बारे में जान पाएंगे और इन्हें समझ पाएंगे। उदाहरण के लिए, हमने बड़े बुनियादी ढांचे में हो रहे बदलाव और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर एक पूरी श्रृंखला शुरू की है। हम तकनीकी पक्ष और पॉलिसी को लेकर क्या हो रहा है, इसकी स्टोरी पर भी नजर रख रहे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि ये सभी चीजें हैं जिनसे वैश्विक दर्शकों को भारत के बारे में काफी कुछ जानने-समझने को मिलेगा।

डिजिटल के बढ़ते दौर में आपकी नजर में न्यूज टीवी किस तरह अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है?

हम अब खुद को एक टीवी ब्रैंड के रूप में नहीं देखते। हम खुद को 360 ब्रैंड के रूप में यानी एक न्यूज प्रोवाइडर और एक कंटेंट प्रोवाइडर के रूप में देखते हैं। डिस्ट्रीब्यूशन कंज्यूमर पर निर्भर है कि वे हमें टीवी पर, अपने मोबाइल फोन पर, ट्विटर पर या यूट्यूब पर देखना चाहते हैं। यह एक विकल्प है, जिसे उपभोक्ता को चुनना होगा।

मुझे यह सुनिश्चित करना है कि आप जो भी चुनाव करें, आप मुझे वहां पाएं, यही हमारा काम है। दुनिया बदल रही है, जरूरी नहीं कि लोग टेलीविजन स्क्रीन के सामने बैठे हों। तो क्या इसका मतलब यह है कि हमारा ब्रैंड अब प्रासंगिक नहीं रहेगा? हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि दर्शक जहां भी न्यूज देख रहा हो, हमें वहां मौजूद रहना होगा।

हमारे लिए चुनौती कंटेंट तैयार करने की नहीं है बल्कि डिस्ट्रीब्यूशन की है। हम कंटेंट तैयार करते रहते हैं, लेकिन चुनौती उस कंटेंट को कस्टमाइज करने की है। टेलीविजन पर जो काम करता है, जरूरी नहीं कि वह ट्विटर या इंस्टाग्राम पर भी बिल्कुल उसी तरह काम करे। हमारे पास एक बेहतरीन टीम है जो हमारे टेलीविजन कंटेंट को कस्टमाइज करने और इसे विभिन्न प्लेटफार्म्स पर होस्ट करने पर ध्यान देती है। हम अब डिजिटल फर्स्ट कंटेंट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, इसलिए जो चीजें विशेष रूप से यूट्यूब के लिए बनाई गई हैं, इंस्टाग्राम के लिए बनाई गई हैं, ट्विटर के लिए बनाई गई हैं, आपके लिए बनाई गई हैं, उसके लिए CNBCTV18.com है।

मुझे लगता है कि हमारे लिए और आम तौर पर ब्रैंड्स के लिए चुनौती यह है कि आप यह कैसे सुनिश्चित करते हैं कि आप उन क्षेत्रों में प्रासंगिक हैं, जहां यूजर जा रहा है। इसलिए यह कंटेंट संबंधी कम समस्या है। जैसा कि मैंने कहा, यह डिस्ट्रीब्यूशन का अधिक मुद्दा है। और इसलिए यह कुछ ऐसा है जिस पर हम पिछले दो या तीन वर्षों से सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

मुझे नहीं लगता कि भारत में या विश्व स्तर पर किसी के पास इस तरह की समस्या से निपटने के लिए कोई सटीक रणनीति है। इसलिए मुझे लगता है कि इस समय वास्तव में यही भविष्य है। मुझे लगता है कि यह मिश्रित होने वाला है, यह हाइब्रिड होने वाला है। टीवी अन्य माध्यमों और अन्य प्लेटफार्म्स के साथ सह-अस्तित्व में है। आपको दर्शकों के साथ वहीं जुड़ना होगा, जहां दर्शक जा रहे हैं। आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि दर्शक वहां आएंगे, जहां आप हैं।

जब आप न्यूजरूम में नहीं होती हैं, उस समय को आप कैसे व्यतीत करती हैं यानी उस समय क्या करती हैं?

वास्तव में मेरे पास ऐसी चीजों की कोई लंबी सूची नहीं है। मैं खाने का काफी शौक है। इसलिए मैं अपना समय घूमने और खाने के लिए नई जगहें ढूंढने में बिताती हूं।  इसके साथ ही दोस्तों व अपने परिवार के साथ समय बिताना और योग करना मुझे लगता है।

आपकी गिनती काफी विनम्र, मिलनसार और जमीन से जुड़ी शख्सियत के रूप में होती है। इतनी प्रसिद्धि मिलने और न्यूज रूम के दबाव के बावजूद आप कैसे ये सब मैनेज कर पाती हैं?

मैं प्रसिद्धि को सीरियसली नहीं लेती। मैं सफलता के दिखावे और इससे जुड़ी चीजों को गंभीरता से नहीं लेती। बेशक, मैं इसका सम्मान करती हूं। मैं इसे महत्व देती हूं। मुझे अच्छा लगता है, लेकिन मैं इन चीजों को कभी खुद पर हावी नहीं होने देती और ये चीजें मुझे परिभाषित नहीं करतीं।

यह परिभाषित नहीं करता कि मैं कौन हूं। मैं इस बात को बहुत अच्छे से जानती हूं कि यह सब क्षणिक है। प्रसिद्धि और प्रशंसा, यह सब इस तथ्य से आता है कि आप टीवी पर दिखाई देते हैं। कल को अगर मैं टीवी पर नहीं दिखूंगी तो कहानी कुछ अलग होगी।

मैं हमेशा इस बात को मानती हूं कि मैं जॉब कर रही हूं। इस जॉब के तहत मुझे माइक्रोफोन पहनने को मिलता है और मुझे कैमरे के सामने बैठने व दुनिया से बात करने का मौका मिलता है, लेकिन यह मेरा जॉब है, मैं वह नहीं हूं। कल को अगर यह नौकरी नहीं रहेगी तो यह मेरे लिए आत्मविश्वास का संकट होगा अगर मैं अपनी पहचान से जुड़ी हर चीज को इसमें समाहित कर दूंगी। इसलिए मैं इस तथ्य के प्रति सचेत रहती हूं कि यह प्रसिद्धि क्षणिक है। यह आपके पास मौजूद नौकरी का एक विशेषाधिकार और लाभ है। इस चीज़ को इतनी गंभीरता से लेने के लिए जीवन बहुत छोटा है।

आपकी प्रेरणा कौन है, आप अपने पेशे में किसे मानते हैं और अपडेट रहने के लिए क्या करती हैं?

मेरा मानना है कि ज्यादा से ज्यादा पढ़ना जरूरी है। पढ़ना इसलिए है क्योंकि आप जानते हैं, इसमें से अधिकांश उन साक्षात्कारों से जुड़ा हुआ है जो आप कर रहे हैं या जो शो आप कर रहे हैं। मुझे गैर-कार्य संबंधी पढ़ने के लिए समय निकालने में कठिनाई होती है। मैं अब भी ऐसा करने की कोशिश करती हूं, लेकिन यह कम होता जा रहा है। मुझे करण थापर, सिद्धार्थ बसु, राघव बहल, सेंथिल चेंगलवरायण, नारायण मूर्ति जैसे लोगों से काफी प्रेरणा मिलती है। मेरा मतलब है कि इन सभी लोगों ने मुझे अपने पेशेवर जीवन में बहुत कुछ सिखाया है।

मैं विचारों के प्रति खुला रहने और उनसे सीखने में दृढ़ विश्वास रखती हूं। मुझे हर व्यक्ति से बातचीत से प्रेरणा मिलती है, फिर चाहे मैं पांच साल के बच्चे से बात कर रही हूं या 90 साल के व्यक्ति से। मुझे लगता है कि यही चीज मुझे जीवंत रहने और आगे बढ़ने में मदद करती है।


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