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TRP-सोशल मीडिया को लेकर उठ रहे सवालों का सूचना प्रसारण मंत्री ने यूं दिया जवाब
‘न्यूज18 इंडिया’ पर वरिष्ठ टीवी पत्रकार अमिश देवगन से बातचीत में सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कई अहम मुद्दों पर रखी अपनी राय
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
डिजिटल पर जो भी कंटेंट जनरेट होता है उसकी देखभाल करना भी अब जरूरी हो गया है, फिर चाहे न्यूज पोर्टल्स ही क्यों न हो और इसके लिए हमारी तैयारी चल रही है।’ यह बात केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वरिष्ठ टीवी पत्रकार और न्यूज18 (हिंदी) के मैनेजिंग एडिटर अमिश देवगन द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही। इस दौरान सूचना-प्रसारण मंत्री ने अमिश देवगन के कार्यक्रम ‘आरपार’ और उनके एंकरिंग की तरीफ भी की। उन्होंने अमिश देवगन से कहा कि वे जिस जोशीले अंदाज से एंकरिंग करते हैं, उससे एक अच्छी डिबेट होती है। इसके लिए उन्होंने अमिश देवगन को बधाई भी दी।
इसके बाद सवाल-जवाबों का सिलसिला शुरू हुआ और अमिश देवगन ने सूचना-प्रसारण मंत्री से एक-एक कर कई ऐसे सवाल पूछे, जो हाल ही में चर्चा का विषय बने हुए हैं। अपने इंटरव्यू के दौरान अमिश देवगन ने टीआरपी के मुद्दे पर भी उनसे सवाल पूछा। उन्होंने पूछा कि टीआरपी का विवाद बहुत बड़ा है, इस मामले पर सरकार की सोच क्या है? इस सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री ने कहा कि ब्रॉडकास्टर्स और एडवर्टाइजर्स दो लोग होते हैं, जिन्हें विज्ञापन लेना और देना है। लिहाजा वे जानना चाहते हैं कि कौन सा कार्यक्रम और चैनल लोकप्रिय है। इसके लिए ब्रॉडकास्टर्स और एडवर्टाइजर्स ने ही साथ आकर टीआरपी की रचना की है। सरकार ने दोनों को सिर्फ समर्थन दिया है, पर ये सरकार की मान्यता से ही यह चल रहा है। लिहाजा अब सरकार ने इसके लिए कमेटी भी बनायी है, ताकि सही रास्ता बताया जा सके। इसका मैनिपुलेशन की आशंका को खत्म किया जा सके, जोकि मुख्य काम है। उन्होंने कहा कि अभी नई टेक्नोलॉजी तैयार है, जिससे ज्यादा लोगों की पसंद को देखा जा सकेगा, ताकि सही नतीजे आएंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
जब अमिश देवगन ने उनसे पूछा किया क्या वर्तमान में चल रहे सिस्टम को पूरी तरह से रिप्लेस कर दिया जाएगा, इस पर केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया कि ये हम नहीं तय करते हैं बल्कि एसोसिशन तय करती हैं, हम ब्रॉकास्टर्स के नाते जाते हैं। सरकार की एक भूमिका है। कमेटी जो रिकमेंड करेगी, उसके बाद हम करेंगे। रिकमेन्डेशन के आधार पर ही काम करेंगे। हमारी कमेटी टेक्नोलॉजी और टेक्नीशियंस की बनी है और उसके द्वारा ही हम टेक्नोलॉजिकल प्रिंसिपल सॉल्यूशन देंगे, जिसके आधार पर काम होगा। इस तरीके से सबको सुकून मिलेगा कि अब सही तरीके से मापन हो रहा है। इसकी रिपोर्ट एक महीने में आ जाएगी।
वहीं अमिश देवगन ने पूछा कि ये मुद्दा विवादास्पद है, क्योंकि मुंबई पुलिस ने भी एक एफआईआर रजिस्टर कर रखी है। प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई ने भी केस दर्ज कर रखा है। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे, तो उन्होंने कहा कि यह एफआईआर का मुद्दा है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडेंस दिया है कि किसी एक चैनल या एक व्यक्ति को टारगेट करके एफआईआर नहीं होनी चाहिए। एफआईआर एक सामान्य कानूनी प्रक्रिया है, इस पर हम क्या कहेंगे, लेकिन न्याय कैसे होगा ये मुद्दा है और इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने सभी कोर्टों का मार्गदर्शन किया है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को लेकर भी अमिश देवगन ने केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री से सवाल किया कि अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आपके मंत्रालय की निगरानी में आ गए हैं, क्या हम ये मान सकते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि हां, डिजिटल पर जो भी कंटेंट जनरेट होता है उसकी देखभाल करना भी अब जरूरी हो गया है, फिर चाहे न्यूज पोर्टल्स ही क्यों न हो और इसके लिए हमारी तैयारी चल रही है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को लेकर हमारे पास सैकड़ों शिकायत आती हैं, क्योंकि ओटीटी पर कोई सेंसर बोर्ड नही है। जैसाकि अन्य फिल्मों को लेकर होता है कि भारत में फिल्में रिलीज करनी है तो सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट लेना होता है, लेकिन ओटीटी के लिए ऐसा नहीं है। इसलिए इसके लिए अब सेंसर बोर्ड लाना है या सेल्फ रेगुलेशन लाना है ये चॉइस है, लेकिन कुछ न कुछ तो व्यवस्था करनी ही पड़ेगी। मै भी ओटीटी पर सीरियल देखता हूं, यहां हर कैटगरी के सीरियल्स और फिल्में होती हैं। लेकिन ये जो बहुत बुरी वाली कैटेगरी है, इसको लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। इसके लिए मेरा मानना है कि कुछ न कुछ व्यवस्था तैयार करनी चाहिए और हम करेंगे।
इसके बाद अमिश देवगन ने उनसे अगला सवाल किया कि नेटफ्लिक्स के ऊपर हाल ही में एक एफआईआर दर्ज की गई है, जिस पर बवाल मचा हुआ है। इस पर एक वर्ग सरकार पर आरोप लगा रही है कि सरकार सब कुछ कंट्रोल करना चाहती है, इस पर आपकी क्या राय है? इसका जवाब देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि देखिए, ये वर्ग सेंसर बोर्ड के खिलाफ कुछ नही बोलता है। हमारे यहां आजादी का गला नही घोंटा जा रहा है। कोई भी व्यवस्था करना, आजादी का गला घोंटना नही है।
अमिश देवगन के यह पूछे जाने पर कि केरल सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने वाला एक अध्यादेश जारी किया, जिसे विरोध के बाद वापस भी ले लिया गया। इसके बाद केरल सरकार की सोच पर काफी सवाल उठे, क्या सोशल मीडिया पर पाबंदी जरूरी है, इस पर आपकी क्या राय है, प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मैं सोशल मीडिया पर पाबंदी की जरूरत नहीं मानता, लेकिन सोशल मीडिया या कोई भी मीडिया जिम्मेदारी से चलने चाहिए, क्योंकि आजादी जिम्मेदारी से ही और जिम्मेदार पत्रकार से ही सार्थक होती है। सोशल मीडिया पर तो कोई भी कुछ लिख सकता है, यहां हर व्यक्ति पत्रकार होता है, इसलिए एक झूठ पल भर में इतना प्रचारित हो जाता है कि वही सच लगने लगता है, जिसके बाद सभी जगह से वही मैसेज आने शुरू हो जाते हैं, जोकि गलत है। इसलिए सच दिखाना चाहिए, गलत नहीं। इसलिए जो कंटेंट जनरेट करता है, ये उसकी जिम्मेदारी है कि उसे सच को समझना चाहिए।
सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का पूरा इंटरव्यू आप यहां देख सकते हैं-
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