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सूचना-प्रसारण मंत्री अरुण जेटली बोले, आज के दौर में हैं दो तरह की खबरें...
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी संभव नहीं है। लेकिन इस अधिकार का इस्तेमाल करने वालों को लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए।’ जेटली आकाशवाणी की ओर से आयोजित सरदार पटेल स्मारक व्याख्यान में बोल रहे थे। जेटली के भाषण की रिकॉर्डिंग आकाशवाण
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी संभव नहीं है। लेकिन इस अधिकार का इस्तेमाल करने वालों को लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए।’ जेटली आकाशवाणी की ओर से आयोजित सरदार पटेल स्मारक व्याख्यान में बोल रहे थे। जेटली के भाषण की रिकॉर्डिंग आकाशवाणी से सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को प्रसारित की जाएगी। सरदार पटेल देश के पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे। अपने एक घंटे के भाषण में जेटली ने प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के अनेक पहलुओं पर विचार रखे। मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करते हुए जेटली ने कहा कि मीडिया पर पाबंदी लगाने का युग अब समाप्त हो चुका है और इसे लगाना वस्तुत: असंभव है। उन्होंने कहा कि भारत में लगातार न्यायिक फैसलों और तकनीकी विकास के जरिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विस्तार हुआ है, लेकिन इसका दुरुपयोग भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, क्या अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का उपयोग करने वालों को खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए? प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने काफी हद तक ऐसा कर लिया है। सोशल मीडिया में ऐसी पाबंदी नहीं है। लोगों का मानना है पाबंदी का जमाना अब गया।’ उन्होंने कहा कि जबकि प्रिंट मीडिया और काफी हद तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपनी सामग्री में विवेक का इस्तेमाल करते हैं, सोशल मीडिया में ऐसी व्यवस्था का अभाव है। जेटली ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने ठीक ही कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है और यह उचित रोक के अधीन है जिसे विशेष रूप से परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा कि अब समाचार दो प्रकार के हैं एक वास्तविक और दूसरे चैनल द्वारा लाए गए समाचार। असली खबरों और चैनलों से परोसी जाने वाली खबरों में फर्क है। चैनलों को जो खबरें अच्छी लगती हैं वे उन्हें दिखाते है और ऐसे में दर्शकों को दिनभर वहीं एक दो खबरें देखने को मिलती हैं जो चैनल दिखाना चाहते है। मुझे लगता है कि दर्शकों को दुनियाभर की खबरें जानने का अधिकार है और जब चैनल कुछ ही खबरें दिखाते हैं तो इससे दर्शकों के ज्ञान का अधिकार सीमित हो जाता है। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ खबरों की परिभाषा भी बदल गई है। अब कैमरे की पकड़ में आए वही खबर है। उदाहरण के लिए पाकिस्तान से एक भारतीय लड़की की स्वदेश वापसी बड़ी खबर है और भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन बड़ी खबर नहीं है।
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