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पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंति‍त दिखे ये मीडिया दिग्‍गज, दी राय

आबिद हसन।। पत्रकारों को प्राय: जोखिम भरी परिस्थितियों में काम करना पड़ता है, जिसमें कई बार उनकी जान को भी खतरा रहता है। संवेदनशील मामलों की कवरेज के दौरान कैमरामैन को खासतौर पर सबसे ज्‍यादा हिंसा का सामना करना पड़ता है। हाल ही इस तरह की घटना एक बार फिर देखने को मिली थी, जब दादरी कांड में कवरेज करने गए एनडीटीवी के पत्रकारों की टी

समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago

आबिद हसन।। पत्रकारों को प्राय: जोखिम भरी परिस्थितियों में काम करना पड़ता है, जिसमें कई बार उनकी जान को भी खतरा रहता है। संवेदनशील मामलों की कवरेज के दौरान कैमरामैन को खासतौर पर सबसे ज्‍यादा हिंसा का सामना करना पड़ता है। हाल ही इस तरह की घटना एक बार फिर देखने को मिली थी, जब दादरी कांड में कवरेज करने गए एनडीटीवी के पत्रकारों की टीम पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था। इसके बाद वाराणसी में भी इस तरह की घटना हुई, जहां पर पीएसी के जवानों ने तीन कैमरामैन के साथ मारपीट की। एक्‍सचेंज4मीडिया (exchange4media) ने इस संबंध में वरिष्‍ठ पत्रकारों के साथ चर्चा कर यह जानना चाहा कि सरकार और मीडिया संगठन संवेदनशील क्षेत्रों में कवरेज के दौरान किस तरह मीडिया कर्मियों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठा सकते हैं। न्‍यूज ब्रॉडकास्‍टर्स एसोसिएशन (News Broadcasters Association) के अध्‍यक्ष रजत शर्मा ने पत्रकारों पर हमले की निंदा की है। उनका कहना है, ‘दादरी में मीडियाकर्मियों पर हुआ हमला निंदनीय है। इस तरह के हमलों से देश में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ जाती है। हम राज्‍य सरकार के संज्ञान में यह मामला लाए हैं और हमें उम्‍मीद है कि सरकार इस दिशा में जरूर कुछ ठोस कदम उठाएगी ताकि पत्रकार खुद को ज्‍यादा सुरक्षित महसूस कर सकें।’ मीडिया में इस तरह की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। हालांकि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ कहा जाता है लेकिन ऐसी कई घटनाएं हैं जिनमें पत्रकार लोगों के गुस्‍से अथवा हिंसा का शिकार हुए हैं। देश में एनडीटीवी, एबीपी आनंदा, टाइम्‍स ऑफ इंडिया, जी 24 घंटे आदि कुछ ऐसे मीडिया संस्‍थान हैं, जिनके पत्रकारों पर हाल ही में हमलों की घटनाएं हुई हैं। एनडीटीवी (NDTV) के वाइस चेयरमैन केवीएल नारायण राव ने कहा, ‘मेरा मानना है कि मीडियाकर्मियों पर हमले की घोर निंदा की जानी चाहिए। लोगों के सामने पत्रकार सच्‍चाई लेकर आते हैं और जिसके बारे में जानने का लोगों को हक है। यही लोकतंत्र का सार है। लोगों तक खबर पहुंचाने के लिए हमारे पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर सराहनीय काम करते हैं। ऐसे में उन पर हमला नहीं करना चाहिए। हम लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ हैं और हमारा काम बाकी तीनों से बिल्‍कुल अलग हैं। यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए और न ही इससे समझौता करना चाहिए।’ नाम न छापने की शर्त पर एक प्रमुख हिंदी न्‍यूज चैनल के सीईओ ने कहा, ‘इस तरह के हमलों की जोरदार निंदा की जानी चाहिए लेकिन मैं यही कहूंगा कि यदि हम व्‍यावहारिक रूप से सोचें तो यह व्‍यावसियिक जोखिम हैं और मुझे नहीं लगता कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई सिस्‍टम है। यदि ऐसा सिस्‍टम है भी तो इसे लागू कराना बहुत मुश्किल है। कोई भी पत्रकार अपने साथ पुलिस फोर्स को लेकर कवर करने नहीं जा सकता है। इसमें सिर्फ यही हो सकता है कि मीडिया संगठन उसे कुछ अतिरिक्‍त बीमा और अन्‍य तरह से सहायता दे सकती हैं।’ यह पूछे जाने पर कि संवेदनशील क्षेत्रों में कवरेज के दौरान मीडिया कर्मी की सुरक्षा के लिए सरकार और संगठन को क्‍या सुरक्षा उपाय उठाने की जरूरत है, एडिटर्स गिल्‍ड की नवनियुक्‍त कोषाध्‍यक्ष और वरिष्‍ठ पत्रकार सीमा मुस्‍तफा ने कहा, ‘नहीं, हमें कोई जरूरत नहीं है कि सरकार इस बारे में कुछ करे। मीडिया प्रतिष्‍ठानों को ही इस संबंध में सुरक्षा संबंधी उपाय करने के लिए आगे आना चाहिए।’ आईटीवी नेटवर्क (iTV Network) के एमडी कोर्तिकेय शर्मा ने कहा, ‘इस तरह की घटनाएं किसी भी रूप में स्‍वीकार नहीं हैं। मीडिया के साथ इस तरह का व्‍यवहार ठीक नहीं है। हिंसा किसी भी समस्‍या का समाधान नहीं है।’ यदि पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले दो हफ्तों में 20 से ज्‍यादा पत्रकारों पर हमला हुआ है और इस संख्‍या में इजाफा हो सकता है। जी न्‍यूज (Zee News) के एडिटर सुधीर चौधरी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि मीडिया हमला करने का सबसे पसंदीदा पाइंट बन गया है। आप किसी के खिलाफ लिख नहीं सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो वे मीडिया को दोषी ठहराएंगे और खुद को क्‍लीनचिट दे देंगे। मेरा मानना है कि मीडिया कर्मी भी इसी देश का नागरिक है और उसकी सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।’ पश्चिम बंगाल में स्‍थानीय चुनाव की कवरेज के दौरान कोलकाता में 15 पत्रकार घायल हो गए थे। कुछ लोगों ने इन पत्रकारों पर लाठी-डंडों और हॉकी स्टिक से हमला कर उन्‍हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था। न्‍यूज नेशन नेटवर्क (News Nation Network) के एडिटर इन चीफ संजय कुलश्रेष्‍ठ ने कहा, ‘ मीडिया कर्मियों पर हमले की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए। कुछ नेता जनता के बीच मीडिया की गलत छवि पेश कर रहे हैं। ऐसे नेताओं का कहना होता है कि मीडिया उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश करता है लेकिन क्‍या विडियो क्लिप भी झूठ बोल सकती है।’ समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमेंmail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


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