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S4m एक्सक्लूसिव: पंचव्यूह with अभिज्ञान प्रकाश
अभिषेक मेहरोत्रा मीडिया की दुनिया के दिग्गज पत्रकारों के लिए अब समाचार4मीडिया लाया है एक पंचव्यूह। इस व्यूह के अंतर्गत पत्रकारिता के पटल पर अपनी पताका लहराने वाले कई वरिष्ठ पत्रकारों से हम पूछेंगे सिर्फ पांच सवाल। इन्हीं पांच सवालों पर उनके सटीक जवाबों से हम अपने पाठकों को कराएंगे रूबरू। तो इस पंचव्यूह श्रंखला के पहले मेहमान
समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago
अभिषेक मेहरोत्रा ।।
मीडिया की दुनिया के दिग्गज पत्रकारों के लिए अब समाचार4मीडिया लाया है एक पंचव्यूह। इस व्यूह के अंतर्गत पत्रकारिता के पटल पर अपनी पताका लहराने वाले कई वरिष्ठ पत्रकारों से हम पूछेंगे सिर्फ पांच सवाल। इन्हीं पांच सवालों पर उनके सटीक जवाबों से हम अपने पाठकों को कराएंगे रूबरू। तो इस पंचव्यूह श्रंखला के पहले मेहमान है वरिष्ठ पत्रकार और एनडीटीवी इंडिया के सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर अभिज्ञान प्रकाश...
प्रश्न न. 1: आज पत्रकारों को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। आज हर चैनल अपनेको पाक साफ बताते हुए दूसरे चैनल के पत्रकारों के पाले में इसकी गेंद फेंक रहे हैं। भ्रष्टाचार को एक्सपोज करने वाले स्तंभ पर इस तरह के आरोप लगने के बाद जनता के बीच पत्रकारों की क्रेडिबिलिटी खत्म हो रही है, क्या है इस पर आपका जवाब...? उत्तर: पूरी पत्रकार बिरादरी पर आरोप मत लगाइए। जो लोग आरोप लगा रहे हैं, वो स्पेशिफिक नाम बताए, सिर्फ हवाबाजी मत कीजिए। मैंने पहले भी कहा था जब विजय माल्या ने भी एक ट्वीट करके पत्रकारों पर उनसे सुविधा लेने का आरोप लगाया है, कि उन्हें भी इस मसले पर पत्रकारों का नाम बताना चाहिए, जिन्होंने उनसे फेवर लिए हैं। मैं अपने बारे में साफ तौर पर कह रहा हूं कि मैं पूरा ईमानदारी से पत्रकारिता कर रहा हूं, इसलिए जब इस तरह के आरोप लगते हैं भी है, तो मैं कतई विचलित नहीं होता, बल्कि कहता हूं कि भ्रष्ट पत्रकारों के नाम सार्वजनिक किए जाए ताकि सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
प्रश्न नंबर 2: पर जिस तरह अब पूरी पत्रकारिता ही शक के घेरे में हैं, ऐसे में क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर: आप जिस तरह आगस्ता घोटाले की बात कर रहे हैं, तो मेरा यही कहना है कि सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए और पत्रकारों को भी जांच के दायरे में रखना चाहिए। साथ ही बड़े-बड़े पत्रकारों की जो कमेटियां बनी हुई है, उनको भी सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि वो इस घोटाले की जांच कर उन पत्रकारों का नाम बताए, जो इसमें संलिप्त है। वैसे भी अभी कुछ महीने पहले ही एसेल मामले में जब छोटे-छोटे फेवर लेने पर पत्रकारों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है, ऐसे में करोड़ों वारे-न्यारे करने के आरोपित पत्रकारों का भी सच सामने आना ही चाहिए।
प्रश्न न. 3: कई वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों का मानना है कि पिछले दो साल में पत्रकारिता के पेशे को कई पांबंदियों और दबावों का सामना करना पड़ रहा है? क्या आप भी ऐसा मानते हैं? उत्तर: जहां तक मेरी बात
है, मुझ पर तो ऐसा कोई
दबाव नहीं आया है। हां बस ये फर्क देखने को मिला है कि यूपीए के कार्यकाल में जब
मैं सरकार के फैसलों की समीक्षा करता था, तो बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता बड़े खुश
होते था, आजकल वे जरा नाराज
रहते हैं। चाहे किसानों का मुद्दा हो या सूखे का मैं हमेशा से ही ऐसे विषयों पर
जमीन से रिपोर्टिंग करता हूं और सरकारों को आईना दिखाता रहा हूं। कई बार पता चलता
है कि मेरे शो पर जिस तरह मैंने सरकार से कड़े सवाल पूछे उस पर कई केंद्रीय मंत्री
नाराज हो जाते हैं पर पत्रकार का काम है सवाल पूछना और मैं इसे हमेशा करता रहता हूं।
प्रश्न न. 4: आजकल एंकरिंग का स्टाइल बदल रहा है। अब एंकर के साथ आठ से दस खिड़कियां होती है और एंकर उत्तेजना के साथ शो करता है, ऐसे मे आप एंकरिंग को कैसे परिभाषित करते हैं? उत्तर: करीब दो दशक से मैं टीवी पर न्यूज एंकरिंग कर रहा हूं। मेरा मानना है कि आपको अपने शो के हर गेस्ट को उसकी बात रखने का अधिकार देना ही चाहिए। अगर आप सिर्फ अपना ज्ञान ही देना चाहते हैं, तो फिर गेस्ट्स को बुलाने की जरूरत ही नहीं है। मैं हाथ नचा-नचाकर एकंरिग नहीं कर सकत हूं और न हीं मेरे शो में तू-तू-मैं-मैं का फॉर्मैट अपनाया जाता है। प्रश्न न. 5: पत्रकारिता में आपके रोल मॉडल कौन-कौन हैं और आप आज के युवा पत्रकारों के लिए क्या संदेश देंगे? उत्तर: जर्नलिज्म में मैंने कई वरिष्ठ पत्रकारों के साथ काम किया है। कई पत्रकारों से बहुत कुछ सीखने को मिला। किसी एक का नाम लेना उचित नहीं होगा, लेकिन प्रभाष जोशी के साथ मेरी अच्छी ट्यूनिंग थी। उनसे वाकई प्रेरणा मिलती है। आज के युवा जो पत्रकारिता के क्षेत्र में आ रहे हैं, उनको सिर्फ इतना कहूंगा कि दोस्त, सिर्फ ग्लैमर के चक्कर में मत आना। कामयाबी के लिए इस फील्ड में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पढ़ने की आदत जरूर डालो और निर्भीक होकर सवाल पूछो। पत्रकार का असली हथियार उसके सवाल ही होते हैं।
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