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s4m Exclusive: RSTV के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ गुरदीप सिंह सप्पल से खास बातचीत

अभिषेक मेहरोत्रा पिछले हफ्ते राज्यसभा टीवी की चर्चा मीडिया गलियारों में खूब सुनने को मिली। चैनल को लेकर कई तरह के विवाद सामने आए। एक जिम्मेदार मीडिया मंच होने के नाते हमने राज्यसभा टीवी (RSTV) के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ गुरदीप सिंह सप्पल से बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने न सिर्फ चैनल पर लगाए गए आरोपों पर खुलकर बात की,  बल्कि राज

समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago

अभिषेक मेहरोत्रा पिछले हफ्ते राज्यसभा टीवी की चर्चा मीडिया गलियारों में खूब सुनने को मिली। चैनल को लेकर कई तरह के विवाद सामने आए। एक जिम्मेदार मीडिया मंच होने के नाते हमने राज्यसभा टीवी (RSTV) के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ गुरदीप सिंह सप्पल से बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने न सिर्फ चैनल पर लगाए गए आरोपों पर खुलकर बात की,  बल्कि राज्यसभा टीवी के कई शोज और कई उपलब्धियों का भी जिक्र किया। पेश है इस बातचीत का ब्योरा... कैग के सवालों का दिया हमने जवाब कैग ने हमारे खिलाफ कभी भी कोई रिपोर्ट नहीं दी है। राज्यसभा सचिवालय हर साल हमारा ऑडिट करता है। वे हमारे 57 जवाबों से संतुष्ट थे,  एक जवाब पर उन्होंने विस्तार से सूचना मांगी थी,  वो भी हमने उन्हें उपलब्ध करा दी है। इसलिए हमारे खिलाफ उन्होंने कुछ टिप्पणी की है,  ये बात भ्रामक है। आरटीआई के अंदर आता है चैनल हमारा चैनल सूचना का अधिकार (आरटीआई) के अंदर आता है,  ऐसे में अगर किसी को किसी बारे में पता करना है,  तो आरटीआई के तहत दरवाजा खुला हुआ है। गलत खबर छापने वाले मीडिया हाउसेज पर करेंगे केस पहली बात तो कुछ मीडिया हाउसेज ने गलत खबर प्रकाशित की और उसके बाद जब हमने अपना पक्ष उन्हें भेजा तो उन्होंने वो भी नहीं छापा। जिस तरह कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में छपा है कि पिछले चार वर्षों में राज्यसभा टीवी पर 1700 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है,  ये सरासर गलत आंकड़ा है। सीधी सी बात है कि हमारा पूरा बजट सचिवालय से आवंटित होता है,  ऐसे में किस तरह इतने बडे गलत आंकड़े को पेश किया गया है,  ये समझना मुश्किल है। हमने कुल 146.7 करोड़ ही व्यय किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने हमारा पक्ष जाने बिना ही भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित की। डीएनए ने हमसे बिना बातचीत किए ही हमारा बयान प्रकाशित किया। ऐसे में हम मानहानि का केस और प्रेस काउंसिल में शिकायत दोनों ही विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। हम वर्तमान टीआरपी का हिस्सा नहीं, बार्क से जुड़ेगे हम बार्क (Broadcast Audience Research Council) का हिस्सा बनेंगे। इससे  रजिस्ट्रेशन के जरिए जुड़ेंगे। टीआरपी के वर्तमान सिस्टम पर चूंकि संसद की समिति ने ही सवाल उठाए हैं,  इसलिए हम वर्तमान टीआरपी पद्धति को नहीं मानते हैं। हमारा मानना है कि यदि बार्क सिर्फ केबल टीवी का डाटा लेगा तो प्रभावकारी नहीं रहेगा, पर अगर डीटीएच और सेटअप बॉक्स का पूरा डाटा लिया जाएगा, तभी आपको असली टीआरपी का पता चल पाएगा। हम रिपीट बुलेटिन नहीं चलाते चैनल का उद्देश्य तथ्यात्मक खबरों को प्रसारित करना है। हमारा फोकस ब्रेकिंग न्यूज के बजाय व्यूज पर रहता है। विज्ञान,  संस्कृति,  आजाद भारत का इतिहास पर हमारा ध्‍यान है। दिन में हम आधे-आधे घंटे के 5 बुलेटिनों का प्रसारण करते हैं। साथ ही दो मुख्य डिबेट्स प्रसारित होती हैं। हफ्ते में सात परिचर्चाओं का आयोजन करते हैं। हमारे चैनल की खासियत है हमारे यहां न्यूज बुलेटिन रिपीट नहीं होते है। हमारे 24 घंटे के प्रोग्राम यू-ट्यूब पर अपलोड होते हैं। राज्यसभा टीवी ही अकेला चैनल है, जो यू-ट्यूब पर 24 घंटे की अपलोडिंग करता है। हमारी टीम हर हफ्ते 47 शोज का निर्माण करती है,  जो बड़ी बात है। हमारे शोज करंट अफेयर्स, कल्चर, इंटरव्यू, साइंस, फॉरेन पॉलिसी,  इकॉनॉमी से लेकर हर विषय पर हैं। हम अकेले एक तरह से नॉलेज चैनल का काम करते हैं। संविधान’ जैसे लोकप्रिय शो सिर्फ हम ही बनाते हैं हमारा शो ‘संविधान’  बेहद लोकप्रिय रहा है। अब हम 1947 के बाद की देश की प्रमुख घटनाओं जैसे 1991 में आई नई आर्थिक नीति, शिमला समझौता, आपातकाल आदि पर एक सीरीज लेकर आ रहे हैं। इसे लाने का उद्देश्य ये है कि हम इसमें उन शख्सियतों की जुबानी बातें जानेंगे जो इन घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी  रहे हैं। ये काम हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ये सीरीज देश की आने वाली पीढ़ी के लिए अनमोल धरोहर रहेगी। इसके अलावा हम कुछ किताबों और फीचर फिल्मों पर भी काम कर रहे हैं। विज्ञापन तय नहीं करते चैनल की दिशा हमारा चैनल चूंकि विज्ञापनों से दूर रहता है ऐसे में हम पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों का पूर्ण तौर पर परिपालन करते हैं। हमारे यहां सिर्फ संपादकीय विभाग ही है, जो चैनल की दिशा तय करता है। हम भंडाफोड़ या सनसनीखेज पत्रकारिता की बजाय सरोकारी पत्रकारिता को महत्व देते हैं। हमारी भाषा काफी संयमित, चलताऊ नहीं चैनल को अभी चार साल हुए हैं। हमें चैनल के हिसाब से लोगों को प्रशिक्षित करने में भी एक लंबा समय लगा क्योंकि हम चलताऊ भाषा का प्रयोग अपने चैनल पर नहीं करना चाहते थे। इस साल मुनाफे में आ जाएगा चैनल हम मार्केटिंग से दूर इसलिए रहे क्योंकि हमारा मानना है कि जब हमारा चैनल खुद कमाई करेगा तो उसी पैसे से हम मार्केटिंग करेंगे। हम पब्लिक मनी से ये काम नहीं करना चाहते हैं।  हमारी ये पहल रंग ला रही है। हमारे शो ‘संविधान’ ने ये साबित किया है कि अच्छे कंटेंट की मार्केट में कितनी जरूरत है। हमारे कंटेंट को न सिर्फ देश बल्कि विदेश के चैनल भी खरीदने को उत्सुक है, इसलिए हम बड़ी मात्रा में कंटेंट के निर्माण पर लगे हैं। हमें उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष यानी 2015-16 में हमारा चैनल मुनाफे की स्थिति प्राप्त कर लेगा। इंटरनेशनल कवरेज भी करते हैं सिर्फ यही अकेला चैनल है जिसने अफगानिस्तान चुनावों को कवर किया था। यहां के चुनाव की तीनों मुख्य प्रतिद्वंद्वियों से सिर्फ राज्यसभा टीवी ने ही बात की थी। हम विदेशी कवरेज भी करते हैं। सार्क देशों में टीम भेजकर सार्क डॉयलॉग कवर करेंगे। हम उन देशों को कवर करते हैं, जहां निजी चैनल नहीं जाते हैं। बांग्लादेश, भूटान से भी हमने स्पेशल कवरेज की थी। हम किसी के प्रवक्ता नहीं हम पर अक्सर सरकार की ओर से दबाव का आरोप लगता है, पर मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारी कार्यप्रणाली राज्यसभा के अनुसार चलती है। हम न यूपीए के प्रवक्ता थे और न एनडीए के हैं। हम सभी दलों और सभी विचारों को पूरा समय देते हैं। एंकर डिबेट की दिशा तय नहीं करते हमारे यहां होने वाले पैनल डिस्कशन में एंकर अपनी बात कहने के बजाय मेहमानों को उनके विचार रखने की खुली स्वतंत्रता देता है। कवरेज करते है ज्यादा पर खर्च करते हैं कम पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों पर हमने काफी बड़ी कवरेज की। हम बड़े चैनलों की तरह सिर्फ बड़े शहरों या फिर स्थानीय चैनलों की तरह लोकल कंटेंट पर फोकस नहीं रहते हैं। हमने मिजोरम, लद्दाख जैसी जगहों से भी कवरेज किया,  जहां कोई दूसरे चैनल नहीं जाते हैं। अगर यह कहूं कि हमने लो कॉस्ट मॉडल डेवलप किया है तो ये अतिश्योक्ति नहीं होगी। देश के लोकसभा चैनलों के अलावा 17-18 प्रदेशों के चुनाव की मतगणना सिर्फ हमने कवर की थी। हमने यूपी चुनावों की मतगणना पर सिर्फ 7 लाख रुपये खर्च किए थे। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म होगा मजबूत वैसे तो अभी हमारी वेबसाइट है और हम सोशल मीडिया पर भी एक्टिव है, पर जल्दी ही जैसे ही एक बार हम नए ऑफिस में पूरी तरह से शिफ्ट हो जाएंगे उसके बाद हम अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का और विस्तार करेंगे। यू-ट्यूब पर हमारा आंकड़ा 12 लाख प्रति माह का है लोकसभा चैनल से तुलना सही नहीं राज्यसभा टीवी की लोकसभा टीवी के साथ तुलना सही नहीं है क्योंकि हम पूरी तरह एक  न्यूज चैनल के तौर पर काम करते हैं। हमारी तरह उन्हें बिल्डिंग का किराया, सफाई के लिए खर्च आदि नहीं करना पड़ता है। हमारे एम्पलॉइज के लिए कैंटीन तक की सुविधा नहीं है।


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