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वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने की ‘NBA’ को लेकर विशेष बातचीत
'इंडिया टीवी' (India TV) के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा को पिछले दिनों निजी टेलिविजन न्यूज चैनलों...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
'इंडिया टीवी' (India TV) के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा को पिछले दिनों निजी टेलिविजन न्यूज चैनलों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह 'न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन' (एनबीए) का प्रेजिडेंट नियुक्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि ‘एनबीए’ भारत में न्यूज और करेंट अफेयर्स के प्राइवेट चैनलों की संस्था है। एनबीए में देश के 25 बड़े न्यूज चैनल शामिल हैं। ‘एनबीए’ मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े मसलों को सरकार तक पहुंचाता है। रजत शर्मा इससे पहले भी एनबीए के अध्यक्ष रह चुके हैं। न्यूज़ इंडस्ट्री की आवाज़ सरकार तक पहुंचाने का NBA एक सशक्त माध्यम है।
‘एनबीए’ की कमान संभालने के बाद उन्होंने अपना कामकाज शुरू कर दिया है। शर्मा अब ‘एनबीए’ की कायापलट कर इसे ऐसी एसोसिएशन बनाना चाहते हैं जो किसी के व्यक्तिगत हित की बजाए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स इंडस्ट्री के हितों पर ध्यान दे।
हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) के साथ एक खास बातचीत में रजत शर्मा ने ‘एनबीए’ को लेकर अपने विजन के बारे में काफी विस्तार से जानकारी दी। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश:
: ‘एनबीए’ के प्रेजिडेंट के रूप में आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?
: ‘एनबीए’ के प्रेजिडेंट के रूप में मेरी पहली प्राथमिकता ब्रॉडकास्टर्स के बीच आपसी विश्वास का माहौल बनाना है। ‘एनबीए’ ऐसा मंच हैं, जहां हम अपने सभी निजी मतभेद भुलाकार ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री से जुड़े मुद्दों पर एक साथ बैठकर बातचीत कर सकते हैं। इसके अलावा हम ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री के कल्याण के बारे में बातचीत कर सकते हैं।
‘एनबीए’ के सामने तमाम चुनौतियां हैं। इस समय ‘एनबीए’ के सामने कैरिज फीस, ऐडवर्टाइजिंग रेट और विभिन्न रेगुलेशंस जैसी चुनौतियां हैं। लेकिन मुझे लगता है कि इनमें सबसे बड़ी चुनौती न्यूज चैनलों के बारे में धारणा को लेकर है। आजकल समाचार चैनलों की छवि सही नहीं दिखाई जा रही है और उन्हें सिर्फ टीआरपी बटोरेने वाला बताया जा रहा है। चाहे राजनेता हो, न्यायपालिका हो अथवा सोशल मीडिया, सभी लोग सिर्फ यही दर्शा रहे हैं कि संपादकगण शोरगुल करने वालों का झुंड हैं। इस स्थिति को स्पष्ट किया जाना चाहिए।
हमें दुनिया को ये बताना है कि न्यूजरूम में बैठे लोग अथवा ब्रॉडकास्ट हाउस के मालिक सिर्फ राष्ट्रीय हितों की बात करते हैं। वे लोग समाज के भले के लिए काम कर रहे हैं और इसके पीछे उनका मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं है, बल्कि उनके हित इससे कहीं परे हैं।
: इन दिनों डिजिटल और सोशल मीडिया का काफी जोर है। ऐसे में इस बदलती हुई स्थिति में तालमेल बिठाए रखने के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र कैसे खुद को तैयार कर रहा है?
: यदि आप आंकड़े देखें तो न्यूज चैनल देखने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। आपका कहना सही है कि सोशल मीडिया का हमारे ऊपर काफी प्रभाव पड़ा है और इस बात को लेकर हम चिंतित भी हैं लेकिन मुझे लगता है कि ब्रॉडकास्ट मीडिया की विश्वसनीयता ज्यादा है और लोगों तक इसकी पहुंच भी ज्यादा है।
: ‘एनबीए’ के कुछ सदस्यों ने हाल ही में इसको लेकर कई तरह की चिंताएं जताई थीं। कुछ सदस्यों का कहना था कि यह एसोसिएशन ताकतविहीन (toothless) है। इस तरह के मुद्दों से निपटने के लिए आपके पास क्या योजना है?
: ‘एनबीए’ को और ज्यादा प्रभावशाली
बनाने के लिए आपके पास क्या योजना है?
: बड़ी संख्या में रीजनल चैनल भी ‘एनबीए’ के मेंबर हैं। हमने डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के लिए भी ‘एनबीए’ के दरवाजे खोल दिए हैं। इससे आप समझ सकते हैं कि हम ‘एनबीए’ का विस्तार करेंगे और इसे काफी ऊंचे लेवल पर ले जाएंगे।
: पिछले वर्षों में ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर में मेजरमेंट को लेकर तमाम सवाल उठते रहे हैं। इस तरह के मुद्दों से आप किस प्रकार निपटेंगे?
: जितने भी सवाल उठे हैं, वह ‘बार्क’ (BARC) को लेकर उठे हैं लेकिन यह एक व्यक्ति का निर्णय नहीं हो सकता है। इस तरह का निर्णय ‘एनबीए बोर्ड’ में लिया जाना चाहिए। यदि इस तरह का कोई विवाद है तो इस पर हम ‘एनबीए बोर्ड’ में चर्चा करेंगे। लेकिन मेरा मानना है कि ‘एनबीए’ को किसी एक चैनल के बारे में बात नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसे बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री के हितों को देखते हुए ही काम करना चाहिए।
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