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कला संसार को कारोबार से जोड़ने की हुई अनूठी पहल, जुटीं कई हस्तियां
वरिष्ठ पत्रकार और फिल्मकार राजेश बादल ने ऐसे कार्यक्रमों को समूचे देश में विस्तार देने की जरूरत पर जोर दिया
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
हिन्दुस्तान के मौजूदा सन्दर्भ में आज कला को कारोबार से जोड़ने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति में जीवन के प्रत्येक रंग को कला ने प्रभावित किया है, इसलिए कला को आज उद्यम से अलग करके नहीं देखा जा सकता। यह विचार नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (एनएसआईसी) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर राम मोहन मिश्रा ने दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में जानी मानी सूफी गायिका सोनम कालरा की प्रस्तुति के बाद प्रकट किए।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन इंटरनेशनल मेलोडी फाउंडेशन ने किया था। इस अवसर पर एमएसएमई के सचिव डॉ. एके पांडा ने इस अनूठी पहल की सराहना की। गौरतलब है कि भारत में इस तरह के आयोजनों की अवधारणा राममोहन मिश्रा ने ही विकसित की है। इसमें कला और कारोबार के अन्तर्निहित रिश्तों को सार्वजनिक मंच दिया जाता है।
फाउंडेशन के कार्यकारी अध्यक्ष और फिल्मकार राजेश बादल ने मौजूदा माहौल में सूफी भावना का महत्त्व बताया। उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों को समूचे देश में विस्तार देने की जरूरत पर जोर दिया। फाउंडेशन की प्रोग्राम निदेशक पलक आहूजा और संयुक्त सचिव पूजा जैन ने समन्वय और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली।
फाउंडेशन के महासचिव डॉ. हरीश भल्ला ने इस आयोजन की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में कला और कारोबार का रिश्ता सदियों से रहा है। यह इस देश में देह और आत्मा जैसे संबंध की तरह है। तभी तो ढोलक बनाने वाला खुद भी अच्छी ढोलक बजाता है। मृदंग और तबला बनाने वाला उन्हें बजाकर दिखाता है।
उन्होंने कहा कि यही हाल सारंगी, डफली, हारमोनियम, मंजीरे, खड़ताल, जल तरंग, बांसुरी और मटकी बजाने वालों का है। इन संगीत के उपकरणों को दिल के तारों से जोड़कर लोगों को सम्मोहित कर देने वाले कलाकारों को तो सारी दुनिया जानती है, लेकिन उन कला-शिल्पियों को कौन जानता है,जो कलाकारों के लिए इन वाद्ययंत्रों का निर्माण करते हैं। ठीक वैसे ही जैसे हम खादी के कपड़े,हथकरघे के दुशाले, शॉल, हस्तशिल्प, लौह शिल्प, काष्ठ शिल्प को कला से तो जोड़ देते हैं, लेकिन उन सैकड़ों अनाम शिल्पकारों को याद नहीं रखते। ऐसे कलाकारों को अब नेपथ्य में नहीं, मंच पर लाने की आवश्यकता भी है।
इन्हीं विचारों के संगम से उपजी शाम दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सैकड़ों लोगों के लिए कभी न भूलने वाली शाम बन गई। इस कार्यक्रम में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के निदेशक सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी, क्रिकेटर बिशनसिंह बेदी, पंजाब के मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस इकबाल अहमद, भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अजय चौधरी, शिक्षाविद कैप्टन एलएस बहल, जानी मानी गायिका रश्मि अग्रवाल,कनाडा से आईं डॉ. स्नेह ठाकुर जैसे अनेक संगीत रसिक, सूफियाना संस्कारों में पले-बढ़े लोग मौजूद थे।
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