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पत्रकार के खिलाफ दर्ज FIR को HC ने किया रद्द, कहा- बेतुके हैं आरोप
कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है।
न्यायमूर्ति शिवकांत प्रसाद की खंडपीठ ने एफआईआर को रद्द करते हुए कहा, ‘अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता (पत्रकार) के खिलाफ दर्ज एफआईआर के संदर्भ में आपराधिक कार्यवाही की मंजूरी देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और अदालत की शक्ति का दुरुपयोग है, क्योंकि एफआईआर में दर्ज आरोप बेतुके प्रतीत होते हैं और कोई भी विवेकपूर्ण व्यक्ति न्यायोचित निष्कर्ष तक कभी नहीं पहुंच सकता।’
बता दे कि अंडमान-निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के स्वतंत्र पत्रकार जुबेर अहमद ने पिछले साल स्थानीय प्रशासन द्वारा कोविड-19 वायरस की रोकथाम को लेकर अपनाई जा रही अजीबोगरीब क्वारंटीन नीति पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया था। उन्होंने पहला ट्वीट 26 अप्रैल, 2020 को किया था, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘#COVID-19 संक्रमित व्यक्तियों से अनुरोध करें कि वे किसी भी परिचित को फोन पर न बुलाएं। फोन कॉल के आधार पर लोगों का पता लगाया जा रहा है और उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा है। #StaySafeStayHome’
इसके बाद 27 अप्रैल, 2020 को उन्होंने दूसरा ट्वीट किया था, 'क्या कोई समझा सकता है कि COVID-19 रोगियों के साथ फोन पर बात करने के लिए परिवारों को होम क्वारंटाइन के तहत क्यों रखा गया है?’
पुलिस ने पत्रकार जुबेर अहमद पर अंडमान में कोविड-19 के प्रसार को रोकने में प्रशासन के प्रयासों में बाधा डालने की मंशा से झूठी खबर फैलाने का आरोपी बनाया था और इन्हीं दो ट्वीट्स के आधार पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188, 269, 270, 505 (1) (बी) के साथ आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 और 54 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
बता दें कि आरोपी पत्रकार ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को इस आधार पर रद्द करने की मांग की थी कि उनका ट्वीट इस तरह का नहीं था कि जिस पर पुलिस केस दर्ज कर सके।
गौरतलब है कि 26 अप्रैल 2020 को स्थानीय समाचार पत्र ‘अंडमान क्रॉनिकल’ ने ‘अंडमान फाइट्स कोविड-19: एन्टायर फैमिली पुट ऑन होम क्वारंटीन आफ्टर वन कॉल्स अप अ रिलेटिव इन बैम्बूफ्लैट’ शीर्षक के साथ एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि यह घटना तब हुई जब केए रहमान ने अपने एक संबंधी को फोन किया, जो कोरोना संक्रमित थे। उन्हें फोन करने का उद्देश्य पीड़ित (बैम्बूफ्लैट के स्थानीय निवासी) के स्वास्थ्य का हालचाल जानना था। इस कॉल के कई घंटे बाद प्रशासन ने फोन करने वाले शख्स के पूरे परिवार को होम क्वारंटीन कर दिया गया।
हालांकि इस खबर में जिन लोगों को क्वारंटीन किया गया उनके नाम भी बताए गए थे, जिनमें केए रहमान (70 वर्ष), रेहाना रहमान (60 वर्ष), के. अब्दुल रशीद (32 वर्ष) और सायरा बानू (29 वर्ष) शामिल हैं। इस रिपोर्ट में सवाल उठाया गया था कि क्वारंटीन किया गया परिवार अब संदेह में है कि क्या अपने संबंधी को फोन करना अपराध है या अंडमान प्रशासन लोगों की सुरक्षा को लेकर जरूरत से अधिक चिंतित है।
इसी मामले पर पत्रकार जुबैर अहमद ने सवाल उठाते हुए ये ट्वीट किए थे, जिसमें अंडमान प्रशासन को भी टैग किया गया था। वहीं, पुलिस का कहना था कि इस मामले में अहमद ने जो दावा किया है, वह गलत है।
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