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न्यूजक्लिक विवाद: प्रबीर पुरकायस्थ व अमित चक्रवर्ती की न्यायिक हिरासत पांच दिन के लिए बढ़ी
दिल्ली की एक अदालत ने UAPA के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तार 'न्यूजक्लिक' के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ व एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 11 months ago
दिल्ली की एक कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तार 'न्यूजक्लिक' के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की न्यायिक हिरासत शुक्रवार को पांच दिन के लिए बढ़ा दी है।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। दोनों ने अपनी गिरफ्तारी और सात दिन की पुलिस हिरासत के आदेश को चुनौती देते हुए पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था और अंतरिम राहत के रूप में तत्काल रिहा करने का अनुरोध किया था।
उनकी गिरफ्तारी के एक दिन बाद, पटियाला हाउस कोर्ट की एएसजे कौर ने उन्हें 4 अक्टूबर को सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। पुरकायस्थ और चक्रवर्ती दोनों ने अपनी पुलिस रिमांड को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था। दोनों ने अब पुलिस रिमांड को चुनौती देने वाली अपनी याचिकाओं को खारिज करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
एएसजे कौर ने शुक्रवार को उनकी न्यायिक हिरासत 25 अक्टूबर तक बढ़ा दी। पुरकायस्थ का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पहले हाई कोर्ट के समक्ष तर्क दिया था कि 'सभी तथ्य झूठे हैं और एक पैसा भी चीन से नहीं आया है'।
स्पेशल सेल द्वारा 3 अक्टूबर को दर्ज UAPA मामले के संबंध में की गई तलाशी, जब्ती और हिरासत के संबंध में एक बयान में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि कार्यालय परिसर में कुल 37 पुरुष संदिग्धों और नौ महिला संदिग्धों से उनके आवासों पर पूछताछ की गई।
पुलिस ने कहा कि डिजिटल उपकरणों, दस्तावेजों आदि को जब्त कर लिया गया या जांच के लिए एकत्र किया गया। स्पेशल सेल ने 17 अगस्त को 'न्यूजक्लिक' के खिलाफ UAPA और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
‘न्यूजक्लिक’ पर चीन के समर्थन में दुष्प्रचार फैलाने के लिए पैसे लेने का आरोप है। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की एक जांच में अगस्त में ‘न्यूजक्लिक’ पर कथित तौर पर चीनी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम से जुड़े नेटवर्क द्वारा वित्त पोषित संगठन होने का आरोप लगाया गया था।
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