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IIMC के डीजी पद पर प्रो. संजय द्विवेदी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका HC में खारिज
मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने कहा कि मेडिकल या कानून के विपरीत पत्रकारिता में करियर बनाने के लिए इस तरह की किसी विशिष्ट योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
देश के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया शिक्षण संस्थान ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) में महानिदेशक पद पर प्रो. संजय द्विवेदी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मामले की सुनवाई कर रही हाई कोर्ट खंडपीठ ने यह भी कहा है कि पत्रकारिता में करियर के लिए इस तरह की किसी विशिष्ट योग्यता की जरूरत नहीं होती है।
दरअसल, आईआईएमसी के महानिदेशक के रूप में प्रो. संजय द्विवेदी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में कहा गया था कि उनके पास आवश्यक योग्यता नहीं थी और उनके खिलाफ आपराधिक मामलों के आरोप थे।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील खारिज करते हुए कहा कि मेडिकल या कानून के विपरीत पत्रकारिता में करियर बनाने के लिए किसी विशिष्ट योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है।
बता दें कि प्रो. संजय द्विवेदी को जुलाई 2020 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति को डॉ. आशुतोष मिश्रा ने इस आधार पर चुनौती दी थी कि प्रो. द्विवेदी के पास इस पद के लिए आवश्यक योग्यता नहीं थी और उनके खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक मामलों के आरोप लंबित हैं। इस याचिका को एकल न्यायाधीश ने नवंबर 2020 में खारिज कर दिया था।
हाई कोर्ट की खंडपीठ मिश्रा की उस अपील पर विचार कर रही थी जिसमें कहा गया था कि द्विवेदी के पास अपेक्षित कार्य अनुभव नहीं है और इस पद पर नियुक्ति के लिए मास्टर डिग्री के अलावा राष्ट्रीय ख्याति के प्रोफेशनल संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर प्रशासनिक अनुभव के साथ पत्रकारिता/फिल्म/मीडिया के क्षेत्र में न्यूनतम 25 वर्ष का अनुभव आवश्यक है। इसके अलावा भी डॉ. मिश्रा ने अपनी याचिका में कई सवाल उठाए थे।
हाई कोर्ट की खंडपीठ का कहना है कि एकल न्यायाधीश के फैसले में कहा गया है कि विज्ञापन यह निर्दिष्ट नहीं करता है कि पद के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति के कार्य अनुभव की गणना केवल मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद ही की जा सकती है।
इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से दिए गए तर्कों को सुनने के बाद खंडपीठ का कहना था कि आईआईएमसी द्वारा जारी 13 जून 2019 के विज्ञापन के साथ द्विवेदी के बायोडाटा को पढ़ने पर न्यायालय का मानना है कि द्विवेदी की नियुक्ति निर्धारित नियमों का उल्लंघन नहीं थी। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।
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