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विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर जुटे पर्यावरणविद, उठाया ये बड़ा मुद्दा
रिवर कनेक्ट अभियान के तहत आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा, हमें अपनी पीढ़ियों के भविष्य को खतरे में डालने का कोई अधिकार नहीं है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर चार जून को रिवर कनेक्ट अभियान के तहत ‘यमुना कैसे बचे’ को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में यमुना की वर्तमान दुर्दशा पर चिंतन कर शासन-प्रशासन से इसे बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की गयी।
वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल का कहना था कि यमुना की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। पूरी यमुना सूखी हुई है। जो थोड़ा-बहुत पानी दिखाई दे रहा है, वह वास्तव में दुर्गंध युक्त मलमूत्र वाला नालों का पानी है। उन्होंने मांग उठाई कि इस दिशा में राष्ट्रीय नदी नीति व राष्ट्रीय नदी आयोग बना कर जिम्मेदारी निश्चित की जाए, जिससे नदियों में वर्ष भर पानी रह सके।
डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा कि शासन-प्रशासन समय रहते यमुना नदी को बचाने के लिए मजबूत कदम उठाये, अन्यथा यह नदी इतिहास बनकर महज किताबों में कैद हो जाएगी। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता रंजन शर्मा ने कहा कि आज आगरा को स्मार्ट सिटी बनाने कि चर्चा ज़ोर-शोर से की जा रही है, परंतु इस जीवनदायनी नदी की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं है, जबकि हर दृष्टि से इस नदी का साफ व स्वच्छ होना परम आवश्यक है।
शैलेन्द्र नरवार का कहना था, ‘आज हमने यमुना को अपने स्वार्थ के चलते महज मैला ढोने वाली माल गाड़ी बना दिया है, हमें अपनी पीढ़ियों के भविष्य को खतरे में डालने का कोई अधिकार नहीं है।’ संगोष्ठी में मुख्य रूप से बृज खंडेलवाल, डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य, रंजन शर्मा, शैलेन्द्र नरवार, श्रवण कुमार, डॉ. हरेन्द्र गुप्ता, पद्मिनी अयर, राजीव गुप्ता, विशाल झा, चतुर्भुज तिवारी, दीपक राजपूत, दिनेश यादव आदि सम्मिलित हुए।
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