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FIR के विरोध में एडिटर्स गिल्ड की एग्जिक्यूटिव कमेटी ने जारी किया स्टेटमेंट, कही ये बात
बता दें कि मणिपुर में हिंसा और तनाव के हालात पर रिपोर्टिंग को लेकर मणिपुर सरकार की ओर से 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
मणिपुर में हिंसा और तनाव के हालात पर रिपोर्टिंग को लेकर मणिपुर सरकार द्वारा 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' (Editors Guild Of India) के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर गिल्ड की एग्जिक्यूटिव कमेटी ने नाराजगी जताई है। गिल्ड की एग्जिक्यूटिव कमेटी ने इसे लेकर एक स्टेटमेंट भी जारी किया है।
इस स्टेटमेंट में गिल्ड की एग्जिक्यूटिव कमेटी की ओर से कहा गया है कि सरकार को एफआईआर दर्ज कराने का अपना फैसला वापस लेना चाहिए। गिल्ड इस बारे में किसी भी खुली चर्चा के लिए तैयार है। इसके साथ ही इस स्टेटमेंट में गिल्ड की एग्जिक्यूटिव कमेटी का कहना है कि मुख्यमंत्री उनकी संस्था को राज्य विरोधी और राष्ट्रविरोधी बता रहे हैं, इससे वह व्यथित है। गिल्ड ने सरकार से इस एफआईआर को वापस लेने की मांग की है।
Statement by the Executive Committee of the Editors Guild of India on the FIRs registered by the Manipur police against the Guild, as well as the intimidatory remarks made by the Chief Minister of Manipur pic.twitter.com/MHvrYT8ufj
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) September 5, 2023
बता दें कि राज्य सरकार की ओर से जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उनमें एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्य-सीमा गुहा, भारत भूषण तथा संजय कपूर शामिल हैं। गौरतलब है कि एडिटर्स गिल्ड ने हाल में दावा किया था कि मणिपुर में जातीय हिंसा पर मीडिया में आईं खबरें एकतरफा हैं। इसके साथ ही उसने राज्य नेतृत्व पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया था। साथ ही लिखा था कि यह बात स्पष्ट है कि मणिपुर में हिंसा के समय निष्पक्ष लीडरशिप नहीं हो रही थी। सरकार को इस मामले में किसी एक जाति का पक्ष नहीं लेना चाहिए था। सरकार लोकतांत्रिक रहने में फेल हुई है।
इस पर राज्य की सरकार का कहना था कि संगठन अपनी रिपोर्ट्स के जरिये झूठ फैला रहा है और गलत तथ्य पेश कर रहा है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार को कहा था कि उनकी सरकार ने ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, जो मणिपुर राज्य में स्थिति को और बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
गुहा, भूषण और कपूर ने जातीय हिंसा पर मीडिया रिपोर्ट्स का अध्ययन करने के लिए पिछले महीने राज्य का दौरा किया था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ‘सभी समुदायों’ के प्रतिनिधियों से मिलना चाहिए था, न कि ‘केवल कुछ वर्गों से’।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का कहना था कि एडिटर्स गिल्ड के सदस्य राज्य में हिंसा को बढ़ावा दे रहे थे और इससे तनाव बढ़ सकता था। मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैं एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों को वॉर्निंग देता हूं। अगर आपको सच जानना है तो घटना वाली जगह पर जाएं। सच्चाई को जानिए। सभी समुदाय के लोगों से मिलिए, फिर जो जानकारी मिले उसे पब्लिश करें। चुनिंदा लोगों से ही मिलकर कोई नतीजा देना गलत है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एडिटर्स गिल्ड ने अपनी रिपोर्ट में एक फोटो में गलती कर दी थी। गिल्ड ने चुराचांदपुर जिले में एक जलती हुई इमारत की तस्वीर छापी और दावा किया कि यह कुकी समुदाय का घर है, जबकि वह बिल्डिंग वन विभाग ऑफिस की थी, जिसे 3 मई को एक भीड़ ने आग लगा दी थी।
गलत फोटो का मामला सामने आने के बाद एडिटर्स गिल्ड ने रविवार को माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी गलती को स्वीकार किया। गिल्ड ने आगे लिखा, ‘हमें फोटो कैप्शन में हुई गलती के लिए खेद है। इसमें सुधार किया जा रहा है। नई मणिपुर रिपोर्ट अपलोड कर दी गई है। हालांकि इसके बाद मणिपुर सरकार ने गिल्ड के खिलाफ ये एक्शन लिया है।’
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