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मीडिया और सोशल मीडिया के बीच के अंतर को समझना होगा: ओम बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ने ऑनलाइन माध्यम से किया आईआईएमसी के पांच दिवसीय शैक्षणिक सत्र 2021-22 का शुभारंभ

समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago

‘भारतीय जनसंचार संस्थान‘ (आईआईएमसी) के शैक्षणिक सत्र 2021-22 का सोमवार को शुभारंभ हुआ। ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ‘आईआईएमसी‘ के विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे तथ्यों के आधार पर खबर बनाएं और अपनी रिपोर्टिंग से सकारात्मक और रचनात्मक का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाएं। ओम बिरला ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मीडिया लोकतंत्र को सशक्त बनाता है।

उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और विचारों में लोकतंत्र है। विश्व में भारत का लोकतंत्र सबसे समृद्ध है। संविधान के सहारे भारतीय लोकतंत्र ने विकास और समृद्धि की यात्रा तय की है। आज पूरा देश स्वतंत्रता की हीरक जयंती मना रहा है। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में व्यापक प्रगति हो रही है। पूरी दुनिया हमारी कर्मठता, नवाचार, संकल्प शक्ति और सामूहिक शक्ति से परिचित है। आजादी के आंदोलन के इतिहास की तरह आजादी के बाद की 75 वर्षों की यात्रा, भारतीयों के परिश्रम, इनोवेशन और उद्यमशीलता का प्रतिबिंब है।

लोकसभा अध्यक्ष के अनुसार सामाजिक चेतना जागृत करने में मीडिया की बड़ी भूमिका है। मीडिया सरकार और राजनीतिक दलों की जवाबदेही तय करता है और शासन एवं प्रशासन तथा जनता के बीच द्विपक्षीय संवाद को सुगम बनाता है। आज पत्रकारिता का दायरा बढ़ता जा रहा है। लोगों तक मीडिया की पहुंच बढ़ी है, लेकिन इसके साथ ही पत्रकारों का दायित्व भी बढ़ा है। पत्रकार का दायित्व होता है कि वह निडर भी रहे और मुखर भी रहे।

बिरला ने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में मीडिया की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों की जिंदगी बचाने में भी हम कामयाब हुए हैं, लेकिन हमें मीडिया और सोशल मीडिया के बीच के अंतर को समझना होगा। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया को भी जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने आईआईएमसी के सभी विद्यार्थियों को संसद की कार्यवाही देखने के लिए आमंत्रित भी किया। 

समस्याओं का समाधान दे रहे हैं युवा : प्रो. द्विवेदी

नवागत विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए ‘आईआईएमसी‘ के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि भारत में मीडिया का प्रभाव पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ा है। मीडिया का इस्तेमाल और उपयोग करने वाले लोग भी बढ़े हैं। तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के साथ चलते हुए मीडिया आज एक बड़े उद्योग में बदल गया है।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि देश में नई संभावनाओं के द्वार आपका इंतजार कर रहे हैं। आप समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या फिर समाधान का, ये तय करना आपके हाथ में है। अगर आपकी नीयत साफ है और अपने कर्तव्य के प्रति आपकी निष्ठा है, तो आपका हर निर्णय किसी समस्या के समाधान की तरफ आपको ले जाएगा। उन्होंने कहा कि सफलता और असफलता से हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं होता है। जब तक भारत के युवाओं में नया करने का, रिस्क लेने का और आगे बढ़ने का जज्बा है, तब तक हमारे देश के भविष्य की चिंता करने की किसी को जरूरत नहीं है।

मीडिया ने दिलाई लोक संस्कृति को नई पहचान:मालिनी अवस्थी

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रख्यात लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने 'लोक संस्कृति और मीडिया' विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि अखबारों ने लोक संस्कृति को बचाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि आज जो लोक संस्कृति, लोकगीत, लोकगाथाएं हमारे सामने प्रचलित हैं, वे हमारे पूर्वजों के अथक प्रयासों का परिणाम हैं। हमारे पुरखों ने कहीं परंपराओं के माध्यम से, तो कहीं लोकगीतों के रूप में इन्हें संजोए रखा है।

शुभारंभ समारोह के अंतिम सत्र में 'भारत में टीवी और सिनेमा का बदलता स्वरूप' विषय पर प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अनंत महादेवन और 'टीवी न्यूज का भविष्य' विषय पर ‘एनडीटीवी‘ की पत्रकार  नगमा सहर ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया।

इस अवसर पर आईआईएमसी के अपर महानिदेशक आशीष गोयल, सत्रारंभ कार्यक्रम के संयोजक एवं डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह सहित आईआईएमसी के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के दूसरे दिन मंगलवार को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, पैरालंपिक मेडल विजेता सुहास यथिराज, ‘दूरदर्शन‘ के महानिदेशक मयंक अग्रवाल और खेती विरासत मिशन, पंजाब के कार्यकारी निदेशक उमेंद्र दत्त विद्यार्थियों से रूबरू होंगे।


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