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आपातकाल को छोड़कर प्रेस की स्वतंत्रता पर कभी नहीं लगा प्रतिबंध: राजनाथ सिंह

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को एनडीटीवी डिफेंस समिट (NDTV Defense Summit) में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 months ago

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को एनडीटीवी डिफेंस समिट (NDTV Defence Summit) में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौर में मीडिया की स्वतंत्रता को दबाया गया, कुचला गया। अखबारों में छपने से पहले आर्टिकल्स पढ़े जाते थे। अखबारों की हेडलाइंस की एक पार्टी के हेड क्वार्टर से तय होती थी। सरकार का विरोध करने पर पत्रकारों को जेल भेजा जाता था, प्रताड़ित किया जाता था। राजनाथ सिंह ने बताया कि इमरजेंसी के दौरान वह खुद जेल गए थे।

उन्होंने कहा कि आपातकाल के "काले अध्याय" को छोड़ दें, तो भारत के लोकतंत्र के इतिहास में प्रेस की स्वतंत्रता पर "कभी भी कोई प्रतिबंध नहीं देखा जा सकता।"

उन्होंने कहा कि वह ये बातें इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि पिछले कुछ समय से मीडिया पर आरोप लगाया जाता रहा है कि वह निष्पक्ष न होकर सत्ता के पक्ष में बात कर रही है, मीडिया सरकार की भाषा बोल रही है। राजनाथ सिंह ने कहा कि ये सारे आरोप निराधार हैं, इस पर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि सरकार और मीडिया दोनों ही समाज के हिस्से होते हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा जिन बातों पर समाज में सोशल कंसेंसस है, जाहिर सी बात है कि वह चीज सरकार और मीडिया दोनों की बातों में सामने आएंगी।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में आगे कहा कि मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है, उन्होंने यह कहा कि यह सरकार और लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करती है और वे दोनों एक-दूसरे को जोड़ने का काम करती है। 

राजनाथ सिंह ने अमेरिका का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां की जनता ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि अमेरिका की वैश्विक स्थिति के लिए चीन का उदय होना खतरनाक है। जब यह बात समाज ने स्वीकार कर ली है तो यह बात अमेरिका की पॉलिसी में भी दिखती है। अमेरिका की सरकार अपनी ग्लोबल पोजीशनिंग के लिए चीन को एक खतरे के रूप में देखती है। अमेरिकी सरकार का यह स्टैंड अमेरिकी मीडिया में भी दिखता है।

उन्होंने कहा, अमेरिकन मीडिया के आर्टिकल पढ़ने से पता लगता है कि वहां की मीडिया चीन को एक खतरे के रूप में देखती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वहां की सरकार ने मीडिया को नियंत्रित कर रखा है। लोकतांत्रिक देश में चाहे वह भारत हो, अमेरिका हो या यूरोप के देश हों, उनमें समाज जो सोचता है, सामाजिक कंसेंसस की दिशा में सरकार वह कार्य करती है।

कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि लेखक, विचारक और मीडिया उन मुद्दों पर सरकार के विचारों को भी प्रतिबिंबित कर सकते हैं जहां "सामाजिक सहमति" है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे "सरकार की कठपुतली" हैं। उनका अपना एक स्वतंत्र अस्तित्व होता है। ठीक इसी प्रकार से प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमारी सरकार की पॉलिसी है जो यहां की मीडिया में रिफ्लेक्ट होती है। जैसे यदि हमारी सरकार यह कहती है कि हम भारत के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे 'इंडिया फर्स्ट' की बात करेंगे तो यह बात मीडिया में भी रिफ्लेक्ट होगी। यदि सरकार भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की बात करती है तो यह बात मीडिया में भी रिफ्लेक्ट होगी।

रक्षा मंत्री ने कहा कि यही कारण है कि जब भी कोई भ्रष्टाचारी पकड़ा जाता है तो मीडिया उस पर डिटेल कवरेज देती है। राजनाथ सिंह ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष भी एक सामाजिक संस्था है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान में विपक्ष, सोशल कंसेंसस को सामने लाने की अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि मीडिया हमारी नीतियों व योजनाओ की आलोचना भी करती है। जब कभी ऐसी आलोचना होती है तो हम उसे स्वीकार करते हैं और उसे सुधारने का प्रयत्न भी करते हैं। आलोचना को लेकर हमारा सकारात्मक रवैया है।

उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर मीडिया ने गंभीर रूख अपनाया और जहां भी इसमें कोई कमी थी मीडिया इसको रिपोर्ट करती थी। हमारी सरकार उन कमियों को दूर करती थी और आज जीएसटी एक स्टेबलिश्ड सिस्टम बन चुका है।


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