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पत्रकारों की बेरहमी से पिटाई, कैमरा तोड़ा, लगायी ऐसी रिपोर्टिंग पर पाबंदी
अफगानिस्तान में कब्जे के बाद तालिबान ने यहां अपनी सरकार बना ली है। आरोप है कि पाकिस्तान तालिबानियों का साथ दे रहा है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
अफगानिस्तान में कब्जे के बाद तालिबान ने यहां अपनी सरकार बना ली है। आरोप है कि पाकिस्तान तालिबानियों का साथ दे रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बीच अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की सड़कों पर मंगलवार को विरोध मार्च निकाला गया। इस विरोध प्रदर्शन में अफगान महिलाएं और नौजवान अपने अधिकारों की मांग करने के साथ-साथ पाकिस्तान विरोधी नारे भी लगाए। इस दौरान तालिबान ने हवा में गोलियां चलाईं और विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे कई पत्रकारों को गिरफ्तार भी किया।
वहीं, ह्यूमन राइट्स वॉच ने बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान में पत्रकारों को मारा जा रहा है, उन्हें हिरासत में रखा जा रहा है और मीडिया की रिपोर्टिंग पर रोक लगाई जा रही है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि तालिबान को हमलों को रोकना चाहिए और प्रतिबंधों को हटाना चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिए प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों के खिलाफ जो दुर्व्यवहार किया जा रहा है, उसके दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
वहीं, दो अफगान पत्रकारों की तस्वीरें भी सामने आयी हैं, जो काबुल के विरोध प्रदर्शनों पर रिपोर्टिंग कर रहे थे। तालिबान द्वारा पिटाई से वह पत्रकार बहुत बुरी तरह घायल हो गए हैं। बता दें कि 7 सितंबर को तालिबान सिक्योरिटी फोर्स ने काबुल स्थित मीडिया संस्थान एतिलात-ए-रोज के दो पत्रकारों ताकी दरयाबी और नेमात नदकी को हिरासत में ले लिया था।
एतिलाद-ए-रोज ने दावा किया कि तालिबानी उन्हें काबुल पुलिस स्टेशन ले गए, जहां दोनों को अलग-अलग सेल में रखा गया और उन्हें केबल से पीटा गया। 8 सितंबर को दोनों रिपोर्टरों को छोड़ दिया गया। दोनों के चेहरे और शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच एशिया की एसोसिएट डायरेक्टर पेट्रीशिया गॉसमैन ने कहा, 'तालिबान ने दावा किया था कि वह मीडिया को तब तक काम करने देंगे, जब तक वो इस्लामी मूल्यों का सम्मान करते हैं, लेकिन वो पत्रकारों को प्रदर्शनों पर रिपोर्टिंग करने से रोक रहे हैं।' उन्होंने कहा कि तालिबान को ये सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सभी पत्रकार बिना कोई डर के अपना काम करने में सक्षम हैं।
बताया यह भी जा रहा है कि 7 सितंबर को तालिबानियों ने टोलो न्यूज के फोटो जर्नलिस्ट वाहिद अहमदी को भी पकड़ लिया था। हालांकि, उन्हें उसी दिन छोड़ दिया गया था, लेकिन उनका कैमरा छीन लिया गया था और दूसरे पत्रकारों को भी प्रदर्शन कवर करने से रोक दिया गया था। साथ ही इसी दिन यह ऐलान किया गया था कि कोई भी विरोध प्रदर्शन के लिए उससे मंजूरी लेनी होगी। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो ये प्रदर्शन गैरकानूनी होगा। कुछ पत्रकारों का तो ये भी कहना है कि तालिबान ने उनसे कहा है कि विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग करना भी गैरकानूनी होगा।
तालिबान के कमांडर और लड़ाके पिछले काफी लंबे समय से मीडिया के लोगों को डराने-धमकाने और उनके खिलाफ हिंसा कर रहे हैं और यहां तक कि पत्रकारों की भी हत्या की जा रही है।
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