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PCI चेयरमैन जस्टिस सी.के.प्रसाद ने 'संपादकों' पर की कड़ी टिप्पणी
सोशल मीडिया विचार व्यक्त करने का एक सार्वजनिक मंच है, यह पत्रकारिता नहीं है
पंकज शर्मा 5 years ago
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के अध्यक्ष जस्टिस सी.के.प्रसाद का कहना है कि आज के दौर में पत्रकारिता की विश्वसनीयता खतरे में है। अब पत्रकारिता प्रोफेशनल संपादकों के बजाय मैनेजर्स द्वारा संचालित की जा रही है और पत्रकार चीयर लीडर की भूमिका निभा रहे हैं। पत्रकारों की स्थिति पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि जब तक पत्रकारों को नौकरी की सुरक्षा नहीं मिलेगी और पत्रकारिता जगत की कमान प्रोफेशनल संपादकों के हाथ में नहीं होगी, तब तक पत्रकारिता का संकट दूर नहीं होगा।
शिकायतों की सुनवाई के लिए दो दिवसीय दौरे पर पटना आए जस्टिस सीके प्रसाद ने कहा कि मैनेजर्स सिर्फ लाभ-हानि की भाषा ही समझते हैं और मालिकों को भी वे यही बात समझाते हैं। इन मैनेजर्स को कंटेंट से कोई मतलब नहीं होता। उन्होंने कहा है कि देश में या तो हाहाकारी पत्रकारिता हो रही है या जयजयकारी पत्रकारिता। यह न तो पत्रकारिता के लिए ठीक है और न ही पत्रकारों के लिए। इससे विश्वसनीयत प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया विचार व्यक्त करने का एक सार्वजनिक मंच है, जिस पर सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन यह हमारे हिसाब से पत्रकारिता नहीं है। न्यूज अलग होती है और लोगों के विचार अलग होते हैं। सोशल मीडिया पर लोग अपने विचार रख सकते हैं, वे अन्य मंचों पर भी अपने विचार रख सकते हैं, लेकिन यह न्यूज नहीं होती है।
जस्टिस सी.के.प्रसाद का कहना था कि मीडिया के बारे में आप लोगों ने सुना होगा कि यह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, समाज का आईना है, लेकिन इसके बारे में यह भी कहा गया है कि मीडिया और पत्रकारिता जैविक आवश्यकता (बायोलॉजिकल नेसेसिटी) है।
जस्टिस सीके प्रसाद द्वारा मीडिया को लेकर कही गई बातों को आप नीचे दिए गए विडियो में देख सकते हैं-
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