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जेल से बाहर आए कश्मीरी पत्रकार को दो दिन बाद फिर किया गया गिरफ्तार
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट द्वारा दिसंबर में जनसुरक्षा अधिनियम के तहत जारी हिरासत आदेश को रद्द किए जाने के दो महीने बाद सुल्तान को रिहा किया गया था।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 months ago
कश्मीरी पत्रकार आसिफ सुल्तान के केस में गुरुवार को एक नया मोड़ देखने को मिला। आतंकवादियों को मदद करने के आरोप में सुल्तान पांच साल से अधिक समय तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद यूपी की अंबेडकर जेल से मंगलवार को रिहा हुए थे, लेकिन श्रीनगर जिला पुलिस द्वारा दायर गैरकानूनी गतिविधियों के एक पुराने मामले में गुरुवार को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट द्वारा दिसंबर में जनसुरक्षा अधिनियम के तहत जारी हिरासत आदेश को रद्द किए जाने के दो महीने बाद सुल्तान को रिहा किया गया था।
सुल्तान को शुरुआत में बटमालू पुलिस स्टेशन ने समन भेजा था और बाद में रैनावारी पुलिस स्टेशन ने उसे हिरासत में ले लिया था।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने दो महीने पहले ही सुल्तान की रिहाई के आदेश जारी कर दिए थे। कोर्ट ने पत्रकार की गिरफ्तारी से जुड़े मामले में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने में चूक होने की बात कहते हुए उनके खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया था।
सुल्तान को उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिला जेल में पांच साल काटने पड़े। हालांकि, कोर्ट की ओर से राहत मिलने के बाद भी सुल्तान को कश्मीर गृह विभाग और श्रीनगर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से क्लियरेंस लेटर मिलने में देरी होने की वजह से दो महीने तक और रिहाई के लिए इंतजार करना पड़ा। सुल्तान काे सितंबर 2018 में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था।
सुल्तान पर प्रतिबंधित आतंकी संगठनों को लॉजिस्टिक सपोर्ट उपलब्ध करवाने यानी कि आने-जाने में मदद करने का आरोप था। गिरफ्तारी के चार साल बाद जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने सुल्तान को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी करने को मंजूरी दे दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि जांच एजेंसियां यह साबित करने में विफल रहीं कि सुल्तान किसी प्रतिबंधित संगठन से जुड़ा हुआ था। हालांकि, इसके महज चार दिन बाद ही श्रीनगर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने लोक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत सुल्तान को हिरासत में लेने का आदेश जारी कर दिया था। जिससे सुल्तान की रिहाई का रास्ता बंद हो गया था।
बीते साल 11 दिसंबर को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने पी एसए के तहत सुल्तान की गिरफ्तारी को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस कानून के तहत कार्रवाई करने में उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया था। बता दें कि पीएसए एक्ट के तहत किसी भी शख्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के कारणों से दो साल तक के लिए बिना ट्रायल हिरासत में रखा जा सकता है। साथ ही हिरासत की अवधि पूरा होने पर इसे बढ़ाने का भी प्रावधान होता है।
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