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हथकड़ी लगाकर जेल भेजने के मामले में मानवाधिकार आयोग ने पत्रकार को यूं दिलाया इंसाफ
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद एक पत्रकार को मानवाधिकार आयोग के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अंतरिम राहत के तौर पर दो लाख रुपये का मुआवजा दिया है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद एक पत्रकार को मानवाधिकार आयोग के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अंतरिम राहत के तौर पर दो लाख रुपये का मुआवजा दिया है। यह मामला उत्तर प्रदेश के एटा जिले का है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब छह साल पूर्व पुलिस ने एटा जनपद के जैथरा थाना क्षेत्र व कस्बा के निवासी पत्रकार सुनील कुमार को झूठे मुकदमे में हथकड़ी लगाकर जेल भेज दिया था।
झूंठे मुकदमे में अवैधानिक गिरफ्तारी एवं हथकड़ी लगाकर जेल भेजने के मामले में सुनील ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में गुहार लगाई थी। करीब छह साल चली इस कानूनी लड़ाई में मानवाधिकार आयोग ने न सिर्फ सुनील की दलीलों को स्वीकार किया, बल्कि मानवाधिकार हनन पर प्रदेश सरकार को मुआवजा देने का भी आदेश देकर दो लाख रुपये का मुआवजा अंतरिम राहत के तौर पर दिलवाया।
राज्यपाल की स्वीकृति के बाद शासन ने पीड़ित पत्रकार को दो लाख मुआवजा प्रदान कर भुगतान के साक्ष्य उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। बताया जाता है कि एटा के एसएसपी उदय शंकर सिंह ने मुआवजा की कार्रवाई पूर्ण कराकर पीड़ित के खाते में कोषागार से दो लाख रुपये का भुगतान करा दिया है। पीड़ित को यह राशि अंतरिम राहत के रूप में प्रदान की गई है। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में यह इस तरह का पहला मामला है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जैथरा थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष कैलाश चन्द्र दुबे ने 22 जून 2016 को कथित छेड़खानी की घटना में कस्बा जैथरा के मोहल्ला नेहरू नगर निवासी पत्रकार सुनील कुमार को साजिश के तहत झूठा फंसाते हुए 23 जून को अवैधानिक तरीके से गिरफ्तार कराकर 24 जून को जेल भेज दिया था।
कुछ समय बाद जमानत पर जेल से छूटने के बाद पीड़ित ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली में पूरे प्रकरण की शिकायत की थी और दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी। इसके साथ ही हथकड़ी लगाकर ले जाने को गरिमामय जीवन जीने के अधिकार के हनन पर मुआवजा की मांग उठाई।
आयोग ने तत्कालीन एसएसपी, एटा को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की थी। पुलिस की रिपोर्ट के बाद आयोग ने पूरे प्रकरण की जांच अपनी टीम से कराई। पीड़ित पत्रकार ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के कई महत्वपूर्ण आदेशों के साथ दलील देकर पुलिस के कृत्य को संवैधानिक एवं मानवाधिकार के प्रतिकूल बताया।
छह साल चली लंबी जांच के बाद आयोग ने जिले के तत्कालीन एसएसपी अजयशंकर राय, उस समय जैथरा में तैनात रहे थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे, विवेचक मदन मुरारी द्विवेदी को दोषी पाते हुए संबंधितों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए डीजीपी आदेश दिया। साथ ही प्रदेश के मुख्य सचिव को पीड़ित पत्रकार को दो लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया था।
राज्यपाल की स्वीकृति के बाद शासन ने एसएसपी को मुआवजा राशि का बजट भेजते हुए पीड़ित पत्रकार को 10 दिवस में मुआवजा राशि का भुगतान कर साक्ष्य उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उदय शंकर सिंह ने 22 मार्च को पीड़ित के खाते में दो लाख रुपये की राशि का ट्रेजरी से भुगतान करा दिया है।
बता दें कि इस मामले में आयोग अब तक जिले के तत्कालीन एसएसपी, एसओ व विवेचक के खिलाफ कार्यवाही के आदेश दे चुका है। वहीं एसएसपी स्तर से एक हैड मोहर्रिर सहित तीन पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की जा चुकी है।
वहीं, सुनील कुमार का कहना है कि अभी उन्हें अंतरिम राहत मिली है। अभी उनकी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। सुनील कुमार के अनुसार, उनकी यह लड़ाई देश-प्रदेश के अन्य पत्रकारों के लिए भी सुरक्षा कवच साबित होगी। इसके साथ ही यह उन पुलिसकर्मियों के लिए भी सबक होगी, जो अपने आकाओं को खुश करने के लिए पत्रकारों और समाज के अन्य लोगों को इस तरह के झूठे मुकदमों में फंसाते हैं।
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