होम / मीडिया फोरम / परिचर्चा: बच्चों के हितों के लिए मीडिया के साथ समाज और सरकार को भी आना होगा सामने

परिचर्चा: बच्चों के हितों के लिए मीडिया के साथ समाज और सरकार को भी आना होगा सामने

इंडिया फॉर चिल्ड्रेलन और कैलाश सत्यानर्थी चिल्ड्रे न्सी फाउंडेशन की ओर से 14 दिसंबर को ‘कोरोनाकाल, बच्चेर और मीडिया’ विषय पर हुई परिचर्चा

समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago

‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के संस्‍थापक कैलाश सत्‍यार्थी को नोबेल शांति पुरस्‍कार मिलने की छठी वर्षगांठ पर इंडिया फॉर चिल्‍ड्रेन और कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) की ओर से 14 दिसंबर को ‘कोरोनाकाल, बच्‍चे और मीडिया’ विषय  पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। वक्‍ताओं ने कोरोनाकाल में मीडिया में बच्‍चों के प्रति उपेक्षाभाव पर चिंता व्‍यक्‍त की और कहा कि मीडिया में इस अत्‍यंत जरूरी मुद्दे के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाए जाने की जरूरत है।

इस परिचर्चा में वरिष्ठ पत्रकार (पद्मश्री) आलोक मेहता का कहना था कि कोरोनाकाल में बच्‍चों के लगातार घर में रहने और किसी से नहीं मिलने-जुलने का मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा है। इससे एक ओर यदि वे काफी चिड़चिड़े हो गए हैं, वहीं दूसरी ओर उनके मन में बड़ा डर भी बैठ गया है। अपने मां-बाप के अलावा किसी और को देखते ही भाग जाते हैं। इस डर को निकालने की जरूरत है। पहले बच्‍चों पर मीडिया में चर्चा होती थी,लेकिन अब वह नहीं होती। राजेंद्र माथुर और अज्ञेय जैसे पत्रकारों-साहित्‍यकारों ने इस दिशा में काफी कुछ किया है। अगले साल बच्‍चों एवं महिलाओं के लिए केंद्र सरकार एक ऐसा बजट पेश करे जो दुनिया के अन्‍य देशों के लिए भी नजीर बने। बच्‍चों के प्रति पूरे देश में जागरुकता और संवेदनशीलता बढ़े, इसके लिए जरूरी है कि प्रत्‍येक पंचायत में उनके लिए पत्रिका हो, अखबार हो। पहले चंपक, पराग और नंदन जैसी पत्रिकाएं गांवों में भी देखने को मिल जाती थीं, अब वे भी बंद हो गई हैं।

वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्‍यक्ष अजय सेतिया ने कहा कि वे जब उत्‍तराखंड में बाल आयोग के अध्‍यक्ष थे, तब उन्‍होंने बाल अधिकारों के प्रति मीडिया में संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए संपादकों को पत्र लिखा था। उन्‍होंने इसके लिए कार्यशालाएं भी आयोजित कीं, लेकिन उसका परिणाम अपेक्षा के अनुकूल नहीं रहा। कोरोनाकाल में जब से मजदूरों की अपने गांवों में वापसी हुई है उनके बच्‍चों की शिक्षा अवरुद्ध हुई है। गांवों में अभी भी इंटरनेट की सुविधा नहीं है। इसलिए बच्‍चों के लिए सबको मिल-जुलकर काम करने की जरूरत है। इसके लिए मीडिया के साथ-साथ समाज और सरकार को भी सामने आना होगा।

अमर उजाला डिजिटल के संपादक जयदीप कार्णिक का कहना था कि कैलाश सत्‍यार्थी ने नोबेल पुरस्‍कार प्राप्‍त कर बाल मजदूरी को वैश्विक मुद्दा बना दिया। कोरोनाकाल में बच्‍चों को मीडिया ने उतना कवर नहीं किया, जितना करना चाहिए था। कोरोना ने बच्‍चों के मनोविज्ञान पर प्रभाव डाला, जिसको मीडिया समझने में विफल रहा। लेकिन हम सब कोशिश करेंगे कि हम अपने मीडिया संस्‍थान में बच्‍चों के प्रति संवेदनशीलता बढाएं। मीडिया में बच्‍चों के लिए जगह निकालनी होगी। न्‍यूजरूम को बच्‍चों के प्रति संवेदनशील होना होगा।

लाइव हिंदुस्‍तान के संपादक प्रभाष झा ने कहा कि बच्‍चों से जुड़े सिर्फ 6 फीसदी मामलों को ही मीडिया में कवर किया जाता है। उसमें भी अपराध से संबंधित खबरे ज्यादा होती हैं। मीडिया में बच्‍चों से जुड़े मामले इसलिए भी नहीं आ पाते हैं, क्‍योंकि वहां पर रिपोर्टर को पहले ही कह दिया जाता है कि उन्‍हें 3-सी यानी क्राइम, क्रिकेट और सेलिब्रेटी को तवज्‍जो देनी है। मीडिया में बच्‍चे भी प्राथमिकता से आ पाएं, इसके लिए हमें न्‍यूजरूम में विविधता का पालन करना होगा। नयूजरूम के साथ-साथ हमें अपने-अपने घरों को भी बच्‍चों के प्रति संवेदनशील बनाना होगा, क्‍योंकि बच्‍चों की शिक्षा घर से ही शुरू होती है। यह बात सही है कि वोट बैंक नहीं होने के कारण बच्‍चों का जिस तरह से राजनीति पर दबाव नहीं बन पाता है, उसी तरह से मीडिया में भी उनको फोकस नहीं किया जाता है।

लेखक एवं फिल्‍म निदेशक जैगम इमाम का कहना था कि अपने पत्रकारिता के अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि मीडिया बच्‍चों के प्रति जवाबदेह नहीं है। बच्‍चे देश के इतने महत्‍वपूर्ण घटक हैं कि सत्‍यजीत रे जैसे फिल्‍मकार भी बच्‍चों को केंद्र में रखकर अपनी फिल्‍में बनाते हैं। ‘पाथेर पांचाली’ और ‘अपूर संसार’ जैसी महान फिल्‍में इसका उदाहरण हैं। मीडिया में बच्‍चों के लिए यदि संवेदनशीलता नहीं है तो इसका मतलब है कि बच्‍चों के प्रति वहां ‘अनुराग’ नहीं है। इसलिए इस अनुराग को पहले पैदा करना होगा। बच्‍चों के जरिये हम समाज के अनदेखे कोने को सामने ला सकते हैं। मीडिया को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए, नहीं तो आने वाला कल का भारत गड़बडि़यों से भरा होगा।  

बता दें कि बच्‍चों के लिए नोबेल शांति पुरस्‍कार प्राप्ति की छठी वर्षगांठ के पांचवें दिन आयोजित यह कार्यक्रम ‘फ्रीडम वीक’ के तहत आयोजित किया गया। पिछले पांच दिनों से वर्चुअल परिचर्चाओं और फिल्‍म स्‍क्रीनिंग का यह सिलसिला अभी चल रहा है। इसके तहत अभी 2 और विशेष परिचर्चाओं का आयोजन होना है, जिसमें कैलाश सत्‍यार्थी के काव्‍य संग्रह और पुस्तक ‘सभ्‍यता का संकट और समाधान’ का भी विमोचन होगा।

इस पूरी परिचर्चा को आप यहां देख सकते हैं-


टैग्स कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन अनिल पांडेय परिचर्चा
सम्बंधित खबरें

वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को किया गिरफ्तार, धोखाधड़ी का आरोप

वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है।

2 days ago

डॉ. कर्ण सिंह के सार्वजनिक जीवन में 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हुआ अभिनंदन समारोह

लगभग उसी समय डॉ. सिंह ने अपने निजी जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया, उन्होंने नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी से विवाह किया। वे दोनों शालीनता और गरिमा के उदाहरण थे।

4 days ago

पत्रकारों की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग पर एफआईआर दर्ज करना अनुचित: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना मात्र के आधार पर पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।

5 days ago

‘जी मीडिया’ ने मोना जैन और पूजा दुग्गल को दी विदाई, यहां देखें फेयरवेल की झलकियां

मोना जैन यहां चीफ रेवेन्यू ऑफिसर और पूजा दुग्गल एचआर हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं, जहां से उन्होंने कुछ समय पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

1 week ago

‘भारत एक्सप्रेस’ के CMD उपेंद्र राय 'राष्ट्र चेतना अवॉर्ड' से सम्मानित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के माउंट आबू में ब्रह्माकुमारीज संस्था की ओर से आयोजित चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया।

1 week ago


बड़ी खबरें

वरिष्ठ TV पत्रकार अभिषेक उपाध्याय का क्या है ‘TOP सीक्रेट’, पढ़ें ये खबर

अभिषेक उपाध्याय ने अपने ‘एक्स’ (X) हैंडल पर इस बारे में जानकारी भी शेयर की है। इसके साथ ही इसका प्रोमो भी जारी किया है।

5 hours ago

‘दैनिक भास्कर’ की डिजिटल टीम में इस पद पर है वैकेंसी, जल्द करें अप्लाई

यदि एंटरटेनमेंट की खबरों में आपकी रुचि है और आप मीडिया में नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए काफी काम की हो सकती है।

1 day ago

इस बड़े पद पर फिर ‘एबीपी न्यूज’ की कश्ती में सवार हुईं चित्रा त्रिपाठी

वह यहां रात नौ बजे का प्राइम टाइम शो होस्ट करेंगी। चित्रा त्रिपाठी ने हाल ही में 'आजतक' में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह यहां एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

1 day ago

’पंजाब केसरी’ को दिल्ली में चाहिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर, यहां देखें विज्ञापन

‘पंजाब केसरी’ (Punjab Kesari) दिल्ली समूह को अपनी टीम में पॉलिटिकल बीट पर काम करने के लिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर की तलाश है। ये पद दिल्ली स्थित ऑफिस के लिए है।

1 day ago

हमें धोखा देने वाले दलों का अंजाम बहुत अच्छा नहीं रहा: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

जिसकी सीटें ज़्यादा उसका सीएम बनेगा, इतने में हमारे यहाँ मान गये होते तो आज ये हाल नहीं होता, जिस चीज के लिए गये थे उसी के लाले पड़ रहे हैं।

1 day ago