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हैडलाइन में कमाल दिखा रहा है मध्यप्रदेश का ये अखबार

कोई खबर पढ़ी जाएगी या नहीं, यह काफी हद तक उसके शीर्षक पर निर्भर करता है। यही वजह है कि अखबारों में शीर्षक पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago

कोई खबर पढ़ी जाएगी या नहीं, यह काफी हद तक उसके शीर्षक पर निर्भर करता है। यही वजह है कि अखबारों में शीर्षक पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है। अंग्रेजी मीडिया में ‘द टेलीग्राफ’ अपनी हेडिंग के लिए मशहूर है। हालांकि उसके शीर्षक कुछ ज्यादा ही तीखे होते हैं, इसलिए एक खास वर्ग की नजरों में नहीं चढ़ पाते। हिंदी में भी कुछ अखबार दिल को छूने वाले शीर्षक लगाते हैं, इन ‘कुछ’ में से एक है ‘प्रजातंत्र’। मध्यप्रदेश के इंदौर से प्रकाशित होने वाले इस अखबार ने थोड़े से समय में ही अपनी अलग पहचान स्थापित की है। खबरों के साथ-साथ अखबार अपनी हैडलाइन को लेकर भी अक्सर चर्चा में रहता है। जेएनयू हिंसा पर ‘प्रजातंत्र’ के शीर्षक ‘नकाबपोश सत्ता’ ने काफी सुर्खियां बंटोरी थीं।

कई मीडिया संस्थानों में अहम भूमिका निभा चुके वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने 2018 में हिंदी में ‘प्रजातंत्र’ और अंग्रेजी में ‘फर्स्ट प्रिंट’ की शुरुआत की थी। तब से लगातार अखबार अपने पाठकों की पसंद बना हुआ है। खासतौर पर प्रभुत्व वर्ग और ब्यूरोक्रेसी में इसकी अच्छी डिमांड है। अखबार में सामान्य खबरों के साथ-साथ कुछ न कुछ ऐसा जरूर होता है जो चर्चा का विषय बन जाता है। उदाहरण के तौर पर मध्यप्रदेश के चर्चित हनीट्रैप कांड में ‘प्रजातंत्र’ की कवरेज और खुलासे सबकी जुबां पर थे। ‘माया मेमसाहब’ शीर्षक तले अखबार ने सबसे पहले ‘हनी’ के जाल में फंसे नेता-अफसरों की कहानी को विस्तार से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया था।

झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम को लेकर भी ‘प्रजातंत्र’ ने सबसे जुदा हेडिंग लगाई थी... ‘सरयू’ के उफान में रघुबर बहे, साथ में भाजपा को भी ले डूबे’। सरयू नदी से सरयू राय को जोड़कर बनाया गया यह शीर्षक कलात्मकता का सटीक उदाहरण है। इसी तरह, अयोध्या की विवादित भूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ‘प्रजातंत्र’ ने अपनी हैडलाइन ‘सबै भूमि राम की’ से सुर्खियां बंटोरी थीं। शीर्षक में ऐसे कलात्मक प्रयोग अखबार में हर रोज़ देखने को मिलते हैं। इसके अलावा, संपादक हेमंत शर्मा की कंटेंट और लेआउट पर भी पैनी नजर रहती है। हाल ही में ‘प्रजातंत्र’ ने भोपाल ब्यूरो को मजबूत करने के लिए वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र पैगवार को उसकी कमान सौंपी है। पैगवार राजनीति के साथ-साथ पुलिस-प्रशासन पर गहरी पकड़ रखते हैं।    

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