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‘तिनका तिनका तिहाड़’ किताब ने पूरे किए दस साल, डॉ. वर्तिका नंदा ने यूं शेयर कीं फीलिंग्स
इस दस साल का जश्न मनाने के लिए बुधवार को तिहाड़ की महिला जेल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
जानी-मानी पत्रकार और जेल सुधार एक्टिविस्ट डॉ. वर्तिका नंदा और तिहाड़ जेल की पूर्व महानिदेशक विमला मेहरा की लिखी किताब ‘तिनका तिनका तिहाड़’ (Tinka Tinka Tihar) ने दस साल पूरे कर लिए हैं। इस दस साल का जश्न मनाने के लिए बुधवार को तिहाड़ की महिला जेल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इसके साथ ही इस मौके पर ‘तिनका तिनका फाउंडेशन’ द्वारा इस किताब की री-लॉन्चिंग भी की गई। इस किताब की री-लॉन्चिंग के मौके पर महानिदेशक (दिल्ली कारागार) संजय बेनीवाल, पूर्व महानिदेशक (कारागार) विमला मेहरा, अतिरिक्त महानिरीक्षक (कारागार) एच.पी.एस सरन, महिला जेल अधीक्षक कृष्णा शर्मा और डॉ. वर्तिका नंदा समेत जेल का तमाम स्टाफ मौजूद था। कार्यक्रम का खास आकर्षण एक कैदी थी, जिसने वर्ष 2013 में एक कवि के रूप में इस किताब में योगदान दिया था। करीब 12 साल से जेल में बंद इस कैदी ने दर्शकों को अपनी कविताएं सुनाईं।
जेल अधीक्षक कृष्णा शर्मा और उनकी टीम ने वर्ष 2013 से 2023 तक की 10 साल की यात्रा को दर्शाते हुए तिनका तिनका तिहाड़ की थीम पर महिला कैदियों की अभिनव अभिव्यक्तियों के साथ विशेष प्रदर्शनी का प्रदर्शन किया। कैदियों ने एक नाटक के माध्यम से अपने अनुभव बयां किए और तिनका तिनका तिहाड़ सॉन्ग गाया। ‘तिनका तिनका तिहाड़’ के अब तक के सफर का वीडियो भी प्रोजेक्टर पर कैदियों को दिखाया गया।
बता दें कि इस किताब में एशिया की सबसे बड़ी इस जेल के अंदर कैदियों की जिंदगी और उन्हें सुधारने की अनूठी कोशिश के बारे में बताया गया है। इस किताब को वर्ष 2013 में तत्कालीन गृहमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। तिनका तिनका तिहाड़ एक लंबी यात्रा है, जिसमें एक किताब, थीम गीत और जेलों की बाहरी दीवारों पर कविता के रूप में पेंटिंग शामिल है। तिहाड़ की बाहरी दीवार पर लिखी कविता ‘सुबह लिखती हूं शाम लिखती हूं इस चारदीवारी मैं बैठके तेरा नाम लिखती हूं’ को भी इस किताब में जगह दी गई है, जिसे तिहाड़ में बंद सीमा रघुवंशी ने लिखा है।
इस किताब का छह भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है और इसे जेल जीवन का प्रामाणिक संस्करण माना जाता है। इस दीवार का उद्घाटन वर्ष 2014 में तत्कालीन उपराज्यपाल ने किया था और इस थीम सॉन्ग को तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने जारी किया था। इस किताब और थीम सॉन्ग को अपनी मौलिकता के लिए ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में दर्ज किया गया है। वर्ष 2015 में प्रिजन स्टैटिस्टिक्स इंडिया में ‘तिनका तिनका तिहाड़’ का विशेष उल्लेख किया गया था।
इस बारे में वर्तिका नंदा का कहना है, ‘कोई सोच भी नहीं सकता है कि मेरे लिए इसके क्या मायने हैं। मुझे आगे आने और इन लोगों की स्टोरी के कुछ हिस्से शेयर करने में 30 साल लग गए। यह वर्ष 1993 की बात है, जब मैं तिहाड़ जेल के बाहर खड़े होकर जिंदगी के बारे में सोच रही थी। मैंने इंटरव्यू लिया और वापस आ गई। इसके बाद एक पत्रकार के रूप में जेल के बंदियों के दर्द को महसूस करने और इस बारे में लिखने के कई अन्य अवसर मिले। इसके बाद वर्ष 2013 में तिनका तिनका तिहाड़ लिखी। आज इस किताब के दस साल पूरे हो चुके हैं।’
इस बारे में वर्तिका नंदा की फेसबुक पोस्ट को आप यहां देख सकते हैं।
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