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‘नंबरों की दौड़’ में उलझकर रह गई है आज के दौर की पत्रकारिता: उपेंद्र राय
‘न्यूज नेक्स्ट’ (News Next) 2023 कॉन्फ्रेंस में एक सेशन के दौरान जाने-माने पत्रकार और ‘भारत एक्सप्रेस’ के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने वर्तमान दौर की पत्रकारिता को लेकर अपने विचार रखे।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह द्वारा हर साल दिए जाने वाले बहुप्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) 2022 के विजेताओं के नाम से पर्दा उठ गया है। 27 अगस्त 2023 को नोएडा स्थित होटल रैडिसन ब्लू में हुए एक समारोह में इन विजेताओं के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। इनबा का यह 15वां एडिशन था। इससे पहले सुबह नौ बजे से ‘न्यूज नेक्स्ट’ (News Next) 2023 का आयोजन किया गया, जिसमें मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर जाने-माने पत्रकार और इंडस्ट्री लीडर्स अपनी बात रखी।
‘न्यूज नेक्स्ट’ (News Next) 2023 कॉन्फ्रेंस में एक सेशन के दौरान जाने-माने पत्रकार और ‘भारत एक्सप्रेस’ के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने वर्तमान दौर की पत्रकारिता को लेकर कहा कि इसका मूल्याकंन संख्याओं से किया जाता है, गुणवत्ता से नहीं।
उपेंद्र राय का कहना था, ‘बड़ी संख्या में लोग आमतौर पर इस बात से परेशान हैं कि हम (मीडिया) उस तरह की खबरें नहीं दे पा रहे हैं, जो वे सुनना चाहते हैं। आज के दौर की पत्रकारिता संख्याओं और आंकड़ों तक सिमटकर रह गई है और इस स्थिति में तमाम मीडिया वैसी खबरें नहीं दे पा रहा है, जो लोग चाहते हैं।’
इसके साथ ही उनका यह भी कहना था, ‘मीडिया का लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मुट्ठी भर लोग मार्केट, मांग-आपूर्ति और सोच को प्रभावित करते हैं। आज के दौर में रेवेन्यू हासिल करने अथवा विस्तार करने का बहुत दबाव है। ऐसे में हम बहुत सी चीजें खो देते हैं और यह नहीं सोचते कि इसका हम पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इसके लिए हम सभी किसी न किसी तरह से दोषी हैं।’
अपनी बात को समझाने के लिए उन्होंने प्रख्यात पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी की उस बात को साझा किया, जिसमें उन्होंने वर्ष 1925 में कहा था कि हमने इस सेवा (पत्रकारिता) को बिजनेस में बदल दिया है।
इस मौके पर उपेंद्र राय का यह भी कहना था, ‘मेरा मानना है कि पत्रकारिता की ढेरों परिभाषाएं हैं और उनमें से एक यह रिपोर्ट करना है कि वर्तमान में क्या हो रहा है। आज के दौर में यह देखने के लिए बहुत सारे सर्वेक्षण होते हैं कि क्या हमारी रिपोर्टिंग लोगों के जीवन में कोई खुशी ला रही है और क्या हम इसमें कोई मूल्य जोड़ रहे हैं तो मैं कहूंगा ‘हां’। इन चीजों को व्यवस्थित रखना हमारा कर्तव्य है।’
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