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असम राइफल्स ने दी सफाई, मीडिया पर अंकुश वाला आदेश नहीं किया जारी
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। नगालैंड में असम राइफल्स और मीडिया के बीच वाद-विवाद अब तेज हो गया है। असम राइफल्स ने इस बात से इनकार किया है कि उसने मीडिया पर अंकुश लगाने वाला कोई भी आदेश जारी किया है। असम राइफल्स (उत्तर) के महानिरीक्षक के दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया, असम राइफल्स ने 24 अक्टूबर को नगालैंड के पांच मीडिया घरानों को
समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। नगालैंड में असम राइफल्स और मीडिया के बीच वाद-विवाद अब तेज हो गया है। असम राइफल्स ने इस बात से इनकार किया है कि उसने मीडिया पर अंकुश लगाने वाला कोई भी आदेश जारी किया है। असम राइफल्स (उत्तर) के महानिरीक्षक के दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया, असम राइफल्स ने 24 अक्टूबर को नगालैंड के पांच मीडिया घरानों को पत्र लिखा था, जिसमें यह तथ्य उजागर किया गया था कि गृहमंत्रालय की ओर से अवैध गतिविधियों (उन्मूलन: अधिनियम, 1967) के तहत नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खापलांग) यानी NSCN (K) को एक अवैध संगठन के रूप में अधिसूचित किया गया है और राजपत्रित अधिसूचना के कुछ अनुच्छेदों को विस्तार से पेश किया गया था, जिनके अपने कानूनी निहितार्थ हैं। असम राइफल्स ने यह भी कहा कि पत्र के साथ केन्द्रीय गृहमंत्रालय की अधिसूचना की एक प्रति भी संलग्न की गई थी और समाचार पत्रों के संपादकों से अधिनियम के अनुरूप NSCN (K) के लेख छापने का आग्रह किया गया था। असम राइफल्स (उत्तर) के महानिरीक्षक ने कहा कि व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ किसी ‘प्रतिबंधित संगठन’ का ‘हफ्ता वसूली नोटिस’ प्रकाशित करना कोष संग्रह में ‘प्रतिबंधित संगठन’ को उकसाने के समान है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों और सुरक्षा बलों के खिलाफ विध्वंसक कार्रवाइयां संचालित करने में किया जाएगा। असम राइफल्स ने कहा, अगर मीडिया घराने अपने माध्यम से उन्हें आमजन को जारी करना सही समझते हैं तो यह उनका मामला है और तब उन्हें अवैध गतिविधियां (उन्मूलन) अधिनियम 1976 के तहत भारतीय प्रेस परिषद को जवाब देना होगा। उसने कहा कि मीडिया घराने NSCN (K) संगठन के बारे में ऐसा कोई लेख प्रकाशित करने के लिए आजाद हैं, जो शांति प्रक्रिया को मजबूत करता है, सुरक्षा बलों और उनके संचालनों के बारे में उनकी राय पेश करता है। आईजीएआर (एन) ने यह भी कहा कि किसी भी वक्त मीडिया को अपनी मुक्त रिपोर्टिंग कमजोर करने के लिए नहीं कहा गया। आईजीएआर (एन) के बयान में कहा गया है कि केन्द्रीय गृहमंत्रालय की अधिसूचना और अवैध गतिविधियां (उन्मूलन) अधिनियम से मीडिया घरानों को अवगत कराने वाले परामर्श की बातों को जान-बूझ कर गलत तरह से पेश किया गया है। बयान में कहा गया है कि पत्र की मंशा ‘हफ्ता वसूली की मांगों’ और ‘हफ्ता वसूली की धमकियों’ को जनसंचार के माध्यम से पेश करने के लिए लोगों के साथ NSCN (K) का संपर्क रोकना थी। गौरतलब है कि राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर नगालैंड के छह अखबारों के संपादकों ने असम राइफल्सप के आदेश पर प्रतिक्रिया जताते हुए एक सामूहिक बयान जारी किया था। इसके अलावा इनमें से तीन अखबारों ने विरोध स्वहरूप आज के अंक में अपने संपादकीय स्थाान (editorial space) को खाली (blank) छोड़ दिया था। वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 25 अक्टूcबर 2015 को असम राइफल्स के जनरल स्टाीफ के कर्नल ने नगालैंड स्थित पांच मीडिया प्रतिष्ठा)नों के संपादकों को एक अधिसूचना (notification) जारी की थी। इसमें विभिन्नठ अखबारों के संपादकों द्वारा वर्तमान परिस्थितियों में बल की भूमिका के बारे में सोच-समझकर व काफी जांच और उनसे परामर्श के बाद कुछ भी लिखने की बात कही गई थी। इसके साथ ही इन मीडिया संस्थाानों पर प्रतिबंधित संगठनों की रिपोर्टिंग कर अवैध कार्यों में लिप्तस होने, कानूनी गतिविधियों का उल्लंिघन करने और गैरकानूनी संगठनों को जाने-अनजाने में समर्थन करने जैसी बात कही गई थी। असम राइफल्सं के कर्नल की ओर से जारी इस अधिसूचना का ही अखबार मालिक विरोध कर रहे हैं।
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