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जानिए, बिहार चुनाव के शुरुआती रुझान में राज्यसभा टीवी का कैसे रहा सटीक आंकलन...
हिंदी दैनिक अखबार इकनॉमिक टाइम्स में बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर टीवी न्यूज चैनलों द्वारा जारी किए गए शुरुआती रुझान के ध्वस्त हुए आंकड़ों पर एक खबर प्रकाशित की है, जिसमें बताया गया है कि राज्यसभा टीवी के ये रूझान कैसे सटीक बैठे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... ध्वस्त हुए टीवी चैनलों के शुरुआती रुझान, राज्यसभा टीवी रहा सटीक बहुत कम चैन
समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago
हिंदी दैनिक अखबार इकनॉमिक टाइम्स में बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर टीवी न्यूज चैनलों द्वारा जारी किए गए शुरुआती रुझान के ध्वस्त हुए आंकड़ों पर एक खबर प्रकाशित की है, जिसमें बताया गया है कि राज्यसभा टीवी के ये रूझान कैसे सटीक बैठे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... ध्वस्त हुए टीवी चैनलों के शुरुआती रुझान, राज्यसभा टीवी रहा सटीक बहुत कम चैनलों ने शुरू से बिहार चुनाव के सही रुझान दिखाए, उनमें से एक राज्यसभा टीवी भी रहा। इसमें नीतीश-लालू के महागठबंधन को शुरुआती बढ़त और उसके बाद जबर्दस्त जीत की सही तस्वीर पेश की गई। राज्यसभा टीवी उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन हामिद अंसारी के तहत आता है, जिनके मोदी सरकार से कई विवाद सामने आ चुके हैं। हालांकि, राज्यसभा चैनल का मैनेजमेंट देखने वालों का कहना है कि उन्होंने 'निष्पक्ष कवरेज' पर ध्यान दिया और रिपोर्टर्स को इस तरह से तैनात किया गया था ताकि सही रुझान दर्शकों तक पहुंचाया जा सके। सिर्फ दो प्राइवेट चैनल ऐसा कर पाए। शुरुआती काउंटिंग के राज्यसभा टीवी के आंकड़े ज्यादातर चैनलों से अलग थे। बाद में उसने महागठबंधन की भारी जीत के रुझान भी दिखाए, जबकि उस समय तक दूसरे चैनल डेटा को समझने की कोशिश कर रहे थे। असल में इन चैनलों में बीजेपी को बढ़त दिखाए जाने के कुछ ही मिनटों बाद महागठबंधन के पक्ष में पलड़ा झुकता हुआ दिखाया गया। राज्यसभा टीवी के सीईओ गुरदीप सिंह सप्पल ने बताया कि चैनल ने बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में स्ट्रिंगर्स को लगाया था। ये लोग जो डेटा भेज रहे थे, उसे मैनेज करने के लिए 40 रोफेशनल्स लगाए गए थे। उन्होंने बताया, 'हमने चुनाव से पहले स्ट्रिंगर्स को ट्रेनिंग दी थी। इसीलिए उन्होंने सही डेटा भेजे।’ मोदी सरकार के साथ उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के रिश्तों में उस वक्त तल्खी आ गई थी, जब बीजेपी नेता राम माधव ने योग दिवस पर उनकी गैर-मौजूदगी पर सवाल उठाए थे। हालांकि बाद में यह सामने आया था कि उपराष्ट्रपति को उस कार्यक्रम के लिए न्योता ही नहीं भेजा गया था। सप्पल ने कहा कि बिहार चुनाव के नतीजों के प्रसारण का उपराष्ट्रपति और सरकार के रिश्ते से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, 'हम निष्पक्ष कवरेज पर फोकस करते हैं। हमने बस सही आंकड़े दूसरे चैनलों से पहले दिखाए।' उन्होंने बताया कि सुबह 9:30 बजे जब दूसरे चैनल शुरुआती रुझान के आधार पर बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी कर रहे थे, तब मैंने रिसर्चर्स की मीटिंग बुलाई। सप्पल ने बताया, 'दूसरे चैनलों के रुझान के डेटा हमसे काफी अलग थे। लेकिन मेरी टीम अपने आंकड़ों को लेकर आश्वस्त थी, इसलिए हमने उसे दिखाने का फैसला किया।' कुछ चैनलों को छोड़कर ज्यादातर चैनल सुबह 10 बजे तक बीजेपी की जीत पक्की बता रहे थे। एक बड़ा अंग्रेजी चैनल कह रहा था कि बीजेपी अलायंस को 145 सीटें मिल सकती हैं। उसने इस संभावित जीत के बारे में बीजेपी के नेताओं से सवाल भी पूछे। बाद में उसने इस पूरे मामले को 'अजीब' बताया। दरअसल, चुनाव आयोग ने 10 बजे तक सिर्फ 26 सीटों के रुझान की घोषणा की थी। चैनल उस वक्त जो डेटा दिखा रहे थे, वे या तो उन्हें डेटा एनालिटिक्स फर्म से मिले थे या उनके स्ट्रिंगर्स ने भेजे थे। (साभार: इकनॉमिक टाइम्स)
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