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छोटी सी चूक से सामने आया चर्चित पत्रकार की हत्या का सच!

अंग्रेजी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ के पत्रकार जमाल खशोगी के मामले में नया खुलासा...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago

समाचार4मीडिया ब्यूरो।।

अंग्रेजी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ के पत्रकार जमाल खशोगी के मामले में नया खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स में तुर्की के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि सऊदी दूतावास के अंदर खशोगी की हत्या कर दी गई। इसके बाद मामला छिपाने के लिए 15 सदस्यीय हत्यारों की टीम ने अपने एक सदस्य को खशोगी जैसा हुलिया बनाकर घटनास्थल से बाहर निकाल दिया। ऐसा करके हत्यारे सीसीटीवी में यह दिखाना चाहते थे कि खशोगी सही सलामत सऊदी दूतावास से निकल गए।

इस बाबत तुर्की के एक अखबार ने हत्‍या का ऑडियो जारी किया है। यह दूतावास के अंदर खशोगी को दी जाने वाली यातनाओं के दौरान उनकी चीखों का ऑडियो है। ऑडियो में दावा किया गया है कि ये आवाज खशोगी की है। वहीं, सऊदी अरब के सरकारी टीवी का दावा है कि खशोगी की इस्तांबुल दूतावास के भीतर बहस हुई थी। बहस के बाद एक झगड़े में वह मारे गए।

तुर्की की सरकारी न्‍यूज एजेंसी ‘अनाडोलू’ के अनुसार अरब वाणिज्‍य दूतावास में कार्यरत सऊदी दूतावास के 15 संदिग्‍ध लोगों से पूछताछ की जा रही है। ‘अनाडोलू’ के अनुसार गवाही देने वालों में राजदूत के ड्राइवर, रिसेप्शनिस्ट, तकनीशियन और अकाउंटेंट्स शामिल हैं।

सऊदी नागरिक और पत्रकार खशोगी दो अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल स्थित सऊदी दूतावास में अपनी शादी से संबंधित दस्तावेज लेने गए थे। अंदर जाने के बाद वे बाहर ही नहीं निकले। इसके बाद तुर्की सरकार ने खशोगी की गुमशुदगी की जांच शुरू की।

रिपोर्ट्स के अनुसार, जांच के अंतिम पड़ाव में पहुंचते ही अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते सऊदी ने खशोगी की मौत की बात कबूल ली है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि खशोगी की मौत हाथापाई के दौरान हुई, जबकि तुर्की की मीडिया ने इसे सुनियोजित हत्या बताया।

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक दूतावास के भीतर जाने के दो मिनट के बाद ही खशोगी पर हमला किया गया और सात मिनट के भीतर उनकी मौत हो गई। 22 मिनट के अंदर ही उनके शरीर के टुकड़े कर दिए गए। तुर्की के अधिकारियों ने भी कहा है कि पत्रकार की हत्या के लिए सऊदी टीम अपना काम करके दो घंटे से भी कम समय में वहां से रवाना हो गई थी।

अमेरिकी न्यूज चैनल ‘सीएनएन’ के हाथ कुछ सीसीटीवी फुटेज लगे हैं। सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि सऊदी अरब के हत्यारे एजेंटों ने भ्रम की स्थिति पैदा करने के लिए खशोगी जैसे डीलडौल वाले व्यक्ति का इंतजाम किया था। हत्या के बाद उसे खशोगी के कपड़े पहना दिए गए, जिससे लगे कि खगोशी दूतावास से चले गए थे। कुछ समय तक इस हत्या को कवर-अप किया गया पर एक जूते ने पोल खोल दी।

तुर्की की ओर से जारी वीडियो में खशोगी जैसे शख्स को उनकी हत्या के तुरंत बाद इंस्ताबुल की सड़कों पर घूमते देखा जा सकता है। कुछ ही देर बाद उसने खशोगी के कपड़े भी उतार दिए थे। नकली शख्स की पहचान मुस्तफा-अल-मदनी के तौर पर हुई है। आरोप है कि 57 साल का मदनी सऊदी की जांच टीम का हिस्सा था, जिसे खशोगी को मारने के लिए दूतावास में भेजा गया था।

पहले जब मुस्तफा दूतावास के अंदर गया था,  उसकी दाढ़ी नहीं थी। वह दूसरे कपड़े पहने हुए था। उसने स्पोर्ट्स जूते पहन रखे थे लेकिन मुस्तफा ने एक चूक कर दी। उसने खशोगी के कपड़े तो पहन लिए और दाढ़ी भी रख ली, पर उसने जूते नहीं बदले। वह जो जूते पहनकर अंदर गया था,  उन्हीं में वापस निकला। खशोगी फॉर्मल काले रंग के जूते पहनकर अंदर गए थे। इस फुटेज ने खशोगी मर्डर में तुर्की के जांचकर्ताओं को अहम सबूत दिए हैं।


खशोगी की हत्या के बाद से सऊदी अरब को दुनियाभर में आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। बताया जाता है कि खशोगी की हत्या के पीछे सौद अल-कहतानी का हाथ है। उसने ही स्काइप के जरिए खशोगी की हत्या के निर्देश दिए थे। वह सऊदी के क्राउन प्रिंस का सोशल मीडिया संभालता है। वह अपने देश के हजारों प्रतिष्ठित लोगों की गिरफ्तारी का मास्टरमाइंड है। केवल इतना ही नहीं उसने ही लेबनान के प्रधानमंत्री को पकड़वाया था।  

बता दें कि इससे पहले सऊदी अरब के विदेश मंत्री अदेल-अल-जुबेर ने स्वीकार किया था कि खशोगी की हत्या बड़ी गलती है। एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए अल-जुबेर ने कहा था, 'जिन लोगों ने भी ऐसा किया है, उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल किया है। यकीनन भारी भूल हुई है। इस पर पर्दा डालते हुए और भी बड़ी गलती की गई है। किसी भी सरकार में यह स्वीकार्य नहीं है।'

इधर, पुलिस का दावा है कि हत्‍या के दिन दो गाड़ियां इस्तांबुल स्थित बेलग्रेड के जंगल की ओर रवाना हुई। पुलिस को यकीन है कि खशोगी के शव को इसी गाड़ी से ठिकाने लगाया गया। जांच दल का कहना है कि खशोगी के शव को बेलग्रेड जंगल या इसके पास की ज़मीन में दफ़नाया गया होगा।

गौरतलब है कि पत्रकार जमाल खशोगी का जन्‍म 1958 में मदीना में हुआ था, जबकि उनका ख़ानदान तुर्की मूल का है। पिछले एक साल से खशोगी अमेरिका में रह रहे थे और वॉशिंगटन पोस्ट के लिए नियमित कॉलम लिखते थे।सऊदी अरब के मौजूदा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की निंदा करने वाले जमाल खशोगी को अक्‍सर धमकियां मिलती थी। इन धमकियों के कारण पिछले साल उन्‍होंने सऊदी अरब छोड़ दिया था। सऊदी अरब के अधिकारी उन्हें क्राउन प्रिंस की नीतियों की निंदा करने के चलते धमका रहे थे।


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