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चीन ने फ्रांसीसी पत्रकार को किया निष्कासित, बताया यह कारण
<strong> समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।</strong> चीन ने फांसीसी पत्रकार अर्सुला गौतिए के प्रेस कार्ड के नवीनीकरण से इनकार करते हुए उन्हें अपने देश से निष्कासित कर दिया है। फ्रांसीसी समाचार पत्रिका लओब्स (L'Obs) की पत्रकार अर्सुला गौतिए पर अपने एक लेख के जरिये चीन सरकार की नीतियों की आलोचना करने का आरोप है। चीन के अधिकारियों का कहना है इस लेख के
समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। चीन ने फांसीसी पत्रकार अर्सुला गौतिए के प्रेस कार्ड के नवीनीकरण से इनकार करते हुए उन्हें अपने देश से निष्कासित कर दिया है। फ्रांसीसी समाचार पत्रिका लओब्स (L'Obs) की पत्रकार अर्सुला गौतिए पर अपने एक लेख के जरिये चीन सरकार की नीतियों की आलोचना करने का आरोप है। चीन के अधिकारियों का कहना है इस लेख के लिए गौतिए को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए अन्यथा चीन का विदेश मंत्रालय इस महीने के अंत में समाप्त हो रही उनके प्रेस कार्ड की मान्यता (press credentials) का नवीनीकरण नहीं करेगा और इस स्थिति में उन्हें 31 दिसंबर तक हर हाल में देश छोड़कर जाना होगा। वर्ष 2012 में अल जज़ीरा की पत्रकार मेलिसा चान के निष्कासन के बाद गौतिए पहली विदेशी पत्रकार हैं, जिन्हें निष्कासित किया गया है। एक तरफ चीन में जहां घरेलू मीडिया पर विभिन्न विषयों पर रिपोर्टिंग करने पर निषेध हैं वहीं विदेशी मीडिया किसी भी विषय पर लिखने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि रिपोर्टिंग के दौरान विदेशी पत्रकार समय-समय पर स्थानीय अधिकारियों पर उन्हें प्रताडि़त करने के आरोप लगाते रहते हैं। बता दें कि गौतिए का लेख नवंबर में पेरिस में चरमपंथी हमले के बाद छपा था। लेख मे उन्होने कहा था कि फ्रांस के साथ चीन की सद्भावना एक गुप्त मकसद हो सकता है, जिससे शिनजियांग में दमन को सही ठहराया जा सके। इस लेख के बाद चीन की प्रांतीय सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उसने गौतिए से माफी मांगने व लेख वापस लेने के लिए भी कहा था। वहीं गौतिए का कहना था कि यदि उन पर लगाए आरोप सही हैं तो सरकार को उन्हें जेल में डाल देना चाहिए था न कि निष्कासित करना चाहिए। चीन में फ्रांस के राजदूत मौरिस समेत फ्रांसीसी अधिकारियों ने चीनी अधिकारियों से अपने निर्णय को वापस लेने का अनुरोध किया था लेकिन इसका भी अब तक कोई फायदा नहीं हुआ है। वहीं गौतिए की पत्रिका ने भी इस निर्णय की निंदा की है। रिपोर्टर विदाउट बॉर्डर (Reporters Without Borders) ने भी इसकी निंदा करते हुए इसे मीडिया की हत्या करार दिया है और इसके विरोध में अभियान चलाने की चेतावनी दी है।
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