होम / मीडिया फोरम / सम्मान वापसी प्रकरण पर क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र, राहुल देव, पढ़ें यहां...
सम्मान वापसी प्रकरण पर क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र, राहुल देव, पढ़ें यहां...
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। ‘मैं ये मानता हूं कि कोई भी राष्ट्रीय पुरस्कार कोई राजनीतिक दल नहीं देता बल्कि एक चयन प्रक्रिया के बाद देश अथवा संस्थान के द्वारा दिया जाता है, तो ऐसे में यह पुरस्कार लौटाना उचित नहीं है।’ 29 अक्टूबर को दिल्ली के हिंदी भवन में प्रवक्ता.कॉम द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान ये बात वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। ‘मैं ये मानता हूं कि कोई भी राष्ट्रीय पुरस्कार कोई राजनीतिक दल नहीं देता बल्कि एक चयन प्रक्रिया के बाद देश अथवा संस्थान के द्वारा दिया जाता है, तो ऐसे में यह पुरस्कार लौटाना उचित नहीं है।’ 29 अक्टूबर को दिल्ली के हिंदी भवन में प्रवक्ता.कॉम द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान ये बात वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कही। संगोष्ठी के विषय ‘सम्मान वापसी: प्रतिरोध या पाखंड’ पर हुई चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि आज जो कुछ भी हो रहा है उसको सिरे से खारिज भी नहीं किया जा सकता है। सहिष्णुता के सवाल की उपेक्षा नही की जा सकती है। मगर आज विरोध की बजाय संवाद की जरूरत है। अब हमको पूरी सावधानी के साथ षड्यंत्रों और असहमतियों को समझना होगा। वहीं वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र ने तो साहित्य सम्मान वापस करने वालों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुरस्कार लौटाने की तात्कालिक उत्तेजना क्या थी यह समझ से परे है! ये जिस चिंतनधारा से निकले हुए लोग हैं उनका अपना इतिहास रहा है कि वे महात्मा गांधी को भी अंग्रेजों का एजेंट कहा करते थे। पुरस्कार लौटाने की तात्कालिक उत्तेजना के रूप में केवल और केवल 2014 के लोकसभा चुनाव में आया परिणाम दिखाई देता है। उनसे गांधी जैसा व्यक्ति तक विमर्श नहीं कर सका।’ वहीं इस दौरान प्रख्यात लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने कहा, ‘साहित्यकारों का आदर इसलिए होता है क्योंकि वे समाज में समरसता घोलते हैं, लेकिन आज वही भय का वातावरण बना रहे हैं। कुछ ही दिन पहले मुन्नवर राना जी पुरस्कार वापसी के खिलाफ लिखते हैं कि ‘क्या कलम की स्याही सूख गई है’ फिर एकाएक क्या होता है कि मुन्नवर जी एक चैनल पर नाटकीय ढंग से पुरस्कार वापसी की घोषणा कर देते हैं! ऐसे में क्यों न हम इसको एक साजिश के तौर पर देखें? प्रख्यात कवि बलदेव वंशी ने भी इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए इस पूरे हंगामे को बिहार चुनाव से जोड़ दिया। उन्होंने कहा, ‘साठ वर्ष तक जिन शक्तियों के सहारे वे पुरस्कार पाते रहे हैं उन्हीं शक्तियों का अब दबाव है कि वे पुरस्कार वापस करें। उनकी उत्तेजना का बिंदु बिहार चुनाव है। अत: इस राजनीति का जवाब प्रबल राजनीति से ही देना होगा। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार नरेंद्र कोहली ने सम्मान वापसी कर रहे साहित्यकारों पर गंभीर आरोप लगाए। नरेंद्र कोहली ने कहा, ‘कांग्रेस के इंटलेक्चुअल लॉबी में वामपंथी ही रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि साठ वर्षों से एक ही विचार पक्ष को पुरस्कृत किया जाता रहा है। असहिष्णुता की जो लोग बात कर रहे हैं वो एक विशेष किस्म की असिहष्णुता की बात कर रहे है। ये कश्मीरी पंडितों पर नही बोलते हैं बल्कि इनका सारा बल एक विशेष प्रकार की असहिष्णुता पर है वे अन्य प्रकार की असहिष्णुता पर बात नहीं करते लेकिन आज ऐसा क्या बदला कि उन्हें पुरस्कार लौटाने पड़ रहे हैं? देश में उठा ये नियोजित विरोध माहौल बदलने की वजह से नही बल्कि केंद्र की सरकार बदलने की वजह से है।
समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
टैग्स