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‘पत्रकार सुरक्षित होंगे तभी प्रेस की आजादी सुरक्षित रहेगी’
<strong>समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।</strong> दिल्ली जर्नलिस्ट्स असोसिएशन ने रविवार को 'पत्रकार सुरक्षा अधिनियम और मीडिया आयोग की जरूरत' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस मौके पर नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. नंदकिशोर त्रिखा ने कहा, 'प्रेस की आजादी सुरक्षित रखनी है तो पत्रकार सुरक्षित रहना चाहिए।' अपने संबोध
समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। दिल्ली जर्नलिस्ट्स असोसिएशन ने रविवार को 'पत्रकार सुरक्षा अधिनियम और मीडिया आयोग की जरूरत' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस मौके पर नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. नंदकिशोर त्रिखा ने कहा, 'प्रेस की आजादी सुरक्षित रखनी है तो पत्रकार सुरक्षित रहना चाहिए।' अपने संबोधन में डॉ. त्रिखा ने पत्रकार और पत्रकारिता के गौरवपूर्ण इतिहास पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया के वर्तमान परिदृश्य पर चिंता जताते हुए कहा कि आज जितनी मीडिया की दयनीय और पत्रकारों की असहाय स्थिति है, ऐसी पूर्व में नहीं रही। संपादक संस्था की साख गिरी है। पत्रकार आजादी खो चुका है और वहीं, मालिक मजबूत हो रहा है। उन्होंने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि पत्रकारों पर जानलेवा हमले बढ़ते जा रहे हैं। यह पत्रकार ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी खतरे की घंटी है क्योंकि पत्रकार समाज के लिए काम करता है। उन्होंने तीसरे प्रेस आयोग के गठन पर बल देते हुए कहा कि 1952 में पहला प्रेस आयोग बना और आपातकाल के बाद दूसरा। तब से स्थिति काफी बदली है। प्रिंट व रेडियो के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक और वेबमीडिया का विस्तार हुआ है। अब फिर से इन सभी मीडिया माध्यमों की स्थिति पर विचार करना होगा। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष रासबिहारी ने कहा कि आज समाज में पत्रकार सबसे शोषित है। पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं और जिस तरह से अखबारों और टीवी चैनलों में पत्रकारों की छंटनी हो रही है, उससे पत्रकारों के भविष्यों पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार सुरक्षा अधिनियम, मीडिया आयोग और मीडिया परिषद की मांग को लेकर आगामी 7 दिसंबर को देशभर के पत्रकार संसद का घेराव करेंगे। प्रेस एसोसिएशन के सचिव मनोज वर्मा ने कहा कि उत्तरप्रदेश, पं. बंगाल, दिल्ली जैसे अनेक राज्यों में पत्रकारों का शोषण और उत्पीेड़न किया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। पत्रकार नहीं बचेगा तो लोकतंत्र नहीं बचेगा। आपातकाल में कोशिश की गई थी पत्रकारों को दबाने की। एनयूजे ने तब संघर्ष किया। हम लंबे समय से पत्रकार सुरक्षा अधिनियम की मांग कर रहे हैं। हम बहुत मांग कर चुके, अब आंदोलन ही रास्ता है। वहीं इस संगोष्ठी में दिल्ली जर्नलिस्ट्स असोसिएशन के अध्यक्ष अनिल पांडेय ने राष्ट्रीय एवं वैश्विक परिप्रेक्ष्य में पत्रकारों की स्थिति का अवलोकन करते हुए कहा कि आज पत्रकार अनेक तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन पर जानलेवा हमले हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर उनकी छंटनी हो रही है। इसलिए समग्र मीडिया का मूल्यांकन करने के लिए तीसरा प्रेस आयोग अतिशीघ्र बनना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन दिल्लीं जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के कार्यकरिणी सदस्य संजीव सिन्हा ने किया। इस कार्यक्रम में एनयूजे के पूर्व उपाध्यक्ष सुभाष निगम, एनयूजे के कोषाध्यक्ष दधिबल यादव, एनयूजे राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मनोहर सिंह, डीजेए के कोषाध्यक्ष राजेंद्र स्वाेमी, डीजेए कार्यकारिणी सदस्यन सीमा किरण और संजय सक्सेजना समेत कई पत्रकारगण जैसे- वरिष्ठ टीवी पत्रकार उमेश चतुर्वेदी, योजना पत्रिका के संपादक ऋतेश पाठक, यथावत पत्रिका के असोसिएट संपादक ब्रजेश झा, अंकुर विजयवर्गीय (हिन्दुस्तान टाइम्स), उमाशंकर मिश्र (अमर उजाला), पंकज प्रसून (न्यूज नेशन), श्रीकंत शरण (नेपालवन टीवी) आदि उपस्थित रहे।
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