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पत्रकारों के गुनाहगारों को सजा देने में सबसे फिसड्डी यह देश, जानिए भारत का नंबर...

दुनियाभर में पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा अभी भी एक सवाल बना हुआ है...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago

समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।

दुनियाभर में पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा अभी भी एक सवाल बना हुआ है। वैसे तो देश-विदेश से पत्रकारों पर हमले की खबरें सामने आती रहीं हैं, लेकिन इस तरह के मामलों को लेकर कितने अपराधियों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई? यह अभी भी सवाल बना हुआ है, क्योंकि जो रिपोर्ट सामने आई वह कुछ इसी ओर इशारा करती है।

पत्रकार संगठन ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ (सीपीजे) ने 'ग्लोबल इम्प्युनिटी इंडेक्स' जारी किया है, जिसमें उन देशों को शामिल किया जाता है जहां पत्रकारों पर हमलों के लिए अपराधियों को सजा नहीं मिलती है। दरअसल इस सूची में भारत का नंबर भी है, जोकि 14वें  स्थान पर है।पिछले एक दशक में पत्रकारों की हत्या के 18 ऐसे मामले भारत से सामने आए हैं, जो सुलझ नहीं पाए हैं।

बता दें कि सूचकांक बनाने के लिए ‘सीपीजे’ ने 1 सितंबर 2008 से 31 अगस्त 2018 के बीच दुनियाभर में पत्रकारों की हत्या के मामलों का अध्ययन किया। सीपीजे की इंप्युनिटी इंडेक्स देश की जनसंख्या के आधार पर पत्रकारों के अनसुलझे मामलों की संख्या और उसकी प्रतिशत की  गणना करता है। इंडेक्स की इस गणना में ऐसे देशों को ही शामिल किया जाता है, जहां पांच या उससे अधिक पत्रकारों की हत्या के अनसुलझे मामले हैं। 

मामलों को अनसुलझा तब माना जाता है जब संदिग्धों की पहचान तो हो जाती है, लेकिन हिरासत में होने पर भी उसके खिलाफ कोई  दोषसिद्ध नहीं होता। हालांकि, सूचकांक में ऐसे मामलों को शामिल नहीं किया जाता है, जहां पत्रकारों की हत्या तब की गई हो, जब वे युद्ध को कवर रहे हो या फिर उनकी अपनी निजी दुश्मनी रही  हो। बल्कि ऐसे मामलों को शामिल किया जाता है, जहां पत्रकारों की हत्या उनके काम की वजह से की गई हो।

यह सूची ऐसे समय पर आई है, जहां एक तरफ सऊदी अरब में हुई पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या पर बवाल मचा हुआ है, अमेरिकी चैनल सीएनएन में पाइप बम भेजे जाने से सनसनी फैली हुई है और भारत में बीते दो दिनों में दो पत्रकारों की हत्या से पत्रकारिता जगत बेहद गुस्से में है। 

सीपीजे के अनुसार, पत्रकारों के काम की वजह से उन पर जानबूझकर हमले किए गए। सीपीजे की यह 11वीं रिपोर्ट है, इसके अनुसार पिछले एक दशक में दुनियाभर के कम से कम 324 पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए उन्हें मार दिया गया, जिनमें से लगभग 85 प्रतिशत मामलों में अपराधियों को सजा नहीं मिली। 

बता दें कि जारी किए गए सूचकांक में सबसे बुरी हालत सोमालिया की है, जहां पत्रकारों की हत्या के 25 अनसुलझे मामले है। इसके बाद दूसरे नंबर पर सीरिया है, जहां 18 अनसुलझे मामले हैं। फिर इराक,  पाकिस्तान और बांग्लादेश का नंबर आता है। 



गौरतलब है कि सीपीजे की सूची में भारत 11 बार आ चुका है। 2017 में भारत का 12वां स्थान था। 2017 की रिपोर्ट में सीपीजे ने लिखा था कि 90 के शुरुआती दशक से भारत में 27 पत्रकारों को मार डाला गया। यही नहीं, तत्कालीन रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने यूनेस्को के जवाबदेही तंत्र में हिस्सा लेने से भी इनकार कर दिया, जो मारे गए पत्रकारों के मामलों की जांच की स्थिति पर जानकारी मांगता है। हालत यह है कि पिछले दो वर्षों में भारत की गिनती उन देशों में होने लगी है, जहां पत्रकारों की सबसे ज्यादा हत्या हुई है। 2016 में ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट’ ने पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में भारत को आठवें नंबर पर रखा था।

वहीं यह भी बता दें कि इस रिपोर्ट के मुताबिक, जिन देशों की स्थित खराब हुई है, उनमें सीरिया, अफगानिस्तान, मेक्सिको और भारत का नाम है। वहीं जिन देशों में स्थिति आंशिक रूप से सुधरी है, उनमें इराक, सोमालिया, दक्षिण सूडान, कोलंबिया, फिलीपींस, पाकिस्तान, ब्राजील, नाइजीरिया और रूस हैं। इसके अतिरिक्त बांग्लादेश की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।



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