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नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार महीप सिंह

समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। प्रसिद्ध लेखक, वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार महीप सिंह का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे और गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में पिछले कई दिनों से भर्ती थे। परिवार से जुड़े एक रिश्तेदार ने बताया कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी, जिसके बाद उन्हें बीते 16 नवंबर को अस्पताल ले जाया ग

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago

समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। प्रसिद्ध लेखक, वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार महीप सिंह का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे और गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में पिछले कई दिनों से भर्ती थे। परिवार से जुड़े एक रिश्तेदार ने बताया कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी, जिसके बाद उन्हें बीते 16 नवंबर को अस्पताल ले जाया गया था। मंगलवार को करीब 1 बजे उनका निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। डॉ. महीप सिंह का जन्म 15 अगस्त 1930 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के एक गांव में हुआ था और बाद में उनका परिवार वहां से कानपुर शिफ्ट हो गया था। सिंह ने 1954 में कानपुर के डीएवी कालेज से हिंदी में एमए की डिग्री हासिल की और 1963 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरू गोविंद सिंह और उनकी हिंदी कवितायें विषय पर पीएचडी की थी। 1959 में उनकी लघु कथाओं का संग्रह सुबह के फूल का प्रकाशन हुआ था। इसके बाद करीब 20 से अधिक लघु कथाओं का संग्रह प्रकाशित किया गया। केंद्र, राज्य व कई संस्थानों द्वारा साहित्य में उनके अपूर्व योगदान के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया। साथ ही उन्होने ये भी नही, बीच की धूप व अभी शेष है जैसी उपन्यासों को भी अपने कलम से सार्थक किया। महीप सिंह ने 50 से अधिक शोध पत्रिकाएं लिखी और वे 45 वर्षों से सचेतना पत्रिका के संपादक के तौर पर काम कर रहे थे। 1978 में सिंह ने भारतीय लेखक संगठन की भी स्थापना की।

 

 

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