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जानिए, क्या है पीएम मोदी की किताब में खास?
समाचार4मीडिया ब्यूरो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिन पुस्तकों का लोकार्पण 10 अगस्त 2015 को किया गया, उनमें सोशल हॉर्मनी (नरेंद्र मोदी द्वारा विकास को लेकर लिखे गए लेखों का संकलन), ज्योतिपुंज (जिन विभूतियों से नरेंद्र मोदी प्रभावित हुए, उनके बारे में), साक्षीभव (पूजनीय जगत जगनी मां के साथ संवादों का डा
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिन पुस्तकों का लोकार्पण 10 अगस्त 2015 को किया गया, उनमें सोशल हॉर्मनी (नरेंद्र मोदी द्वारा विकास को लेकर लिखे गए लेखों का संकलन), ज्योतिपुंज (जिन विभूतियों से नरेंद्र मोदी प्रभावित हुए, उनके बारे में), साक्षीभव (पूजनीय जगत जगनी मां के साथ संवादों का डायरी संकलन) हैं। ये सभी पुस्तकें प्रभात प्रकाशत द्वारा प्रकाशित की गई हैं। इन्हीं किताबों पर दैनिक जागरण एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें किताब के बारे में विस्तार से बताया गया है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट:
किताबों के जरिये सामने आई मोदी के अंतर्मन की यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लंबे जीवन में यूं तो चर्चा पिछले पंद्रह-सोलह साल की ही होती रही है, लेकिन इन वर्षों में भी उनके पुराने जीवन का संघर्ष बार-बार झलकता है। उनकी सोच, पुराने कथन और भाव उनके आज के जीवन में भी प्रतिबिंबित होते हैं। तीस साल पहले एक प्रचारक रहते हुए उन्होंने जो देखा और कहा वह कई बार हाल के विवाद तक की याद दिला जाते हैं, जब उन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया गया था।
सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मोदी की लिखी हुई तीन किताबों का विमोचन किया। मोदी से जुड़े रहे गुजरात के पत्रकार किशोर मकवाना ने भी मोदी के जीवन पर एक किताब लिखी है और उसका नाम दिया है, 'मोदी : आम आदमी के प्रधानमंत्री'। इस किताब का भी विमोचन किया गया। माना जा रहा है कि यह किताब एक तरह से मोदी की प्रामाणिक जीवनी है।
साक्षीभव
एक कठोर प्रशासक के रूप में जाने जाते रहे मोदी के कवि हृदय होने की झलक उनकी डायरी 'साक्षीभव' में दिखती है। इसमें उन्होंने देवी मां के साथ संवाद के रूप में अपने भाव कविता के रूप में लिखे हैं। हालांकि इस डायरी के कई पन्ने खुद मोदी ने पहले ही जला दिए थे। लेकिन उनके मित्र व प्रचारक नरेंद्र भाई पंचासरा ने शेष अंश बचा लिया। जीवन के उतार-चढ़ाव का वर्णन करते हुए उन्होंने ऐसे कई शब्द कहे हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। मसलन-
'मेरे नए उत्तरदायित्व के विषय में बाह्य वातावरण में तूफान लगभग थम गया है...।'
'नए रंगमंच, नए रूप' की बात
जाहिर तौर पर इसे दो साल पहले के संदर्भ में भी देखा जा सकता है जब खुद भाजपा के अंदर उन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने पर लंबी बहस छिड़ गई थी। लेकिन आखिरकार उनके पक्ष में ही निर्णय हुआ और फिर विवाद भी थमते गए। हालांकि यह कविता आठ दिसंबर 1986 में तब लिखी थी, जब उन्हें आरएसएस से भाजपा में भेजा गया था और गुजरात में संगठन महामंत्री बनाया गया था। इसी संदर्भ में उन्होंने - 'नए रंगमंच, नए रूप' आदि की भी बात की थी।
इसी डायरी के एक पन्ने पर उन्होंने- खुद से की जा रही अपेक्षाओं की भी बात की है और कहा-
'जिस आशा, आकांक्षा और विश्वास
के साथ मुझे यह काम सौंपा गया है...
सबकी आकांक्षा की पूर्ति के लिए
सच में निमित्त बन सकूंगा?'
ज्योतिपुंज
'ज्योतिपुंज' पुस्तक वास्तव में मोदी के आरएसएस काल की भावना है। पुस्तक में उन्होंने गुरु गोलवलकर से लेकर वसंतराव चिपलंकर तक के एक दर्जन से अधिक उन प्रचारकों के बारे मे लिखा है जिन्होंने मोदी को प्रेरित किया। वसंतराव का निधन उस दिन हुआ, जब दूसरे दिन सुबह दिसंबर 2007 में वह मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले थे।
सोशल हार्मनी
यह किताब उनकी बाल्यकाल से लेकर अब तक सोच से जुड़ी है और कुछ उद्धरण भी पेश किए गए हैं। समाज के हर वर्ग में सामंजस्य और सहभागिता की भी बात कही गई है।
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