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जानी-मानी महिला पत्रकार वर्तिका नंदा ने डासना जेल में जारी किया एक अनूठा कैलेंडर
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। जानी-मानी महिला पत्रकार और जेल सुधार एक्टिविस्ट वर्तिका नंदा ने गाजियाबाद की डासना जेल में ‘तिनका तिनका डासना’ की थीम से एक अनूठा कैलेंडर जारी किया है। ‘तिनका तिनका डासना’ कैलेंडर, दीवार पेंटिंग, गाने से लेकर कविता और फिर एक नई तरह की किताब के जरिए जेल के कैदियों की क्रिएटिविटी को सामने लाने की अपनी तरह क
समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। जानी-मानी महिला पत्रकार और जेल सुधार एक्टिविस्ट वर्तिका नंदा ने गाजियाबाद की डासना जेल में ‘तिनका तिनका डासना’ की थीम से एक अनूठा कैलेंडर जारी किया है। ‘तिनका तिनका डासना’ कैलेंडर, दीवार पेंटिंग, गाने से लेकर कविता और फिर एक नई तरह की किताब के जरिए जेल के कैदियों की क्रिएटिविटी को सामने लाने की अपनी तरह की पहली कोशिश है। इस कवायद की पहली कड़ी के तहत छह पन्नों का कैलेंडर जारी किया गया है। इस अनूठे कैलेंडर में डासना जेल के रचनात्मक प्रयोगों को समेटा गया है। कैलेंडर का मुख्य आकर्षण जेल की एक दीवार पर उकेरी गई एक बेहद खास 3-डी पेंटिंग है। ये 3-डी वॉल पेंटिंग विशाखापत्तनम के रहने वाले विवेक स्वामी व किशन, संजय और दीपक ने तैयार की है। ग्राफिक्स डिजाइनर एंड फोटोग्राफर मोनिका सक्सेना ने इस कैलेंडर को डिजाइन किया है। कैलेंडर के अनावरण के दौरान डासना जेल के अधीक्षक शिव प्रकाश यादव, जेलर आर एस यादव, उप जेलर शिवाजी यादव, आनंद पांडे आदि गणमान्य अधिकारी मौजूद थे। पेंटिंग के बारे में वर्तिका ने बताया, ‘ये कोई ऐसी पेंटिंग नहीं है जिसे किसी दीवार की बदसूरती को ढंकने के लिए बनाया गया हो। यह कला बंदियों के सपने देखने के साहस, उनके दुखों और एक दिन जेल की चहारदीवारी से आजाद होने की उनकी उम्मीदों को जाहिर करती है।’ उन्होंने कहा कि दीवार पर बनाई गई यह पेंटिंग करीब 10 साल तक इसी तरह बनी रहेगी। इस पेंटिंग का एक सिरा अंधेरे में है जहां चांद और सितारे दिन में जगमगाते दिखेंगे। दूसरे सिरे में उस गाने का एक अंश है जिसे वर्तिका ने लिखा है पर बंदियों ने गाया है। इसके ठीक ऊपर चमकता हुआ सूरज है। बीच में दस नाम हैं। ये वे नाम हैं जो चुने गए इन दस बंदियों की यादों में शामिल हैं। इनमें कोई किसी की पत्नी है, किसी की मां, किसी की बेटी, किसी का भाई। इनमें एक नाम आरुषि तलवार का भी है। आरुषि के माता-पिता –राजेश और नुपूर इसी जेल में बंद हैं। इन दसों नामों को दस प्रतीकों में घोल कर लिखा गया है। जेलों की व्याख्या करने वाले इन दस प्रतीकों का चुनाव भी बहुत सोच कर किया गया है, जिनमें एक नीली आंख है, एक खत, एक दीया, एक पत्ता, एक चाबी, एक ताला, एक माला, एक घड़ी, एक फोटो फ्रेम और एक खिड़की। ये सभी वे प्रतीक हैं जो जेलों की जिंदगी से जुड़े हैं। वर्तिका इससे पहले दिल्ली के तिहाड़ जेल की महिला कैदियों पर ‘तिनका तिनका तिहाड़’ नाम की एक किताब संपादित कर चुकी हैं। उनकी यह किताब लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल है।
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