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उस चौखट को जा खूब सजातीं, जिस घर से होती अनजान हैं ये
लेखक ने इस कविता में बताया है कि बेटियां किस तरह पूरे घर की आन-बान-शान होती हैं और घर में किस तरह रौनक बिखेरती रहती हैं
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
विकास गौड़
खिलती कलियों का क्या कहना!
मिश्री डलियों का क्या कहना!!
पल भर में मूड बदल जाये!
मीठे नखरों का क्या कहना!!
माना घर की मेहमान हैं ये!
पर घर की होती जान हैं ये!!
उस चौखट को जा खूब सजातीं!
जिस घर से होती अनजान हैं ये!!
रिश्ते-नातों का मोल सिखातीं!
घर भर में फिरती इठलाती!!
जिस देहरी पर ये दीप जलायें!
उस घर की रौनक का क्या कहना!!
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