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‘हां, मैं एक पत्रकार हूं’
लेखक ने अपनी कविता के माध्यम से एक पत्रकार की मनोस्थिति का बखूबी वर्णन किया है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
अर्जुन निराला, पत्रकार और कवि।।
पत्रकार और कवि अर्जुन निराला ने अपनी कविता के माध्यम से एक पत्रकार की मनोस्थिति का बखूबी वर्णन किया है। इस कविता में उन्होंने बताया है कि एक पत्रकार को किस तरह की परिस्थितियों में काम करना पड़ता है और इन्हें लेकर कई बार उस पत्रकार के मन में किस तरह की बातें आती हैं।
मैं एक पत्रकार हूं
हां, मैं एक पत्रकार हूं।।
देख नहीं पाता उगता सूरज
देख नहीं पाता डूबता सूरज
देख नहीं पाता, बादलों से भरा आसमां
मैं, एक पत्रकार हूं।।
याद नहीं आ रहा, कैसे चमकती है बिजली
कैसे बरसती है बारिश
ये भी भूल गया हूं
कभी दोस्त के फोन
से जान पाता हूं
कि बारिश हो रही है
मैं, एक पत्रकार हूं।।
खिड़की पर लगे काले शीशे से बाहर झांकता हूं
सब कुछ दिखता है काला-काला
पर, बारिश नहीं...
बारिश की बूंदें भी नहीं
नीचे उतर नहीं सकता
बारिश से खेल नहीं सकता
क्योंकि, काम का है बोझ
बॉस का है डर
उससे भी ज्यादा
दसवें माले पर जो रहता हूं मैं
मैं, एक पत्रकार हूं।
अरे! देखा बारिश
दोस्त का फोन फिर बजता है
नहीं रे!...कहता हूं
अब, तो इंद्रधनुष भी निकल आया आसमान पर
मैं कैसे कहूं कि...
भूल चुका हूं इंद्रधनुष के रंग भी
जबकि पन्नों में रोज भरता हूं
तरह-तरह के रंग
मैं, पत्रकार हूं
हां, मैं एक पत्रकार हूं।।
कवि परिचय:
नामः अर्जुन निराला
(पत्रकार, कवि, लेख और अनुवादक )
पिताः स्व. श्री वी.बी.निराला
माताः स्व. श्रीमती सावित्री देवी
जन्मस्थलः डिगबोई, तिनसुकिया, असम)
पेशाः पत्रकारिता (अमर उजाला में समाचार संपादक और अमर उजाला फाउंडेशन में वरिष्ठ समन्वयक)
कार्यः 17 वर्षों से पत्रकारिता
शिक्षाः प्रारंभिक गांव में, फिर गुरुकुल करतारपुर, जालंधर (पंजाब), प्रभाकर (पंजाब विश्वविद्यालय , चंडीगढ़), राजनीतिक शास्त्र ऑनर्स के साथ बीए (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र) और एम.ए. हिंदी (पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़)
भाषाओं के जानकारः नेपाली, हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, संस्कृत सहित आठ भाषाओं की जानकारी
अनुवादः नेपाली से हिंदी
असमिया से हिंदी
पंजाबी से हिंदी
बंगला से हिंदी
सद्यः माँ, मेरी कविता संग्रह (हिंदी में)
मान्यताः नेपाल सरकार द्वारा अनुवादक के रूप में मान्यता
सम्मानः रक्तदान और समाज सेवा के क्षेत्र में कई सम्मान
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